RJD News: वरिष्ठ राजद नेता शिवानंद तिवारी ने कहा है कि किसान आंदोलन (Kisan Andolan) ने 26 जनवरी (26 January) तक का अपना कार्यक्रम घोषित कर दिया है. इसका सीधा -सा मतलब है कि कम- से- कम 26 जनवरी तक यह आंदोलन चलने ही वाला है. दिल्ली में चल रही शीतलहर भी किसानों का संकल्प डिगा नहीं पायी है.
कहा कि आजादी के बाद देश में ऐसा आंदोलन देखा नहीं गया था. अब तक आंदोलन में ऐसी कोई गलती नहीं हुई है, जिससे किसी को उस पर उंगली उठाने का मौका मिल सके. यही इस आंदोलन को विशिष्ट बनाता है. हालांकि, सरकार के रवैये से लगता है कि वह इस आंदोलन को दबाने के लिए ताकत का इस्तेमाल कर सकती है. दूसरी ओर, केंद्र सरकार ने इस संदर्भ को अपनी प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया है, लेकिन प्रश्न है कि कृषि क्षेत्र में इतने व्यापक परिवर्तन करने वाले कानूनों को बनाने के लिए ऐसी हड़बड़ी क्यों दिखाई?
हमारी संवैधानिक व्यवस्था के अनुसार कृषि का क्षेत्र राज्यों की अधिकार सूची में आता है, लेकिन राज्य सरकारों से किसी प्रकार का मशविरा नहीं किया गया. यहां तक कि किसानों का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठनों से बात नहीं की गयी.
उन्होंने सवाल उठाया कि कृषि कानूनों को बनाने के लिए आपात स्थिति के अधिकारों का प्रयोग क्यों किया गया? यह समझ से परे है. राजद नेता ने कहा कि कृषि कानूनों के विषय में भी प्रधानमंत्री दावा कर रहे हैं. इस बार किसान उस दावे पर यकीन करने के लिए तैयार नहीं है, क्योंकि केंद्र के पिछले दावे खोखले साबित हुए हैं.
Posted by: Utpal kant