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बिहार के किसान खेतों में धान रोपनी के लिए पर्याप्त पानी नहीं होने से चिंतित, अब तक सिर्फ सात फीसदी हुई रोपाई

इस समय तक आम तौर पर लगभग 20 से 25 फीसदी तक धान रोपनी हो जाया करती थी. लेकिन इस वर्ष कम बारिश के कारण अब तक महज सात फीसदी ही रोपनी हो पाई है. खेतों में धान रोपनी लायक पानी नहीं होने की वजह से ऐसा हुआ है.

पटना. राज्यभर में 80 फीसदी खेतों में धान के बिचड़े डाले जा चुके हैं. मगर, राज्य में अब तक ओवरऑल महज सात फीसदी ही धान की रोपनी हुई है. इस समय तक आम तौर पर लगभग 20 से 25 फीसदी तक धान रोपनी हो जाया करती थी. लेकिन इस वर्ष कम बारिश के कारण खेतों में धान रोपनी लायक पानी नहीं है. वर्षा जल पर आश्रित किसान अब तक धान की रोपनी नहीं शुरू कर पाए हैं. निजी संसाधनों से खेतों में पानी का जुगाड़ करने वाले किसानों के खेतों में ही धान की रोपनी शुरू हो सकी है.

कृषि विभाग की एक रिपोर्ट के अनुसार, किशनगंज, पश्चिमी चंपारण तथा पूर्वी चंपारण में 100 फीसदी धान के बिचड़े पड़ चुके हैं. पूर्णिया प्रमंडल में 90, तिरहुत में 80 तथा सहरसा में 85 फीसदी से भी अधिक धान के बिचड़े डाले गये हैं. एक जुलाई को मुंगेर में 25, भागलपुर में 20 से 25 तथा मगध में 55 प्रतिशत धान के बिचड़े डाले गये थे. अब इन क्षेत्रों की भी स्थिति सुधर गयी है.

18 दिनों में स्थिति सुधरी, मगर चिंता बरकरार

राज्यभर में जून माह में भीषण गर्मी पड़ने के कारण धान की खेती पर गहरा संकट आ गया था. लेकिन, बीते 18 दिनों के अंदर धान की खेती में सुधार हुआ है, मगर चिंता अभी भी बरकरार है. बीते 17 जून तक राज्य में 22.7 फीसदी ही धान के बिचड़े डाले गये थे. जून के अंतिम दिनों में बारिश होने से इसमें इजाफा हुआ. 18 दिनों में 22 फीसदी से बढ़कर 80 फीसदी धान के बिचड़े डालने का आंकड़ा पहुंच गया है

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