Sardar Patel Jyanti: सरदार पटेल ने एक बार बिहार आए थे. यहां उन्होंने भागलपुर में छात्रों को अहिंसा का पाठ पढ़ाया था. स्वतंत्रता आंदोलन में भी इनकी अहम भूमिका है. सरदार पटेल ने देश के कई इलाकों में भम्रण किया है. इसमें से एक बिहार का भागलपुर जिला भी है. साल 1929, 10 दिसंबर को वह भागलपुर आए थे. यह यहां की उनकी पहली की साथ ही अंतिम यात्रा थी. इसके बाद वह कभी भागलपुर नहीं आए. बताया जाता है कि साल 1929 में गांधी जी का सविनय अवज्ञा आंदोलन चल रहा था. कांग्रेस के कई नेता इस आंदोलन में अपनी अहम भूमिका निभा रहे थे. सरदार पटेल ने भी इस दौरान गांधी के संदेश को लोगों के बीच पहुंचाया था. बता दें कि नौ दिसंबर 1929 को बिहार प्रांतीय कांग्रेस सम्मेलन का 28वां अधिवेशन बुलाया गया था. डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद इसके सभापति थे.
सरदार पटेल ने गुजरात के बारदोली में किसान आंदोलन का नेतृत्व किया था. इसमें उन्होंने सफलता भी पाई थी. भागलपुर के एक समाजसेवी ने अपने संस्मरण में लिखा है कि कांग्रेसी नेता दीप नारायण सिंह चाहते थे कि सरदार पटेल भागलपुर आए. इनके आग्रह के बाद सरदार पटेल भागलपुर आए थे. वह 10 दिसंबर साल 1929 को भागलपुर आए थे. इस दौरान उन्होंने भागलपुर में स्थित टीएनबी कॉलेज में छात्रों को संबोधित किया था. उन्होंने छात्रों को नीडर बनने और गांधी के सिद्धांत को अपनाने के लिए कहा था. उन्होंने बताया था कि दुनिया में अहिंसा से बढ़कर कोई दूसरी ताकत नहीं होती थी. अहिंसा का पालन करके शक्ति आती है और व्यक्ति वीर बनता है.
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सरदार पटेल ने छात्रों को जानकारी दी थी कि गांधी जी ने छात्रों को अहिंसा का पाठ पढ़ाकर अहिंसक बनाया था. उन्होंने छात्रों को अहिंसा को जीवन में उतारने के लिए प्रेरित किया था. बता दें कि भारत के पहले उप प्रधानमंत्री और लौहपुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल ने ब्रिटिश शासन काल में कई बड़े आंदोलन का नेतृत्व किया था. उन्हीं का प्रयास था कि रियासतों को एक कर भारत में शामिल किया गया था. यह भारत के पहले गृह मंत्री थे. इन्होंने शराब, छूआछूत और महिलाओं के खिलाफ हो रहे अत्याचारों के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी. इन्होंने हिन्दू- मुस्लिम एकता पर भी विशेष बल दिया था.