बिजली हानि पर रोक लगाने को लेकर बिजली कंपनियां एनर्जी अकाउंटिंग में जुटी हैं. इसके तहत फीडर से लेकर डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफॉर्मरों पर मीटर लगाये जा रहे हैं. इससे बिजली कंपनियों को इनके माध्यम से होने वाली बिजली आपूर्ति की सटीक जानकारी मिले सकेगी. कंपनियों के मुताबिक वर्तमान में सूबे के 33 केवी फीडरों में 1528 और 11 केवी फीडरों में 3993 मीटर लगाये जा चुके हैं. लेकिन, करीब 2.77 लाख से अधिक डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफॉर्मरों पर मीटर लगाने की रफ्तार थोड़ी धीमी है. कंपनियों ने ही 2022 में ही इसे पूरा करने का लक्ष्य रखा था, लेकिन करीब आधे डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफॉर्मर पर अब तक मीटर नहीं लग सके हैं.
हर महीने खपत की करनी थी समीक्षा
दरअसल सूबे को मिलने वाली बिजली की एक तिहाई (33 फीसदी) हिस्सा ग्रिड व सबस्टेशनों से घर तक पहुंचने में गायब हो जाती है. कंपनियों को इस हिस्से का राजस्व नहीं मिल पाता. मीटर लगाने का उद्देश्य यही है कि किस फीडर या किस डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफॉर्मर से कितनी बिजली आपूर्ति की गयी और उसके विरुद्ध कितने की बिलिंग व कितना कलेक्शन हुआ? हर महीने के अंतिम सप्ताह में इसकी समीक्षा का प्रावधान है. लेकिन, डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफॉर्मरों पर अब तक मीटर नहीं लगने से यह संभव नहीं हो पा रहा.
बिजली चोरी के इलाकों की मिलेगी जानकारी
डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफॉर्मर पर मीटर लगने से बिजली चोरी के मुहल्लों को चिह्नित करने में भी कंपनी को मदद मिलेगी. ऐसे इलाकों पर इंजीनियरों को विशेष ध्यान देकर बिलिंग और कलेक्शन को बढ़ाने का निर्देश है. बिजली कंपनियों के मुताबिक कुल आपूर्ति के करीब आठ फीसदी बिजली का राजस्व सही ढंग से बिलिंग या कलेक्शन नहीं हो पाने की वजह से नहीं मिल पाता है. साउथ बिहार डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी ने डिस्ट्रीब्यूशन लॉस को 2024-25 तक 16.45 फीसदी तक लाने, बिलिंग एफिशियंसी वर्तमान 74 फीसदी से 84 फीसदी तक पहुंचाने और कलेक्शन एफिशियंसी 88 फीसदी से 96 फीसदी लाने की लक्ष्य रखा है. इसी तरह, नॉर्थ बिहार डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी ने डिस्ट्रीब्यूशन लॉस को 2024-25 तक 18 फीसदी, बिलिंग एफिशियंसी 78 से 85 फीसदी और कलेक्शन एफिशियंसी 96 फीसदी से 97 फीसदी तक ले जाने की बात कही है.