बिहार में अग्रवाल समाज से आने वाले लोगों की बड़ी तादाद है. लेकिन वो किस जाति से ताल्लुक रखते हैं और आरक्षण को लेकर उनकी क्या स्थिति है, ये अभी तक एक पहेली बनी हुई है. जिसे लेकर विधानमंडल में मुद्दा छिड़ा. मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव ने सरकार की ओर से क्या कहा, जानिए..
विधान परिषद की पहली पाली में बुधवार को अल्पसूचित प्रश्न के माध्यम से दिलीप कुमार सिंह के अग्रवाल समाज को आरक्षण मामले पर सामान्य प्रशासन विभाग के प्रभारी मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव ने जवाब दिया. मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव ने कहा कि इस समय जाति जनगणना नहीं बल्कि जातीय गणना हो रही है. जनगणना तो हर दस साल पर केंद्र सरकार करवाती है.
मंत्री बोले कि राज्य सरकार के द्वारा जातीय गणना के लिए आरक्षित वर्गों की चार सूची बनायी गयी है. इसमें अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अत्यंत पिछड़ा वर्ग एवं पिछड़ा वर्ग की सूची शामिल है. इन सूचियों में शामिल नहीं रहने वाली जातियों को गैर आरक्षित जातियों के अधीन माना जाता है.
मंत्री ने कहा कि गैर आरक्षित जातियों की कोई सूची नहीं है. सवालकर्ता दिलीप कुमार सिंह ने सरकार से जानना चाहा था कि अग्रवाल समाज के लोगों को किस श्रेणी में रखा गया है.इस पर भाजपा के दिलीप जायसवाल ने कहा कि अग्रवाल समाज की परिभाषित किया जाये. वे अग्रहरि वैश्य से संबंध रखते हैं.
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इस चर्चा को आगे बढ़ाते हुए जदयू के ललन सर्राफ ने कहा कि वे भी अग्रवाल समाज से आते हैं. वर्ष 1889 में ही यह तय हो गया था कि अग्रवाल और अग्रहरि वैश्य समाज एक हैं. इनका पेशा कृषि और व्यापार है. गृह सचिव रहने के दौरान आमिर सुबहानी ने भी एक पत्र जारी किया था जिसमें इस संबंध में जिक्र किया गया था.
सामान्य प्रशासन विभाग ने पिछड़े वर्गों की जो सूची जारी की है, उसमें अग्रहरी वैश्य को क्रमांक 20 पर रखा है. इसके मुताबिक अग्रहरी वैश्य समाज के लोगों को राज्य में पिछड़े वर्ग की सूची में बनिया कैटेगरी की उप जाति में शामिल किया गया है. सामान्य प्रशासन विभाग ने इसे बेवसाइट पर रखा है.
Published By: Thakur Shaktilochan