Kargil Vijay Diwas 2020 पटना: कारगिल की लड़ाई में 29 मई 1999 को सरहद पर बिहार के सपूत नायक गणेश यादव हंसते-हंसते सिने पर दुश्मनों की गोलियां खाकर देश के लिए अपनी शहादत दी थी. परिवार की गृहस्थी की गाड़ी तब से पत्नी पुष्पा बमुश्किल चला रही हैं. कारगिल दिवस जब भी आता है उनकी शहादत की घटना को यादकर पत्नी पुष्पा, पिता रामदेव यादव एवं मां बचिया देवी का कलेजा गर्व से चौड़ा हो जाता है. क्योंकि शहीद नायक गणेश यादव ने जिस बहादुरी से दुश्मनों को मारकर उनके छक्के छुड़ाये थे.उसे सुनकर सभी भारतीय का कलेजा गर्व से चौड़ा हो जायेगा.
पत्नी पुष्पा ने कारगिल युद्ध के अपने संस्मरण को याद करते हुए बताया की शहीद नायक गणेश यादव एक महीने की छुट्टी पर घर आये हुए थे. अचानक उन्हें कंपनी से बुलावा आ गया. छुट्टी में कई दिन शेष बचे थे अचानक लौटने की सूचना पर जब हमलोगों ने पूछा तो गणेश ने सिर्फ इतना बताया की किसी जरूरी काम से बुलाया गया है हमें जाना पड़ेगा.परिवार के लोगों को युद्ध की कोई सूचना और जानकारी भी नहीं थी की कोई रोकता. उनके जाने के बाद जानकारी मिली, लेकिन फिर कोई बात नहीं हुई.
शव के साथ पहुंचे उनके दोस्त ने बताया की गणेश बहुत बहादुर थे. दुश्मनों द्वारा गोलियां चलाई जा रही थी, तब भी एक गोली गणेश के साथ मौजूद उनके दोस्त को लग गयी. अपने सामने उन्हें छटपटाता देखकर गणेश आग बबूला हो उठे. भीषण गोलीबारी में भी वे निडर होकर दुश्मनों पर टूट पड़े. घंटो तक गोलियां चलाईं. इसमें एक गोली उन्हें आ लगी,लेकिन हिम्मत के बड़े वीर थे गणेश.
उन्होने गोली लगने के बावजूद दुशमनों को मार गिराया. जिन्होंने उनके दोस्त को गोली मारी थी. इस सूचना ने पूरी कंपनी के सीने को गर्व से चौड़ा कर दिया था. फौज में जाने के बाद लोगों को अच्छा लगा था की चलो हमारा बेटा देश की सेवा करने गया है, लेकिन 29 मई को शहादत की इस सूचना ने सबको झकझोर कर रख दिया. अब उन्हें इतिहास के पन्नों में वर्षों तक याद किया जायेगा.
Posted by : Thakur Shaktilochan Shandilya