बिहार (Bihar) की नीतीश सरकार (Nitish Kumar Govt) एक नया प्रस्ताव बना रही है जिसमें सामान्य और पिछड़ा वर्ग को उद्यम लगाने के लिए अधिकतम 10 लाख रुपये तक दिये जायेंगे. इसमें एक फीसदी सालाना ब्याज पर (Loan Interest ) पांच लाख रुपये तक का लोन और पांच लाख तक का अनुदान शामिल है.
बिहार के उद्योग मंत्री शाहनवाज हुसैन ने मंगलवार को यह जानकारी विधान परिषद की पहली पाली के दौरान प्रो नवल किशोर यादव के तारांकित प्रश्न के जवाब में दी. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उद्यमी योजना में सामान्य और पिछड़ा वर्ग को भी जोड़ने का निर्देश दिया है. इसके तहत उद्यम लगाने के लिए लोन दिया जाएगा.
मंत्री शाहनवाज हुसैन ने कहा कि 2018 में अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति उद्यमी योजना शुरू की गयी थी. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देश पर इस योजना से अतिपिछड़ा वर्ग को 2020-21 में जोड़ा गया है. इसके साथ ही महिलाओं को भी 2021-22 में जोड़ा जा रहा है. सभी के लिए अलग-अलग बजट का प्रावधान किया गया है. वहीं सामान्य और पिछड़ा वर्ग के लिए सरकार प्रस्ताव तैयार कर रही है.
उन्होंने कहा कि अब तक इस योजना में अधिकतम 10 लाख रुपये तक दिये जाते थे. इसमें पांच लाख रुपये तक ब्याज मुक्त लोन और पांच लाख रुपये अनुदान होता था. यह राशि तीन किश्त में दी जाती थी अब इसे दो किश्तों में देने पर विचार हो रहा है. इस योजना में मॉनीटरिंग की व्यवस्था संबंधी सदस्यों के प्रश्न पर मंत्री शाहनवाज हुसैन ने कहा कि जिला उद्योग केंद्र से इसकी व्यवस्था की गयी है. इस व्यवस्था को बेहतर बनाने का प्रयास किया जायेगा.
शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने बताया कि सरकार भी सैद्धांतिक रूप से सहमत है कि कोरोना महामारी के दौरान प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाई नहीं हुई है तो फीस भी नहीं लगना चाहिए. उन्होंने बताया कि अभिभावकों द्वारा निजी स्कूलों में अगर फीस जमा कराया गया है तो सरकार के पास निजी विद्यालयों के प्रबंधन से राशि वसूलने का कोई प्रावधान नहीं है.
उन्होंने कहा कि निजी विद्यालयों का भी तर्क है कि कोरोना काल में ऑनलाइन पढ़ाई की व्यवस्था की गयी है. शिक्षा मंत्री मंगलवार को विधानसभा में मनेर के विधायक भाई वीरेंद्र के अल्प सूचित प्रश्न का जवाब दे रहे थे.
Posted By: Utpal Kant