Rbi Report: साल दर साल बिहार पर कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा है. वहीं, इसका असर प्रति व्यक्ति ऋण पर दिखाई दे रहा और प्रति व्यक्ति ऋण में भी बढ़ोतरी हुई है. वर्ष 2019-2020 में कुल ऋण बकाया 193382 करोड़ था. जो कि वर्ष 2020-21 में बढ़कर 227196 करोड़, वर्ष 2021-22 में बढ़कर 257510 करोड़, वर्ष 2022-23 में बढ़कर 283596 करोड़ और वर्ष 2023- 24 में बढ़कर 324762 करोड़ होने की संभावना है.
प्रति व्यक्ति ऋण 2019-20 के 15,982 रुपये से बढ़ कर 2023-24 में 24981 रुपये हो जाने की संभावना है. हालांकि ऋण वित्त आयोग द्वारा निर्धारित सीमा के अंदर है.
राज्यों के लिये वित्त आयोग ने ऋण लेने की सीमा निर्धारित की हुई है. 15वें वित्त आयोग की अनुशंसा के अनुसार वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए बिहार को कुल बकाया ऋण, सकल राज्य घरेलू उत्पाद के अनुपात का 40.4 प्रतिशत की सीमा में रखना है. राज्य सरकार द्वारा बजट 2023- 24 में सकल राज्य घरेलू उत्पाद से कुल बकाया ऋण का अनुपात 37.81 प्रतिशत आकलित है. यह आंकड़ा वर्ष 2021-22 के 38.12 प्रतिशत,वर्ष 2022-23 में कम होकर 38.15 प्रतिशत और वर्ष 2023-24 में 37.81 प्रतिशत रहने का अनुमान है.
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गत वर्ष जारी आरबीआइ की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2026-27 तक पंजाब देश का सबसे कर्जदार राज्य होगा, जहां उस पर अपनी जीएसडीपी का 45% से ज्यादा कर्ज होने का अनुमान है. इसके अलावा राजस्थान (39.4%), केरल (38.2%), पश्चिम बंगाल (37.0%), आंध्र प्रदेश (33.9%), उत्तराखंड (32.2%), बिहार (31.2%), हरियाणा (31.1%), तमिलनाडु (31.0%) व झारखंड (30.2%) पर 30% से ज्यादा कर्ज होगा.