मनोज कुमार, पटना. बिहार के सहकारी बैंकों की ओर से मनमानी तरीके से ऋण की रकम को एनपीए (नॉन परफोर्मिंग एसेट्स) करने का मामला उजागर हुआ है. ऋण की लगभग 129 करोड़ रकम नियमों की अनदेखी कर बैंकों ने एनपीए कर दिया है. इनमें खगड़िया, मोतिहारी, बेगूसराय व वैशाली टॉप पर हैं. खगड़िया में 26 फीसदी, मोतिहारी में 18 प्रतिशत, बेगूसराय में भी 18 फीसदी तथा वैशाली में 16 प्रतिशत तक ऋण की रकम एनपीए कर दी गयी है.
आरबीआइ के नियम के अनुसार कुल ऋण का पांच फीसदी ही एनपीए होना चाहिए था. शेष रकम की वसूली करनी है. मामला सामने आने के बाद सहकारिता विभाग के अपर मुख्य सचिव ने इन जिलों को पांच फीसदी तक एनपीए का आंकड़ा लाने का निर्देश दिया है. वहीं, अन्य जिलों में भी दस फीसदी तक ऋण को एनपीए कर दिया गया है. सचिव ने इसमें भी सुधार करने का निर्देश दिया है.
गौरतलब है कि बैंकों की ओर से दिये गये ऋण की वसूली नहीं होने पर बैंक इसे फंसा हुआ कर्ज मानकर एनपीए (नॉन परफोर्मिंग एसेट्स) घोषित कर देता है. कई बार आरोप लगते हैं कि बैंक और ऋण धारक की मिलीभगत से भी ऐसा किया जाता है.
मोतिहारी में लगभग 77 करोड़ रुपया सहकारी बैंक ने एनपीए किया है. खगड़िया में 29 करोड़, वैशाली में 8 करोड़ तथा बेगूसराय में 15 करोड़ ऋण की रकम एनपीए कर दी गयी है. सचिव ने इसमें शीघ्र सुधार का निर्देश दिया है.
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राज्य में सहकारी बैंकों की 23 शाखाएं हैं. वर्ष 2019 से 2022 तक कुल 35595 लाख ऋण की रकम को एनपीए किया गया है. वर्ष 2019 में 9972 लाख, वर्ष 2020 में 8874 लाख, वर्ष 2021 में 6599 लाख तथा वर्ष 2022 में 10150 लाख ऋण की रकम एनपीए की गयी है.