अभियान बसेरा के तहत बिहार में 21,597 वास भूमि रहित परिवारों को दिसंबर माह तक जमीन उपलब्ध कराने का लक्ष्य विभाग के समक्ष है. इसके लिए सभी एडीएम को अगले 15 दिनों में जिलावार सूची तैयार करने का निर्देश दिया गया. सोमवार को राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की एडीएम की बैठक में विभाग के मंत्री आलोक कुमार मेहता ने कहा कि बंटवारे से या फिर परिवार बढ़ने से जो परिवार वास भूमि विहीन हो गये हैं, उन्हें घर बनाने के लिए जमीन उपलब्ध कराना हमारी प्राथमिकता है.
अपर मुख्य सचिव ब्रजेश मेहरोत्रा ने सभी एडीएम को 30 जून तक लंबित दाखिल खारिज के मामलों की संख्या शून्य करने का निर्देश दिया. कहा कि बासगीत विहीन लोगों की सूची में पूर्व के सर्वे के बाद बचे हुए लोगों के नाम दर्ज रहेंगे, ताकि जरूरतमंदों की सूची बनाने और उन्हें वास भूमि उपलब्ध कराने का लक्ष्य हासिल करने में सहूलियत हो. बैठक में विभाग के सचिव जय सिंह के अलावे निदेषक भू अर्जन सुशील कुमार और सभी संयुक्त सचिव के अलावा सभी 38 जिलों के अपर मुख्य सचिव मौजूद थे.
विभाग ने कहा कि छूटे हुए परिवारों का ताजा सर्वे करने के लिए मोबाइल एप की मदद ली जा रही है. दोनों प्रकार से जिन वास भूमिहीन परिवारों का पता लगेगा उन्हें पांच डिसमिल वास की भूमि उपलब्ध करायी जायेगी. यह जमीन भूमिहीन लोगों को गांव में या फिर उसके बिल्कुल पास के गांव में दिया जाएगा. बैठक में अपर मुख्य सचिव ने दाखिल-खारिज के लंबित मामलों की विस्तार से जिलावार समीक्षा की. उन्होंने सभी अपर समाहर्ताओं को अपने जिले के अंचलों की जूम पर साप्ताहिक बैठक करने का निदेश दिया, ताकि लंबित मामलों की संख्या में कमी आये.
2023-24 में मुजफ्फरपुर के पारू अंचल में अब तक मात्र 2.39 फीसदी दाखिल खारिज केस को निपटाने को लेकर उन्होंने मुजफ्फरपुर के अपर समाहर्ता को नोटिस दिया. इसी तरह के भोजपुर के संदेश और जहानाबाद के घोसी अंचल में भी इस वित्तीय वर्ष में दाखिल खारिज के निष्पादन की गति बेहद कम पायी गयी.
इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव ने यह भी कहा कि अगले दो माह में राज्य के सभी राजस्व कर्मचारियों को लैपटॉप उपलब्ध करा दिया जायेगा. इससे लंबित वादों की संख्या को कम करने में सहूलियत होगी. कई जिलों से यह शिकायत भी मिली कि सीओ या फिर आरओ के छुटटी पर जाने के कारण उनके हिस्से का काम लंबित हो जाता है, इस पर अपर मुख्य सचिव ने कहा कि दोनाें पदों में एक पर भी अगर कोई अधिकारी है तो वो अवकाष पर गए अधिकारी का कार्य भी देखेगा.
दाखिल खारिज की जिलावार समीक्षा में बिना किसी वाजिब कारण के लंबित मामलों की संख्या सर्वाधिक पटना जिले में पायी गयी. बगैर किसी कारण के 19 मई तक तक पटना जिले में दाखिल खारिज के 10,094 मामले लंबित पाये गये. पटना जिले के 10094 लंबित मामले में सबसे अधिक आरओ स्तर पर 3080, आम सूचना-खास सूचना के स्तर पर 1022, क्लर्क के स्तर पर 617 और अंचल अधिकारी के स्तर पर 5375 मामले लंबित पाये गये.
सबसे कम 486 लंबित मामले लखीसराय में था. जबकि 582 मामले के साथ बांका जिला दूसरे स्थान पर रहा. दूसरे स्थान पर 4517 के साथ रोहतास दूसरे स्थान पर है. जबकि 4281 के साथ मुजफ्फरपुर जिला तीसरे स्थान पर था.
Also Read: बिहार में साढ़े सात हजार विशेष शिक्षकों की होगी नियुक्ति, टीइटी और एसटीइटी पर निर्णय जल्द
अतिक्रमण के मामले की जिलावार समीक्षा में पाया गया कि पूरे राज्य में कुल 6972 अतिक्रमण के मामले विभाग के संज्ञान में है. इसमें 4556 मामले का निष्पादन कर दिया गया है. इसके लिए कुल 4316 अतिक्रमणों को हटाया गया है.लेकिन अभी भी 2416 मामले लंबित है. इसमें सर्वाधिक 315 मामले नालंदा जिले से संबंधित हैं. अपर मुख्य सचिव ने अतिक्रमण के मामले को गंभीरता से लेते हुए तत्काल कार्रवाई करने का निदेश दिया.