Explainer: आगामी लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर अब घमासान शुरू हो गया है. एक तरफ जहां एनडीए अपने कुनबे को मजबूत करने में जुटी है तो दूसरी ओर विपक्षी दलों का नया गठबंधन (इंडिया) भी मजबूती से आगे की तैयारी करता हुआ बढ़ रहा है. I-N-D-I-A गठबंधन की तीसरी बैठक मुंबई में चल रही है. अब बात सीट शेयरिंग की ओर बढ़ रही है. कौन सा दल किस सीट से उम्मीदवार मैदान में उतारेगा, उसपर मुहर लगाने की ओर गठबंधन बढ़ रहा है. इस बीच बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने खुलकर बयान दिया कि उन्हें आशंका है कि भाजपा समय से पहले ही चुनाव करा सकती है. नीतीश कुमार के इस बयान के दो ही दिनों के बाद केंद्र सरकार ने संसद के विशेष सत्र को बुला लिया. पांच दिनों तक चलने वाली संसद के इस विशेष सत्र ने कयासों का दौर शुरू कर दिया है. अब तरह-तरह की अटकलें लगायी जा रही हैं. जिनमें एक चर्चा यह भी है कि क्या समय से पहले ही चुनाव कराने की तैयारी भाजपा सरकार कर रही है.
गैर भाजपा दलों का जुटान अभी मुंबई में हुआ है. ‘इंडिया’ की तीसरी बैठक मुंबई में चल रही है. इस बैठक में कुल 28 दलों के नेता शामिल हुए. अब गठबंधन के लोगो और संगठन के स्वरूप को तय किया जाएगा. संयुक्त प्रचार रणनीति और आपसी मतभेदों को हल करने के तरीके पर विचार नेता करेंगे. शुक्रवार को इंडिया गठबंधन कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर मंथन करेगा. इस बीच अब केंद्र सरकार ने एक ऐसा फैसला लिया है जिसने सियासी पंडितों को सोचने पर मजबूर कर दिया है.
केंद्र ने पहली बार संसद का विशेष सत्र बुलाया है. मोदी सरकार के अब तक के नौ साल से अधिक के कार्यकाल में यह पहली बार हो रहा है. इससे पहले 30 जून 2017 की मध्यरात्रि को संसद का विशेष सत्र बुलाया गया था. जीएसटी के लागू होने के अवसर पर ऐसा हुआ था. यह लोकसभा और राज्यसभा का संयुक्त सत्र था. नरेंद्र मोदी सरकार ने संसद के विशेष सत्र का एजेंडा इस बार घोषित नहीं किया है.विशेष सत्र का एजेंडा स्पष्ट नहीं होने के बीच ऐसी अटकलें हैंकि लोकसभा चुनाव के मद्देनजर मोदी सरकार कोई विधेयक पेश कर सकती है. सूत्रों का कहना है कि ऐसा हो सकता है कि स्थानीय निकायों, राज्यों एवं लोकसभा के चुनाव एक साथ कराने संबंधी विधेयक लाया जाये. लोकसभा एवं राज्य विधानसभाओं में महिलाओं को आरक्षण संबंधी विधेयक को लेकर भी चर्चा है.
बता दें कि दो दिन पहले ही बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक आशंका जताई थी कि केंद्र सरकार समय से पहले ही चुनाव करा सकती है. सीएम ने कहा था कि ये कभी भी चुनाव करा सकते हैं. समय पर ही चुनाव हो यह जरूरी नहीं है. हम तो सात-आठ महीने पहले से ही कह रहे हैं कि चुनाव कभी भी हो सकता है. इसलिए सभी विपक्षी पार्टियों को एकजुट हो जाना चाहिए. हम भी उसी काम में लगे हुए हैं. बताते चलें कि पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी भी ये आशंका जता चुकी हैं कि भाजपा दिसंबर या जनवरी में ही चुनाव करा सकती है.
बता दें कि देश में तीन बार ऐसा हुआ है जब लोकसभा को भंग करके आम चुनाव कराया गया. दो बार कांग्रेस ने ऐसा किया था और चुनाव कराकर जीत दर्ज की थी. जबकि एकबार अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में ऐसा हुआ. हालाकि वाजपेयी को तब 2004 में कांग्रेस के हाथों सत्ता गंवानी पड़ी थी. 1971 में इंदिरा गांधी ने लोकसभा के लिए समय से पहले चुनाव कराए थे. बाद में राजीव गांधी के नेतृत्व में भी कांग्रेस सरकार ने ऐसा किया था और समय से पहले चुनाव के लिए गए थे. हालांकि वर्तमान में भाजपा की ओर से ऐसा कोई दावा नहीं किया जा रहा. लेकिन सियासी अटकलें जरूरत अब तेज हुई हैं.
गौरतलब है कि एनडीए के खिलाफ इसबार विपक्षी दल एकजुट होकर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहा है. बिहार के सीएम नीतीश कुमार की पहल पर विपक्षी दलों का जुटान हुआ है. वोटों के बिखराव को रोकने के लिए विपक्षी दल एक होकर चुनाव लड़ने और भाजपा उम्मीदवार को हर जगह पटखनी देने की तैयारी में नए गठबंधन ‘इंडिया’ की बैठकों में रणनीति तैयार कर रही है. वहीं दूसरी ओर भाजपा भी अब एनडीए का कुनबा बढ़ाने और मजबूत करने में जुटी है.