Patna University के चुनाव को लेकर प्रत्याशियों में काफी उत्साह देखने को मिल रहा है. हर प्रत्याशी पूरी ताकत के साथ प्रचार में जूटा है. वोटरों को अपने खेमे में खींचने के लिए प्रत्याशी लुभावनें वादे से लेकर चाट-गोलगप्पा से लेकर मटन और बिरियानी तक खिला रहे हैं. हर दल ने सीधे रुप से अपना उम्मीदवार चुनाव में उतारा है. इसका कारण ये है कि पटना विवि के चुनाव को मुख्य धारा की राजनीति की एंट्री के रुप में देखा जाता है. आजादी के बाद से आज तक 75 वर्षों में 62 वर्ष बिहार के मुख्यमंत्री पटना विवि के पूर्व छात्र ही राज्य के सीएम रहें हैं. राज्य के पहले सीएम कृष्णा सिंह से लेकर लालू यादव और नीतीश कुमार तक इस लिस्ट में शामिल हैं.
1970 में पहली बार प्रत्यक्ष रुप से हुआ चुनाव
पटना विवि में छात्र संघ की स्थापना 1956 में हुई. तब से लेकर 1969 तक छात्र संघ का चुनाव अप्रत्यक्ष रुप से होता था. इसके बाद 1970 में प्रत्यक्ष रुप से चुनाव कराया जाने लगा. पहली बार हुए छात्र संघ के चुनाव में लालू यादव महासचिव पद के लिए खड़े हुए और जीत गए. इसके बाद वो 1972 में अध्यक्ष पद के लिए खड़े हुए मगर कांग्रेस के छात्र संघ नेता रामजतन सिन्हा ने उन्हें पटक दिया. मगर लालू ने कॉलेज में अपनी पकड़ के बल 1973 में अध्यक्ष पद का चुनाव जीत लिया. इसी वर्ष पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी महासचिव बने थे और रविशंकर प्रसाद सहायक महासचिव.
28 वर्षों तक बंद रहा छात्र संघ का चुनाव
1980 में अनिल शर्मा छात्र संघ के अध्यक्ष बने. इसके बाद विवि प्रशासन छात्र संघ का चुनाव करवाना हीं बंद कर दिया. कारण ये रहा है कि चुनाव के दौरान अपराध काफी ज्यादा बढ़ गया. हालांकि 1984 से लगातार चुनाव कराने की मांग होती रही. मगर सरकार के साथ विवि प्रशासन ने इसपर कुछ खास ध्यान नहीं दिया. वर्ष 2012 में एक बार फिर से पूरी सुरक्षा के साथ छात्र संघ का चुनाव कराया गया.