Bihar Politics बिहार विधान परिषद की 24 सीटों पर चुनाव होने वाला है. ऐसे में बिहार में सियासी पार्टियों के बीच इन सीटों के लिए आपसी तालमेल को अहम माना जा रहा है. हालांकि, फिलहाल ऐसा होता नहीं दिख रहा है. दरअसल, उपचुनाव में कांग्रेस के साथ लालू प्रसाद की पार्टी आरजेडी का खटास अभी पूरी तरह खत्म भी नहीं हुआ है कि स्थानीय कोटे की 24 सीटों पर होने वाले विधान परिषद चुनाव में फिर दोनों दल आमने-सामने है. इन सबके बीच, आरजेडी खेमे में एक बड़ी खबर सामने आ रही है.
सामने आ रही जानकारी के मुताबिक, बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कांग्रेस के नफा नुकसान की चिंता किए बिना अपने लेवल से करीब नौ उम्मीदवारों के नाम फाइनल कर लिए हैं. बताया जा रहा है कि आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद की सहमति मिलने के साथ ही इन प्रत्याशियों के नामों की घोषणा कर दी जाएगी. वहीं, कुछ सीटों पर अभी भी पेंच फंसा हुआ है.
जानकारी के मुताबिक, आरजेडी ने वैशाली से सुबोध कुमार, गया से रिंकू यादव, मुंगेर से अजय सिंह, औरंगाबाद से अनुज कुमार सिंह, रोहतास से कृष्ण कुमार सिंह, भोजपुर से अनिल सम्राट, पश्चिमी चंपारण से इंजीनियर सौरभ कुमार, सीतामढ़ी से खब्बू खिरहर एवं दरभंगा से उदय शंकर यादव के नाम तय कर लिए हैं. मीडिया रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया जा रहा है कि इन सीटों पर आरजेडी के उक्त प्रत्याशी के नाम लगभग फाइनल है. वहीं, कुछ और अन्य सीटों पर जीत की संभावना वाले प्रत्याशियों के नाम तय करने की प्रक्रिया जारी है.
बता दें कि बिहार में कांग्रेस और आरजेडी कई मुद्दों पर एक साथ चलने का दावा करती रही हैं. हालांकि, इस दावे में कितना दम है, इसको लेकर सवाल खड़े होते रहे है. दरअसल, कई राजनीतिक मसलों पर दोनों पार्टियों के सुर अलग हो जाते हैं, लेकिन बात जब पार्टी के स्वार्थ की हो, तो दोनों पार्टियों की खींचतान सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बन जाती है.
बिहार विधान परिषद की 24 सीटों को लेकर कुछ ऐसा ही दिख रहा है. सीटों को लेकर कांग्रेस और आरजेडी में खींचतान शुरू हो गई है. कांग्रेस 7 सीटों पर अपना दावा ठोक रही है. जबकि, आरजेड़ी चार सीट से ज्यादा देने के मूड में नहीं है. स्थिति वैसी ही होती जा रही है, जैसी हाल में बिहार विधानसभा के उपचुनाव में देखी गई थी. बता दें कि उपचुनाव के दौरान कांग्रेस को कुशेश्वर स्थान सीट न मिलने पर गठबंधन तोड़ने का ऐलान भी कर दिया था. चुनाव परिणाम आने पर महागठबंधन के दोनों ही सहयोगियों को नुकसान उठाना पड़ा था.
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