बेंगलुरु में मंगलवार को संपन्न हुई विपक्षी दलों की बैठक के बाद एक चर्चा ने जोर पकड़ा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस बैठक में किसी मुद्दे पर नाराज हो गए और संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में वो इसलिए शामिल नहीं हुए. लेकिन इस चर्चा पर अब जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने विराम लगा दिया है और इस बात को गलत व भ्रामक बताया है. उन्होंने दुष्प्रचार करने का ठीकरा भाजपा के ऊपर फोड़ा है.
जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने मीडिया से बातचीत के दौरान साफ किया कि नीतीश कुमार बेंगलुरु में हुई बैठक में नाराज नहीं हुए. उन्होंने कहा कि ये सब भाजपा के इशारे पर मीडिया ने दुष्प्रचार किया. अफवाह फैलाने में भाजपा का साथ दिया गया. उन्होंने कहा कि पिछले कई दिनों में कई गलत प्रचार किए गए. कहा गया कि राजद में जदयू विलय करने जा रहा है. उसके बाद दुष्प्रचार किया गया कि जदयू और राजद में खटपट है और अब ये बताया जा रहा है कि नीतीश कुमार विपक्षी बैठक से नाराज हैं. भला वो क्यों नाराज हैं.
ललन सिंह ने कहा कि नीतीश कुमार क्यों नाराज होंगे. वो विपक्षी एकता के सूत्रधार हैं और सूत्रधार कभी नाराज नहीं होते. ललन सिंह ने भाजपा नेता सुशील मोदी और पीएम नरेंद्र मोदी पर तीखे हमले भी किए.
बेंगलुरु में विपक्षी दलों की बैठक के बाद जनता दल यूनाइटेड ने ट्वीट कर बताया कि विपक्षी एकता का नया नाम इंडिया होगा. जदयू ने इसका मतलब भी बताया- इंडियन नेशनल डेवलपमेंट इंक्लूसिव अलायंस. राष्ट्रीय जनता दल ने भी ट्वीट कर लिखा- अब प्रधानमंत्री मोदी को इंडिया कहने में भी पीड़ा होगी. विपक्षी दलों का गठबंधन भारत का प्रतिबिंब है.
इधर, सूत्रों से जानकारी मिली है कि बेंगलुरु में विपक्ष की बैठक में नीतीश कुमार ने कुछ सुझाव दिये थे. उन्होंने कहा था कि विपक्ष की अगली बैठक मुंबई में होनी चाहिए. गठबंधन के नाम में ‘भारत’ शब्द होना चाहिए. नीतीश कुमार ने बड़ी बात यह भी कही कि विपक्ष के एक साथ मिलकर चुनाव लड़ने पर 350 सीटों पर जीत होगी. साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे और जीतेंगे. इसके बाद पीएम का नाम तय करेंगे.
वहीं तमिलनाडु के शिक्षा मंत्री और उनके बेटे पर ईडी की छापेमारी पर जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने मंगलवार को ट्वीट कर कहा है कि पालतू तोतों के सहारे विपक्षी एकता तोड़ने, डराने, धमकाने की हर साजिश नाकाम होगी. देश की जनता सब देख रही है कि कैसे अरबों रुपये का घोटाला करने वाले भ्रष्टाचारियों को भाजपा अपने वाशिंग मशीन में डालकर सदाचारी बना रही है. विपक्षी नेताओं के विरुद्ध पालतू तोतों का इस्तेमाल कर उन्हें परेशान किया जा रहा है. देश के 99 फीसदी लोगों ने भाजपा मुक्त भारत बनाने का मन बना लिया है. 2024 में यह साकार होकर रहेगा.
गौरतलब है कि बिहार में जब सियासी समीकरण बदले और जदयू ने खुद को एनडीए से अलग कर लिया तो नीतीश कुमार ने विपक्षी दलों को एकजुट करने की पहल की. बिहार के मुख्यमंत्री दिल्ली व अलग-अलग राज्यों में गए और विपक्षी दलों के नेताओं को एकजुट किया. विपक्षी दलों की पहली बैठक पटना में ही आयोजित की गयी जिसकी मेजबानी खुद नीतीश कुमार ने की. वहीं दूसरी बैठक बेंगलुरु में मंगलवार को आयोजित की गयी. इसकी मेजबानी कांग्रेस कर रही थी. नीतीश कुमार, लालू यादव व तेजस्वी यादव संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में शामिल नहीं रहे जिसके बाद तरह-तरह की चर्चाएं सियासी गलियारे व सोशल मीडिया पर चलने लगीं. बताया जाने लगा कि नीतीश कुमार किसी कारणवश नाराज हो गए और लौट गए. लेकिन ललन सिंह ने इन बातों को अफवाह और आधारहीन बताया है.
बता दें कि भाजपा सांसद सुशील मोदी ने ये दावा किया था कि नीतीश कुमार विपक्षी दलों के संयोजक नहीं बनाए जाने से नाराज हैं. वो पहले ही बैठक निकल आए और संयुक्त प्रेस वार्ता में भी शामिल नहीं हुए. सुशील मोदी ने पटना बैठक में अरविंद केजरीवाल का उदाहरण दिया और बताया कि नीतीश कुमार भी नाराज होकर ही लौटे हैं. हालाकि जदयू नेताओं का कहना है कि किसकी क्या भूमिका होगी, इसपर मुंबई में होने वाली अगली बैठक पर बात बनेगी. दूसरी ओर ललन सिंह ने सुशील मोदी को निशाने पर लिया और उनपर ताबड़तोड़ हमले किए. ललन सिंह ने कहा कि नीतीश कुमार नाराज नहीं हैं. वही तो इस बैठक के सूत्रधार हैं.
Published By: Thakur Shaktilochan