Bihar में शुरू हुए रामचित मानस विवाद पर महागठबंधन के दो बड़े घटक दल जदयू और राजद आमने सामने हैं. इस प्रकरण पर कांग्रेस, भाकपा माले, माकपा और भाकपा तथा हम ने भी अपनी राय जाहिर की है. किसी दल ने सीधे तौर पर राजद मंत्री प्रो चंद्रशेखर के स्टैंड का समर्थन किया है. वहीं भाकपा ने इस तरह के बयान से बचने की सलाह दी है.
बिहार के शिक्षा मंत्री प्रो. चंद्रशेखर के बयान पर वामदलों के विचारों में भी मतभेद है. भाकपा-माले और माकपा के राज्य सचिव ने इस बयान का समर्थन किया है. भाकपा-माले के राज्य सचिव कुणाल ने कहा है कि कोई भी ग्रंथ आलोचना से परे नहीं है. मनुस्मृति को तो डाॅ. भीमराव अंबेडकर ही खारिज कर चुके हैं, जो हिंदू धर्म में जाति व्यवस्था को सैद्धांतिक स्तर पर सही ठहराता हैै. जहां तक रामचरित मानस की बात है, उसके कई उदाहरण घोर महिला एवं शूद्र विरोधी हैं. ऐसे उदाहरण समाज में दलितों और महिलाओं की दोयम दर्जे की स्थिति को स्थापित करता है, जो आधुनिक मानदंडों के बिलकुल खिलाफ है. क्या इन चौपाइयों से महिलाओं, दलितों व समाज के कमजोर वर्गों की भावना आहत नहीं होती. उन्होंने कहा कि शिक्षा मंत्री की जीभ काटने वालों को 10 करोड़ का इनाम देने जैसी हिंसक व उन्मादी बातें एक बार फिर शुरू हो गयी हैं.
माकपा राज्य सचिव ललन चौधरी ने कहा कि शिक्षा मंत्री द्वारा रामचरित मानस के कतिपय चौपाइयों एवं गोलवलकर की विचारों के गुच्छे के संबंध में की गई टिप्पणी को पूरी तरह सही मानती है. हमारे धर्मग्रंथ,नीतिशास्त्र, दर्शनशास्त्र,साहित्य एक खास सामाजिक, आर्थिक परिस्थितियों की उपज हैं और वे शोषक वर्ग के हितों के पक्ष में है. शिक्षा मंत्री चन्द्रशेखर का जीभ काटने वालों को 10 लाख इनाम देने की घोषणा, मध्यकालीन बर्बरता का द्योतक है और समाज में असहिष्णुता एवं हिंसा का वातावरण पैदा करता है.
भाकपा राज्य सचिव रामनरेश पांडे ने कहा कि किसी भी नेता को इस तरह के बयान से खुद को बचाना चाहिए. हर धर्म के प्रति उस धर्म के लोगों की आस्था और विश्वास होता है. ऐसे में हमें किसी के आस्था पर चोट नहीं करना चाहिए. जहां तक शिक्षा मंत्री का बयान है. उस पर हम यहीं कहेंगे कि जब इस ग्रंथ को लिखा गया होगा. उस समय को आज के समय में मिलाया नहीं जा सकता है.इसके लिए पूरे रामचरित्र मानस का पाठ करना होगा. इस कारण से इस पर धार्मिक रूप से बयानबाजी सही नहीं है.
जदयू के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि शिक्षा मंत्री को महात्मा गांधी का सम्मान करना चाहिए. संविधान निर्माता डॉ भीम राव अंबडकर का तो सम्मान कीजिए. नीरज कुमार ने कहा कि जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत देखी तिन तैसी. जिसकी जैसी भावना होती है, उसे उसी रूप में भगवान दिखते हैं.
रामचरित मानस विवाद में पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी की पार्टी हिन्दुस्तान आवाम मोर्चा (हम) शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के बयान को उचित नहीं मान रही है. हम के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव सह प्रवक्ता राजेश कुमार पांडेय का कहना है कि रामचरित मानस सदी का महाकाव्य है. यह इंसान को जीवन जीने की कई तरह से प्रेरणा देता है. हर चीज के कुछ नकारात्मक पहलू भी होते हैं. रामचरित मानस में दो- तीन संदर्भ नकारात्मक हैं ,लेकिन इनको बतौर उदाहरण देने से बचने की जरूरत है.
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सांसद डा अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा कि लोकतंत्र में लोगों को बोलने की आजादी मिली है. कोइ किसी भी विषय पर अपना विचार रख सकता है. इसी परिप्रेक्ष्य में वह शिक्षा मंत्री प्रो चंद्रशेखर के बयान को देखते हैं. कोई कुछ बोले, उस पर हम नहीं जाते, लेकिन हमलोग तो रामायण पढ़ते-पढ़ते ही बड़े हुए हैं. घर में , बड़े बुजुर्ग को रामायण पढ़ते ही देखते आये हैं.