बिहार में एक तरफ जहां महागठबंधन की सरकार बन गयी है और लालू यादव के दोनों बेटे तेज प्रताप यादव व तेजस्वी यादव सत्ता में पद पर आसीन हो चुके हैं. वहीं दूसरी तरफ लालू परिवार की मुश्किलें भी बढ़ती नजर आ रही है. आइआरसीटीसी घोटाले की जल्द सुनवाई के लिए सीबीआई ने हाइकोर्ट में अर्जी दाखिल की है. इस घोटाले में उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, लालू यादव, राबड़ी देवी समेत 11 आरोपित हैं.
बिहार में नयी सरकार का गठन हो गया है. तेजस्वी यादव उपमुख्यमंत्री तो तेज प्रताप यादव मंत्री बने हैं. एक तरफ जहां लालू परिवार समेत पूरे राजद खेमें में सत्ता पर काबिज होने की खुशी है तो दूसरी तरफ लालू परिवार के सदस्यों पर संकट के बादल और काले होते नजर आ रहे हैं. दरअसल, लालू यादव, तेजस्वी यादव और राबड़ी देवी समेत 11 लोग बहुचर्चित आइआरसीटीसी होटल घोटाले में आरोपित हैं और इस मामले की सीबीआइ जांच चल रही है.
सीबीआई ने चार साल पहले ही इस मामले में चार्जशीट स्पेशल सीबीआई कोर्ट में दायर किया है. वहीं अब सीबीआई ने उच्च न्यायालय में अर्जी दाखिल की है जिसमें इस मामले की जल्द सुनवाई की मांग की है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इस मामले से जुड़े एक आरोपित विनोद कुमार आस्थाना की याचिका पर जल्द सुनवाइ करने और फैसला करने की मांग सीबीआई ने अदालत से पिछले हफ्ते की थी. बताते चलें कि अदालत ने आस्थाना की याचिका पर विचार करते हुए 2019 में विशेष अदालत में पेशी से छूट देते हुए निचली अदालत में पेश होने की छूट दी थी.
Also Read: मंत्री नहीं बनाये जाने से जदयू के चार विधायक नाराज, ट्वीट कर सरकार को दिया ये संदेश
गौरतलब है कि इस मामले के एक आरोपित विनोद कुमार आस्थाना ने 2019 में दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर कर सीबीआई की कार्रवाई को चुनौती दी थी. आस्थाना का तर्क था कि एजेंसी ने मामले में उसका नाम शामिल करने से पहले सरकार की मंजूरी नहीं ली थी. ऐसा करना इसलिए जरूरी था क्योंकि जब अपराध हुआ था तब वह एक सरकारी कर्मचारी था. जिसके बाद आस्थाना को निचली अदालत में जाने की छूट दी गयी थी.
आस्थाना के मामले की सुनवाई के बाद इसी तर्ज पर अन्य आरोपितों ने भी अदालत में अर्जी दाखिल कर दी. जिससे इस मामले की सुनवाई में देर होता गया और अब तक इस मामले में आरोपों पर बहस शुरू नहीं हुई थी.
Published By: Thakur Shaktilochan