Bihar Politics: हम पार्टी के संरक्षक व पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी व उनके बेटे पूर्व मंत्री संतोष सुमन की मुश्किलें बढ़ सकती है. बगावत के बाद महागठबंधन से अलग हुए जीतन राम मांझी व संतोष सुमन के कामों की जांच अब सरकार करवाएगी. इसकी जानकारी राज्य के एससी-एसटी कल्याण मंत्री रत्नेश सदा ने दी जिन्होंने संतोष सुमन के इस्तीफे के बाद इस विभाग को बतौर मंत्री संभाला है.
राज्य के एससी-एसटी कल्याण मंत्री रत्नेश सदा ने कहा है कि पूर्व सीएम जीतन राम मांझी और मंत्री रहे उनके बेटे संतोष कुमार सुमन के कामकाज की जांच होगी. अनुसूचित जाति जनजाति कल्याण मंत्री बनने के बाद पहली बार गया पहुंचे रत्नेश सदा ने शुक्रवार की शाम सर्किट हाउस में प्रेस काॅन्फ्रेंस कर अपने विभाग में पूर्व के वर्षों में मंत्री रह चुके पूर्व सीएम जीतनराम मांझी व उनके बेटे विधान पार्षद सह पूर्व मंत्री डॉ संतोष कुमार सुमन के कामकाज की जांच कराने की बात कही.
मंत्री ने कहा कि इस विभाग में दोनों पिता-पुत्र अरसे से मंत्री रहे हैं. उन्होंने कहा कि दोनों के कामकाज की जांच करने का आदेश अपने सेक्रेटरी को दे दिया है. जीतनराम मांझी व संतोष सुमन की ओर इशारा करते हुए मंत्री ने कहा कि गया से इनका सूफड़ा साफ कर देंगे. इन दोनों ने उस समाज (दलित-महादलित) के साथ धोखा किया है, जो सदियों से अंधेरे में था.
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मंत्री रत्नेश सदा ने दलित-महादलितों की ओर इशारा करते हुए कहा कि आजादी के बाद अगर इस वंचित समाज को कोई देखा, तो वह हैं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार. 2005 में सत्ता में आने के बाद दलित-महादलित समाज के बारे में सोचा. इस समाज के हाथों में ताकत दी. सदा ने कहा कि उनकी सादगी को देखते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उन्हें नयी जिम्मेदारी दी है.
बताते चलें कि जीतन राम मांझी की पार्टी महागठबंधन से अलग हो चुकी है और उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हम पार्टी का विलय जदयू में कराने को कहा इसलिए महागठबंधन से वो अलग हो गए.
Published By: Thakur Shaktilochan