Bihar News: बिहार की राजधानी पटना में डेंगू के फिर 100 से अधिक मरीज मिले है. राज्य में डेंगू का प्रकोप लगातार जारी है. मुजफ्फरपुर से लेकर भागलपुर में डेंगू ने लोगों को परेशान कर दिया है. पटना में डेंगू के 123 नये मरीज पाए गए है. इसके साथ ही जिले में डेंगू मरीजों की संख्या बढ़कर 7664 हो गयी है. सबसे अधिक पाटलिपुत्र अंचल में 41, बांकीपुर में 26, अजीमाबाद में 11, न्यू राजधानी अंचल में 18 नये मरीज मिले हैं. मुजफ्फरपुर जिले में भी फिर डेंगू के नौ मरीज मिले है. इनमें एक कांटी, चार मुशहरी, दो औराई और दो शहरी क्षेत्र के हैं. इस तरह जिले में अब तक मिले मरीजों की संख्या 482 हो गयी है. इनमें चार मरीजों की मौत हो चुकी है. पिछले डेढ़ महीने से जिले में डेंगू का का प्रकोप लगातार जारी है.
डेंगू के प्रसार को रोकने के लिए स्वास्थ्य विभाग लगातार फॉगिंग और टेमाफोस दवाओं का छिड़काव करा रहा है. गुरुवार को जिला वेक्टर बॉर्न डिजीज कंट्रोल पदाधिकारी डॉ सतीश कुमार ने डेंगू को लेकर जानकारी दी है. उन्होंने कहा है कि काली कोठी में में डेंगू मरीज के घर के चारों तरफ दवा का छिड़काव कराया गया. इसके अलावा शहर के अन्य इलाकों में भी टेमीफोस दवा का छिड़काव कराया जा रहा है.
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मुजफ्फरपुर में फिर डेंगू के नौ मरीज मिले है. यहां डेंगू के डंक ने सभी को परेशान कर दिया है. इसमें एक कांटी, चार मुशहरी, दो औराई और दो शहरी क्षेत्र के हैं. इस तरह जिले में अब तक मिले मरीजों की संख्या चार सौ के पार हो गयी है. इनमें चार मरीजों की मौत भी हो चुकी है. पिछले डेढ़ महीने से जिले में डेंगू का का प्रकोप लगातार जारी है. डेंगू का प्रसार रुके, इसके लिये स्वास्थ्य विभाग की ओर से लगातार फागिंग और टेमाफोस दवाओं का छिड़काव हो रहा है.
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वहीं, भागलपुर के नारायणपुर पीएचसी के एंबुलेंस चालक शाहपुर निवासी चंदन कुमार डेंगू की चपेट में आ गया है. जिसका इलाज पीएचसी में करवाया जा रहा है. चिकित्सकों ने बताया कि चालक तीन दिनों से बीमार थे. इसके बाद जांच में डेंगू के लक्षण पाये गये हैं. इनका इलाज किया जा रहा है. इस बार नवंबर के महीने मं भी डेंगू ने सभी को परेशान कर दिया है. वहीं, अक्टूबर के महीने में पिछले साल के मुकाबले अधिक केस देखने को मिले है. संभावना जताई जा रही है कि छठ के बाद ठंड आने से इस बीमारी के प्रकोप में कमी आ सकती है.
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वहीं, मुजफ्फरपुर में डेंगू के बाद एंडोमेट्रियोसिस बीमारी महिलाओं में तेजी से बढ़ रहा है. यह यूट्रस के अंदर पाये जाने वाली टिशु एंडोमेट्रियम के कारण होता है. यह टिश्यू यूट्रस के बाहर फैलने लगता है, तो यह बीमारी हो जाती है. इन दिनों इसे बीमारी से पीड़ित महिलाओं की संख्या बढ़ी है. स्त्री रोग विशेषज्ञों के पास दो-तीन मरीज रोज पहुंच रहे हैं. डॉक्टरों की मानें, तो करीब 20 प्रतिशत तक महिलाएं इस बीमारी का शिकार हो रही हैं. इस बीमारी में महावारी का खून पेट में जमा होने लगता है और इस कारण पेट के विभिन्न अंग बच्चेदानी और फैलोपियन ट्यूब आपस में चिपकने लगता है. इस कारण माहवरी में दर्द अधिक होता है. अगर दर्द की दवा से आराम नहीं होता है, तो हारमोंस दिया जाता है. जिन महिलाओं को निसंतानता है और दवा से दर्द ठीक नहीं हो रहा है, उन्हें लेप्रोस्कोपिक सर्जरी से ठीक किया जाता है. अंडाशयों और बाकी अंगों के आसपास जमे हुए रक्त को हटा दिया जाता है. इससे इस क्रिया में मुड़े हुए अंगों को उनकी पुरानी जगह लाया जाता है. इससे दर्द में आराम होता है और मां बनने की संभावना बढ़ जाती है.