Bihar News: महागठबंधन की रैली 25 फरवरी को पूर्णिया के रंगभूमि मैदान में होने जा रही है. इस रैली (Mahagathbandhan Purnia Rally) को लेकर माना जा रहा है कि महागठबंधन मिशन 2024 यानी आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारी का शंखनाद करने जा रही है. पहली आक्रमक रैली के लिए सीमांचल को ही महागठबंधन ने उपयुक्त जगह मानते हुए इसका चुनाव किया. इसके पीछे की वजह भी कई सारी है जहां महागठबंधन को उम्मीद दिख रही है.
सीमांचल को मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र माना जाता है. सीमांचल में मुस्लिम और यादव वोटरों की बड़ी तादाद हमेसा राजद के लिए एक उम्मीद बनी रही है. लेकिन पिछले कुछ चुनाव परिणाम को देखा जाए तो राजद की परेशानी यहां बढ़ी है. विधानसभा चुनाव तक में उनके वोटरों को खिसकाने में ओवैसी की पार्टी AIMIM भी कामयाब रही है. वहीं लोकसभा चुनाव में एनडीए यहां मजबूत रही है. पिछले चुनाव में यहां की 4 सीटों पूर्णिया, अररिया, किशनगंज और कटिहार में तीन सीटों पर एनडीए जबकि एक सीट पर महागठबंधन का कब्जा रहा था.
लोकसभा चुनाव 2019 में बिहार की कुल 40 लोकसभा सीटों में 39 सीट पर एनडीए की जीत हुई थी. लेकिन ये सीमांचल ही था जिसने क्लीन स्वीप ना कर पाने की कसक नरेंद्र मोदी सरकार को दे दी थी. प्रचंड मोदी लहर में सभी सीटों को एनडीए ने अपनी झोली में भरा लेकिन सीमांचल का किशनगंज सीट कांग्रेस की झोली में गया था. यहां से जदयू उम्मीदवार हारे थे. जबकि अररिया में भाजपा तो पूर्णिया व कटिहार में जदयू उम्मीदवार जीते थे.
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एक अनुमानित आंकड़े के हिसाब से सीमांचल में मुस्लिमों की आबादी अधिक है. यहां किशनगंज में 68 प्रतिशत, कटिहार में 45 प्रतिशत तो अररिया व पूर्णिया में करीब 35 फीसदी अल्पसंख्यक आबादी है. लेकिन हकीकत यही है कि महागठबंधन भी यहां अपनी पुरानी जमीन ही ढूंढ रहा है. अगर वो इस इलाके को साधने में सफल होती है तो उसके लिए ये बड़ी सफलता होगी. उसी उम्मीद में यहां गठबंधन जोर लगा रहा है.
Published By: Thakur Shaktilochan