Bihar Teacher Recruitment: बिहार में आंदोलन पर नियोजित शिक्षकों को सरकार की चेतावनी का असर होता नहीं दिख रहा है. उल्टे बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ ने शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव की ओर से जारी पत्र को वापस लेने की मांग की है. संघ के अध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह एवं महासचिव शत्रुध्न प्रसाद सिंह ने कहा कि यह शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह का पत्र संविधान विरोधी आदेश है. इसे तात्कालिक प्रभाव से वापस किया जाये. संविधान के अनुच्छेद-19 में देश के प्रत्येक नागरिक को संगठन बनाने और अपने सदस्यों के हितों की रक्षा करने के लिए शांतिपूर्वक सत्याग्रह, धरना प्रदर्शन का मौलिक अधिकार है. यदि सरकार शिक्षकों के विरुद्ध कोई नियमावली अथवा कानून बनाती है तो उसका विरोध करना भारत के सभी नागरिकों सहित शिक्षकों का भी मौलिक अधिकार है. शिक्षकों को डरा-धमकाकर उसके मौलिक अधिकार को नहीं छीना जा सकता है. सरकार तात्कालिक प्रभाव से संविधान विरोधी आदेश को वापस केर. 20 मई को प्रमंडलीय मुख्यालय में प्रदर्शन एवं 22 मई को जिला मुख्यालय में धरना और जुलाई में विधान मंडल के सामने प्रदर्शन किया जायेगा. जबतक राज्य कर्मी का दर्जा नहीं दिया जायेगा तबतक संघर्ष जारी रहेगा.
शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के पत्र का विरोध बिहार शिक्षक संघर्ष मोर्चा के सदस्यों ने भी किया है. सदस्यों ने कहा कि शिक्षकों से वार्ता करने या उनका पक्ष जानने के बदले विभाग ने कार्रवाई की धमकी देकर उनके आक्रोश को और बढ़ा दिया है. मोर्चा के सदस्य मार्कंडेय पाठक, प्रदीप राय, संजीत भारती, बचु कुमार, नितेश सिंह, मनोज कुमार, शिव विलास कुमार कृतिनजय चौधरी, राजेंद्र यादव, सुभाष कुमार आदि नेताओं ने कहा कि विरोध कार्यक्रम तय तिथि पर जारी रहेगा.
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टीइटी प्रारंभिक शिक्षक संघ के राज्य संयोजक राजू सिंह, प्रदेश अध्यक्ष संजीत भारती और प्रदेश महासचिव आलोक रंजन ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि विद्यालय अध्यापक नियुक्ति नियमावली-2023 का बिहार के सभी शिक्षक संगठन और विभिन्न राजनीतिक दलों के द्वारा लगातार विरोध किया जा रहा. नयी नियमावली शिक्षकों के प्रति पूर्वाग्रह से ग्रस्त अधिकारियों के मनोविकार की उपज है. आंदोलनकारी शिक्षकों पर कार्रवाई करने के लिए आदेश निर्गत करना लोकतंत्र में निहित मौलिक अधिकारों का हनन है.