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बिहार: तेजी से फैल रहा लंपी वायरस, बीमार होने पर पशुओं में दिखते हैं ये लक्षण, जानें कारण व बचाव के उपाय

Lumpi Virus: बिहार में गाय लंपी वायरस का शिकार हो रही है. पशुओं में लंपी वायरस तेजी से फैल रहा है. यह एक परेशानी बन चुकी है. बाजार में इस रोग का दवा भी उपलब्ध नहीं है. घरेलू उपचार से पशुओं का इलाज किया जा सकता है.

Lumpi Virus: बिहार में गाय लंपी वायरस का शिकार हो रही है. पशुओं में लंपी वायरस तेजी से फैल रहा है. बाजार में इस रोग का दवा भी उपलब्ध नहीं है. ऐसे में घरेलू उपचार से पशुओं का इलाज किया जा सकता है. पूर्वी चंपारण में लंपी वायरस तेजी से पांव पसार रहा है. जिले के अधिकांश प्रखंड से इसके मामले सामने आ रहे हैं. पशुओं में लंपी वायरस तेजी से फैल रहा है. पशुपालन विभाग के आकड़ों के अनुसार 27 में 25 प्रखंड लंबी वायरस के चपेट में आ गए है. अरेराज के रढ़ीया पंचायत के गांव में दर्जनों गाय में लंपी वायरस का लक्षण दिखने लगे है. इसके पूर्व केसरिया, कल्याणपुर, पताही, मधुबन, सुगौली सहित बॉर्डर इलाका से जुड़े प्रखंड आदापुर, छौड़ादानों, रक्सौल आदि इलाकों के गांव में लंबी डिजीज से पशु बीमार है.

पशुओं को दें पौष्टिक आहार..

पशुओं में फैल रहे इस बीमारी को लेकर पशुपालक के समक्ष कीम कर्त्तव्य विमुख की स्थिति बन गई है. बाजार में इस रोग की दवा भी उपलब्ध नहीं है. इस कारण यह बीमारी बड़ी परेशानी बनती जा ही है. पशुपालन विभाग के पास वैक्सीन नहीं है. ऐसे में घरेलू उपचार से ही संक्रमित पशुओं का उपचार किया जा रहा है. पशु चिकित्सक भी पशुपालकों को लंपी रोग से बचाव के लिए पशुओं की सुरक्षा के साथ पौष्टिक आहार देने की नसीहित दे रहे है. लंपी डिजीज से सतर्कता को लेकर पशुओं के बहारी पशुओं के जिला के सीमा में आने पर रोक है. खासकर नेपाल के बॉर्डर इलाकों में इसको लेकर विशेष ध्यान रखने के निर्देश दिये गये हैं. विभाग का मानना है कि नेपाल से आनेवाले संक्रमित पशुओं के कारण ही जिले में लंपी डिजीज फैल रहा है. संक्रमण को लेकर अब पड़ोसी जिला मुजफ्फरपुर, बेतिया, गोपालगंज, शिवहर आदि जगहों से ही पशुओं के आने पर सख्ती बरती जा रही है.

खून चूसने वाले कीड़ों से फैलता है वायरस

वरीय पशु चिकित्सक डॉ प्रमोद कुमार आर्य ने कहा कि लंपी स्किन डिसीज होने पर पशुओं के शरीर पर गांठें बनने लगती हैं. उन्हें तेज बुखार आ जाता है, सिर और गर्दन के हिस्सों में काफी दर्द रहता है. इस दौरान पशुओं में दूध देने की क्षमता भी कम हो जाती है. कहा कि यह वायरस मच्छरों और मक्खियों जैसे खून चूसने वाले कीड़ों से फैलता है. दूषित पानी, लार और चारे की वजह से पशुओं को यह रोग होता है. पशुओं में जब भी इस बीमारी के लक्षण दिखें तो सबसे पहले अपनी बीमार गाय-भैंसों को सबसे अलग कर दें.

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बीमार पशुओं का रखें खास ध्यान

उनके खाने-पीने की व्यवस्था भी अलग कर दें. पशुओं को रखने वाले स्थान पर साफ-सफाई रखें. अगर ऐसा नहीं किया गया तो अन्य आपके अन्य पशु इस बीमारी से पीड़ित होकर जान गंवा सकते हैं. बीमार पशुओं का खास ध्यान रखें. बीमारी के लक्ष्ण दिखे तो दूसरे पशु से उसे अलग कर दें. बीमार पशु के खाने पीने की व्यवस्था भी अलग करें. पशु के रहने के स्थान को साफ-सफाई रखें. बिमार पशु को नीम पता के पानी से दिन में दो से तीन पर स्नान करायें. बुखार में तापमान अधिक होने की स्थिति में माथे को ठंडा पानी से धोयें.

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वरीय पशु चिकित्सक डॉ प्रमोद आर्य ने बताया कि लंपी डिजीज से बचाव के लिए पशुओं को घरेलू देशी उपचार काफी कारगर साबित होगा. इसके लिए पशु को पान का पत्ता दस, मरीच 15-20 पीस, दो चम्मच हल्दी पाउडर, दो चम्मच नमक, 100 ग्राम गुड प्रतिदिन सुबह-शाम खिलाना है. यह लगातार दस दिन से पशु को खिलाये, इससे पशु के बीमार होने की संभावना कम हो जायेगी. वहीं यह खिलाने से बीमार पशुओं में रोग बढ़ेगा नहीं. पूर्वी चंपारण के जिला पशुपालन पदाधिकारी डॉ प्रविण कुमार कहते है कि जिले के कई प्रखंडों में लंपी वायरस से पशुओं के बिमार होने की सूचना मिली है. गांव-गांव में कैंप कर लोगों को जागरूक करने का मुहिम चलाया जा रहा है. विभाग से बोर्डर इलाका के दस पंचायत में टीकाकरण के लिए वैक्सीन की मांग की गयी है. वैक्सीन उपलब्ध होते ही टीकाकारण किया जायेगा.

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टीकाकरण अभियान के बाद भी बढ़ी परेशानी

टीकाकरण अभियान के बाद भी दुधारू पशुओं में लंपी बीमारी के फैलने का क्रम नहीं रुप रहा है. पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग ने कई जिलों में लंपी के संग्रहित नमूनो को जांच के लिए भोपाल और कोलकाता भेजा था. इसके बाद राज्य के कई जिलों में पशुओं में लंपी वायरस की पुष्टी हुई है. पटना, नालंदा, पूर्णिया, दरभंगा, मधुबनी, शेखपुरा, नवादा, जहानाबाद, गया, बक्सर, कैमूर, रोहतास, भोजपुर, मुजफ्फरपुर, सुपौल, बेगूसराय, नवादा आदि जिलों के नमूने पॉजिटिव पाए गए. इसके बाद इन जिलों में पशुपालकों की परेशानी बढ़ चुकी है. इन्हें भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है. पश्चचिम चंपारण जिले में भी लंपी वायरल तेजी से फैल रहा है. वहीं, अन्य जिलों में भी यह बीमारी फैलने की आशंका जताई जा रही है. फिलहाल, लक्षण के आधार पर बचाव सुनिश्चित का आदेश दिया गया है.

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सरकार की ओर से प्रदेशव्यापी टीकाकरण अभियान की व्यवस्था की गई है. लेकिन, पशुपालक परेशान है. कई जिलों में दुधारू पशुओं के बीमार होने से पशुपालकों की बेचैनी बढ़ चुकी है. विभिन्न जिलों में मिली सूचना पर पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग भी लंपी वायरस के फैलाव के कारण सजग हो गया है. दुधारू पशुओं को बचाने के लिए जनवरी से ही टीकाकरण अभियान संचालित है. लेकिन, पशुओं में तेजी से वायरस फैल रहा है. पशु चिकित्सकों के अनुसार जिन पशुओं में टीका लगा चुका है, उन्हें इस बीमारी का खतरा नहीं है. लेकिन, जिन पशुओं को यह टीका नहीं लगा है वो इस बीमारी की चपेट में आसानी से आ सकते है. इसलिए टीका लगाना आवश्यक है. वहीं, यह बड़ी समसेया है कि इस बीमारी का टीका तीन महीने तक ही प्रभावी होता है.

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