Diwali 2023: दिवाली में प्रदूषण से निपटने की तैयारी लगातार की जा रही है. इस साल बाजारों में फैंसी पटाखों की संख्या कम होने वाली है. वहीं, मालूम हो कि आतिशबाजी पर प्रशासन की कड़ी नजर है. बताया जा रहा है कि इस बार लोगों को दिवाली पर प्रदूषण से ज्यादा समस्या नहीं होने वाली है. कोर्ट से लेकर सरकार तक ने पटाखों पर सख्ती दिखाई है. इसके बाद इस बार बिहार में करीब 90 फीसदी बाजार पर ग्रीन पटाखों की बिक्री होगी. वहीं, लोगों के बीच भी प्रदुषण को लेकर ग्रीन पटाखों की मांग बढ़ चुकी है. बता दें कि यह समान्य पटाखों की तुलना में कम प्रदूषण करते हैं. ग्रीन पटाखे पर्यावरण के लिए सही होता है. वहीं, दिवाली के दौरान पटाखों की वजह से प्रदूषण में बढ़ोतरी भी देखने को मिली है.
पटना के दुकानदार भी इको- फ्रेंडली पटाखों का स्टॉक मंगवा रहे हैं. दुर्गा पूजा के खत्म होते ही दीपावली की तैयारी शुरु हो चुकी है. इस बार ग्रीन पटाखों के जलने से प्रदुषण कम होगा. दुकानों में तरह- तरह के ग्रीन पटाखे आने लगे है. ग्रीन पटाखों के बारे में बता दें कि इसमें तेज आवाज नहीं होता है. इससे धुंआ भी कम निकलता है. इस बार निरी की ओर से प्रमाणित ग्रीन पटाखा ही बाजार में आएगा. इसी का निर्माण होगा. यह ऐसे पटाखे होते है, जिसके कारण प्रदूषण का कारण कम होता है. वहीं, बताया जा रहा है कि इस बार पटाखों पर महंगाई की मार का असर भी पड़ेगा. वहीं, इस बार बाजारों में पिछले साल के कुछ पुराने आइटम भी बाजारों में उपलब्ध होंगे.
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दुकानदार बताते है कि कारोबार को लेकर थोक और फुटकर मौसमी कारोबारी अब पहले की तरह उत्साहित नहीं है. पटना में बढ़ते वायु प्रदूषण, प्रशासन की सख्ती और ग्राहकों की कमी से थोक व्यापारियों ने उत्पाद क्षेत्रों से पटाखा के नये आइटम बहुत कम मंगाये हैं. ऐसे में फैंसी और बहुत ज्यादा वेरायटी वाले पटाखों की संख्या इस बार कम होने वाली है. जानकारी के अनुसार इस बार पटाखों पर महंगाई की मार है. कागज के दाम में बढ़ोतरी के बाद पटाखों के दाम में भी इजाफा हुआ है. इस कारण लोगों को महंगाई की मार झेलनी पड़ेगी. वहीं, ग्रीन पटाखों के निर्माण में फुल के पार्ट्स आदि चीजों का इस्तेमाल किया जाता है. इस कारण इसके दाम अधिक होते है. बताया जा रहा है कि फैंसी आइटम वाले अधिकांश पटाखा 350 -2800 रुपये के बीच प्रति पैकेट मिल रहा है. इसके अलावा बच्चों के आइटम भी 250- 9500 रुपये के बीच बिक रहा है. कारोबारियों ने जानकारी दी है कि ग्रीन पटाखा की मापदंड के अनुकूल तैयार पटाखा में काफी ज्यादा सेफ्टी है. सुरक्षा के लिहाज से आतिशबाजी की छींटा तेजी से नहीं उड़े है, इसका ख्याल रखने के साथ किसी को हानि नहीं पहुंचे ऐसे सुरक्षात्मक शैली में इन्हें तैयार किया जा रहा है. पर्यावरण का खास ख्याल रखा जा रहा है. यह पर्यावरण के लिए अधिक घातक नहीं है. यह एक बड़ा कारण है कि बाजारों में इन पटाखों की डिमांड बढ़ी है.
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बताया जाता है कि पटाखों पर पिछले दस वर्षो से अधिक समय से नकेल कसा जा रहा है. इस दौरान प्रशासनिक छापेमारी में दो दर्जन से अधिक दुकानों को सील करने और न्यायालय के आदेश के बाद दुकानों को खुलने की अनुमति मिलती है. पर्व के दौरान कारोबार के लिए प्रशासन की ओर से अस्थायी लाइसेंस मौसमी फुटकर कारोबारियों को उपलब्ध कराया जाता है. वहीं, इस बार अधिकतर कंपनियों की ओर से ग्रीन पटाखों का ही निर्माण किया गया है. मालूम हो कि आतिशबाजी के कारोबार पर प्रशासन की सख्ती का असर पड़ता है. बताया जाता है कि पटाखों के पैकेट पर क्यू आर कोड भी बनाया गया है. इसके जरिए निर्माण कंपनी के बारे में जानकारी ली जा सकती है. वहीं, दूसरे पटाखों की तुलना में ग्रीन पटाखे 50 फीसदी तक महंगे होते है. इसका करोड़ों का कारोबार होता है. यह लोगों के लिए सुरक्षित भी होता है.