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जाति गणना को राष्ट्रीय मुद्दा बनाएगा I.N.D.I.A गठबंधन, नीतीश-लालू के इन बयानों से पहले ही मिल गए थे संकेत…

बिहार सरकार की ओर से कराए जा रहे जाति गणना अब राष्ट्रीय मुद्दा बनेगा और इंडिया गठबंधन इसके सहारे भाजपा सरकार को घेरेगी. दिल्ली में गठबंधन की समन्वय समिति की पहली बैठक में विपक्षी दलों के नेताओं ने ये तय किया है. जानिए इसके संकेत पहले ही कैसे मिल चुके थे..

Political News: जाति गणना का मुद्दा अब देश की सियासी गरमी को बढ़ाएगा. विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस) की समन्वय समिति की पहली बैठक बुधवार को नयी दिल्ली में हुई. राकांपा अध्यक्ष शरद पवार के आवास पर यह बैठक संपन्न हुई और इसमें कई अहम फैसले लिए गए. ‘इंडिया’ की पहली सभा मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में होगी. अक्टूबर के पहले सप्ताह में विपक्षी दल ये जनसभा करेगी. बैठक में फैसला लिया गया कि इंडिया गठबंधन जाति गणना के मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर प्रभावी ढंग से आगे बढ़ाएगी. इस बैठक में बिहार से राजद नेता और उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव तथा जदयू के वरिष्ठ नेता और राज्य में जल संसाधन एवं सूचना जनसंपर्क मंत्री संजय कुमार झा भी शामिल हुए.

बिहार में जाति गणना..

बता दें कि बिहार में जाति गणना कराया जा रहा है. इसमें कई अदालती पेंच शुरू से लगते आए लेकिन आखिरकार पटना हाईकोर्ट की ओर से सर्वे को हरी झंडी मिल गयी. पटना हाईकोर्ट में जाति गणना पर रोक लगाने के लिए याचिकाएं भी दायर की गयी और एक समय ऐसा भी आया जब सर्वे का काम बीच में ही रोक दिया गया. लेकिन इसपर लगा ग्रहण हटा और हाईकोर्ट ने इस जाति गणना को सही करार देते हुए बिहार सरकार को सर्वे जारी रखने का सशर्त निर्देश भी दे दिया.

जाति गणना पर सियासी घमासान..

बिहार में हो रही जाति गणना पर सियासी घमासान शुरू से मचता रहा है. बता दें कि सर्वसम्मति से बिहार में जाति गणना का काम हो रहा है. सीएम नीतीश कुमार की बड़ी उपलब्धियों में से एक इस जाति गणना का इतिहास कुछ ऐसा रहा कि जब भाजपा और जदयू एकसाथ थे और सूबे में एनडीए की सरकार थी तब प्रदेश भाजपा ने भी जाति गणना का समर्थन किया था. केंद्र सरकार की ओर से साफ कर दिया गया था कि जाति गणना केंद्र नहीं कराएगी. लेकिन राज्यों को अपनी ओर से अपने खर्च पर राज्य में जाति गणना कराने की छूट है.

भाजपा से अलग होते ही जदयू का आक्रमण शुरू

बिहार में जब सियासी समीकरण बदले और जदयू ने खुद को एनडीए से अलग कर लिया तो प्रदेश में महागठबंधन की सरकार बनी. राजद और जदयू साथ आए और भाजपा को विपक्षी खेमा बनना पड़ा. जिसके बाद जाति गणना पर भाजपा और बिहार सरकार कई बिंदुओं पर आमने-सामने हुए. महागठबंधन ने भाजपा पर आक्रमण करना शुरू कर दिया.हाल में ही सीएम नीतीश कुमार ने भी अब जनगणना को मुद्दा बना लिया था. केंद्र सरकार से सवाल पूछे गए थे.

जब नीतीश कुमार ने जनगणना को लेकर उठाए सवाल..

बीते 29 अगस्त को सीएम नीतीश कुमार ने जाति गणना के मुद्दे पर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधा था. सीएम नीतीश कुमार ने तब कहा कि केंद्र सरकार का काम जनगणना कराना है. राज्यों के द्वारा अपने स्तर पर गणना या सर्वे कराया जा सकता है. उन्होंने केंद्र सरकार के द्वारा सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा बदलने पर तंज कसते हुए कहा था कि केंद्र सरकार देशहित में लिए गए राज्यों के निर्णयों में रोड़ा अटकाती है.वहीं नीतीश कुमार ने तब सवाल उठाया था कि जब हर 10 साल पर जनगणना का काम होता रहा है तो 2021 में होने वाली जनगणना अबतक क्यों नहीं कराई गयी. ऐसा पहली बार हुआ है जब केंद्र समय पर जनगणना नहीं कराए. केंद्र सरकार की मंशा पर सवाल खड़े करते हुए नीतीश कुमार ने इसे गलत बताया था.

नीतीश कुमार ने कहा- बिहार बनेगा देश का मॉडल

वहीं इससे पहले 24 अगस्त को नीतीश कुमार ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा था कि राज्य में जाति गणना के सर्वे का काम पूरा हो गया है. अब आंकड़ा तैयार किया जा रहा है. बिहार में जाति गणना का काम पूरा होने पर इसे अन्य जाति के लोग भी देखेंगे. कई राज्य अपने स्तर से जाति गणना कराना चाहते हैं. बिहार इसका एक मॉडल बनेगा. यह काम सबके हित में होगा.नीतीश कुमार ने कहा था कि सर्वे में मुख्य बात यह है कि अपर कास्ट, पिछड़ा,अति पिछड़ा, एससी-एसटी, सबकी आर्थिक स्थिति का पता चलेगा. पलायन करने वालों की भी वास्तविक स्थिति सामने आएगी.

जब लालू यादव ने भी केंद्र सरकार को घेरा..

वहीं 26 अगस्त को लालू यादव ने अपने बयान में कहा कि केंद्र सरकार जातीय गणना को नफरत से देख रही है. लालू यादव ने पीएम मोदी पर निशाना साधकर कहा कि पीएम कास्ट-कास्ट करते रहते हैं. कास्ट इनको परेशान कर रहा है और बैठने नहीं दे रहा. केंद्र के द्वारा जाति गणना नहीं करवाया गया पर हमलोग करवा रहे हैं. लालू यादव ने बड़ा सियासी निशाना साधते हुए तब कहा था कि लोगों की जाति और उनकी स्थति जाने बिना कोई योजना कैसे बनेगी. कास्ट और कास्ट का उपद्रव सदियों पुराना है. सरकार विकास के लिए बजट देकर खैरात नहीं दे रही. यह लोगों का अधिकार है.

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