बिहार में सोमवार से शुरू हो रहे बजट सत्र के पहले दिन बिहार का आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 विधानमंडल में पेश किया जाएगा. बिहार की अर्थव्यवस्था प्री-कोविड स्थीति में पहुंच गयी है. बिहार तेजी से बढ़ने वाले राज्यों की श्रेणी में पहुंच गया है. वहीं, राज्य का विकास दर भी दो अंकों में पहुंच गया है. पिछले वर्ष की तुलना में राज्य की अर्थव्यवस्था 10.98% की दर से बढ़ रही है. राज्य की आर्थिक सेहत में सुधार का सीधा असर प्रति व्यक्ति आय पर पड़ा है. प्रति व्यक्ति आय वित्तीय वर्ष 2020-21 की तुलना में वित्तीय वर्ष 2021-22 में 9.4 प्रतिशत की तेजी से बढ़ा है.
वित्तीय वर्ष 2020-21 में जो प्रति व्यक्ति आय 28127 रुपये थी, वित्तीय वर्ष 30779 में ये बढ़कर 30779 रुपये हो गयी. इस तरह प्रति व्यक्ति आय 2652 रुपये बढ़ी है. हालांकि, वितीय वर्ष 2020-21 की तुलना में 5.60% में कमी आयी थी. वहीं वर्तमान मूल्य पर इस अवधि में प्रति व्यक्ति आय 43605 रुपये से बढ़कर 49670 रुपये हो गयी है. यानी वर्तमान मूल्य पर पिछले साल की तुलना में प्रति व्यक्ति आय 6065 रुपये बढ़ी है. यानी वर्तमान मूल्य पर यह बढ़ोतरी 13.5% रही. उल्लेखनीय है कि 2020-21 में बिहार की जीडीपी स्थिर मूल्य पर 3,85,728 करोड़ थी जो 2021-22 में बढ़कर 4,28,065 करोड़ पर पहुंच गई. वहीं वर्तमान मूल्य पर जीडीपी 533583 करोड़ थी जो कि बढ़कर 614431 करोड़ हो गयी है.
बिहार कृषि प्रधान राज्य है. जाहिर है कि राज्य की अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने में कृषि का महत्वपूर्ण योगदान है. 2021-22 में राज्य की अर्थव्यवस्था में कृषि के क्षेत्र की हिस्सेदारी 21.1 प्रतिशत रही. वही,सर्विस सेकटर मे भी जबरदसत बढ़ोतरी हो रही है. होटल, रेसटोरेट, कारोबार और मरममत तथा रखरखाव संबंधी सेवा ने इसमें 60% फीसदी की भागीदारी निभायी है. राज्य की आर्थिक गतिविधियां बढ़ी तो रोजगार के अवसर भी पैदा हो रहे हैं. धीरे-धीरे राज्य की बेरोजगारी दर भी कम होने लगा है. जानकार बताते हैं कि कृषि और उससे संबद्ध गतिविधियों के विकास की राज्य में पूरी संभावना है.यह रोजगार, विकास और समृद्धि के प्रसार में काफी योगदान दे सकता है.लाजिस्टिक का क्षेत्र प्रदेश में बड़ी भूमिका निभाता दिखाई दे रहा है. हाल के दिनों में राज्य की ओर से इस दिशा में प्रयास भी हुए हैं.