बिहार के राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग को संदेह है कि राज्य में ऑनलाइन म्युटेशन शुरू होने के बाद कर्मियों ने गलत तरीके से इनकी ऑनलाइन इंट्री कर गलत तरीके से पंजी- दो पर चढ़ा दी है. जिसके बाद अब 10 लाख संदिग्ध जमाबंदियों (म्यूटेशन) की ठीक से जांच करने का निर्देश दिया है. राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव ब्रजेश मेहरोत्रा ने भूमि सुधार उप समाहर्ताओं (डीसीएलार) की मासिक समीक्षा बैठक में इन जमाबंदियों की समुचित तरीके से जांच करने का निर्देश दिया है. इसी बैठक में संदिग्ध जमाबंदी का मामला सामने आया था.
अपर मुख्य सचिव ने उपसमाहर्ताओं को दिए कई निर्देश
ब्रजेश मेहरोत्रा ने कहा कि भूमि सुधार उपसमाहर्ता गलत या संदेहास्पद जमाबंदियों के कायम होने के आधार की मांग संबंधित अंचलों से करें. गलत पाये जाने पर उन्हें निरस्त करने की अनुशंसा के साथ अपर समाहर्ता के पास अभिलेख भेज दें. अपर मुख्य सचिव ने सभी भूमि सुधार उपसमाहर्ताओं को यह भी कहा कि तय समय के बाद अंचलों में लंबित दाखिल-खारिज के मामलों की अलग से समीक्षा कर लें. उसके लिए जिम्मेदार कर्मी की पहचान कर उचित कार्रवाई करें.
क्यों लिया गया निर्णय?
बैठक में सभी भूमि सुधार उपसमाहर्ता को निर्देश दिया कि वे अपने अधीन अंचलों की जमाबंदी पंजी को अपने पास मंगाकर ठीक से जांच करें. जांच में जमाबंदी पंजी में अगर खाली पन्ने मिले, तो उसको क्रॉस कर दें. इसके खाली पन्नों में राजस्व कर्मचारी द्वारा किसी नयी जमाबंदी का सृजन नहीं किया जा सके. इसी प्रकार के अंचलों में संधारित जमाबंदी पंजियों में पंजी के शुरू और मध्य में खाली पन्ने मिलने की शिकायत मिली थी. उस पर बाद में गलत तरीके से नयी जमाबंदी सृजित होने की आशंका है. इसके मद्देनजर यह निर्णय लिया गया है.
मामले का निष्पादन करने में ये अनुमंडल सुस्त
समीक्षा में पाया गया कि छह अनुमंडलों में वहां के भूमि सुधार उपसमाहर्ताओं ने पिछले दो महीने में एक भी मामले का निष्पादन नहीं किया है. इन अनुमंडलों के नाम हैं मधेपुरा, उदाकिशुनगंज, झंझारपुर, मधुबनी, सोनपुर और बेलसंड. इसी तरह तीन अनुमंडलों किशनगंज, मुजफ्फरपुर पूर्वी और मढौरा में मात्र एक-एक मामले का निष्पादन पिछले दो माह में किया गया है.
कम- से -कम दो दिन कोर्ट करने का निर्देश
भूमि सुधार उपसमाहर्ताओं द्वारा किये जा रहे कोर्ट की समीक्षा में पाया गया कि पिछले दो माह में सीतामढ़ी के बेलसंड और मधुबनी के झंझारपुर में मात्र एक दिन ही कोर्ट किया गया है. उसी तरह कटिहार के मनिहारी और मधेपुरा सदर के भूमि सुधार उपसमाहर्ता द्वारा पिछले दो माह में मात्र दो दिन ही कोर्ट किया गया, जबकि सप्ताह में कम- से -कम दो दिन कोर्ट करने का निर्देश है. सबसे खराब परफॉर्मेंस देनेवाले तीन भूमि सुधार उपसमाहर्ताओं को कारण बताओ नोटिस दिया गया.
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एन्कंब्रेंस पोर्टल से जमीन पर फर्जी तरीके से कई बार लोन लेने पर लगेगा लगाम
अब एक जमाबंदी का फर्जी तरीके से कई लोगों को रजिस्ट्री करने और एक जमाबंदी पर कई बार लोन लेने पर लगाम लगेगा. इसके लिये राज्य सरकार के भूमि एवं राजस्व विभाग ने एक विशेष पोर्टल तैयार किया है.इसका नाम एन्कंब्रेंस पोर्टल है. इस पोर्टल पर राज्य के करीब 4.50 करोड़ जमाबंदी अपलोड किये गये है. अब जमीन खरीदने वाले या लोन देने वाला बैंक इस बात का आसानी से पता लगा सकते हैं कि खास जमाबंदी का मालिक कौन है. इस जमीन के इस प्लाॅट पर कोई कानूनी अड़चन या पहले से लोन है कि नहीं. इसके लिये संबंधित व्यक्ति या बैंक को इस पोर्टल पर लॉग इन करके एन्कंब्रेंस सर्टिफिकेट डाउनलोड करना होगा. हालांकि भूमि एवं राजस्व विभाग के सचिव जय सिंह का कहना है कि अभी तक बहुत ही कम ही बैंक इस पोर्टल के लिये लॉग इन आइडी बनाये हैं.
क्या है एन्कम्ब्रेेंस और एन्कम्ब्रेंस सर्टिफिकेट
एन्कम्ब्रेेंस सर्टिफिकेट एक दस्तावेज है, जो इस बात का सबूत होता है कि क्या कोई प्रॉपर्टी कानूनी अड़चन या वित्तीय बोझ से मुक्त है या नहीं. यह सर्टिफिकेट आपको यह भी बताएगा कि क्या प्रॉपर्टी बैंक के पास गिरवी रखी है या नहीं. इससे प्रॉपर्टी के वर्तमान मालिक कौन है और जबसे प्रॉपर्टी बनी है, यह कितने लोगों के पास रह चुकी है,इसकी भी जानकारी मिलती है. जब आपको यह दस्तावेज मिलेगा तो आपको मालूम चल जाएगा कि आप असली मालिक के साथ ही डील फाइनल कर रहे हैं और प्रॉपर्टी पर कोई कानूनी विवाद या फिर वित्तीय बोझ तो नहीं है.
बिहार समेत छह राज्यों में ही अभी तक एन्कम्ब्रेंस पोर्टल
अभी देश में बिहार समेत छह राज्य ही एन्कम्ब्रेंस पोर्टल विकसित किया है.इसमें बिहार, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, केरल, ओडिशा, पुडुचेरी और तमिलनाडु.
आम लोगों के साथ-साथ बैंकों को भी होगा फायदा
राज्य में बड़े पैमाने पर जमीन की खरीद बिक्री होती है. फर्जीवाड़ा करने वाले एक ही जमीन को कई लोगों के बेच देते हैं. लेकिन एन्कम्ब्रेंस पोर्टल बन जाने से इस फर्जीवाड़ा पर रोक लगने की संभावना है. वहीं बैंक को जमीन के वास्तविक मालिक का पता चल जायेगा.