Bihar News: खबर बिहार के भागलपुर जिले के सुल्तानगंज से है. दरअसल, बाबा बैद्यनाथ के कई भक्त है. कई रूप व कई रंग में भक्त बाबाधाम की ओर जा रहे है. श्रावणी मेला के दौरान बाबा के भक्तो के कई रूप मिल रहे है. बाबा का एक भक्त बिच्छू बम बन चल रहा है. सहरसा जिला के निहाल बम सावन के पहले दिन से जल भर कर यात्रा शुरू किये है.यह छह दिन में अब तक एक किमी चले है. निहाल मूल रूप से समस्तीपुर जिला के आवापुर कुंडल गांव के रहने वाले हैं.
हाथ के बल बाबाधाम जा रहे निहाल ने बताया कि पिता की जिंदगी बाबा ने बचायी तो मैं बाबा का हो गया. उन्होने बताया कि बाबा से प्रेरणा मिली और मैं चल पड़ा. वह बताते है कि पिता एलआईसी अभिकर्ता सुधीर कुमार सिंह लीवर की बीमारी से ग्रसित हो गये थे. घर की हालत ठीक नहीं थी. बचने की उम्मीद नहीं थी. बाबा से गुहार किया. बाबा ने उन्हें पुनर्जन्म दिया. इसके बाद उनकी जिंदगी बच गयी. छह साल पूर्व पहली बार दंड प्रणाम देते हुए बाबाधाम गया था. इसमें एक माह 11 दिन का समय लगा था. फिर, तीन बार एक ही स्थान पर दंड प्रणाम करते हुए गया. पांच बार एक ही स्थान पर दंड प्रणाम करते हुए बाबाधाम गया. वहीं, अब बाबा की प्रेरणा से हाथ के बल चल कर बिच्छू आकार लिये बाबाधाम तक जा रहे है. उन्होने कहा कि हाथ के बल चलते हुए बिच्छू की आकृति धारण कर चल रहे है.
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निहाल का कहना है कि बाबा अपने कानों में कुंडल के तौर पर बिच्छू पहनते हैं. बाबा का वह श्रृंगार है. इसलिए, बाबा से प्रेम और समर्पण लिए हुए बिच्छू के आकृति लिये बनकर चल रहे हैं. बाबा ने प्रेरणा दी है. बाबा ही शक्ति दे रहे हैं. पिता की जिंदगी बचाने वाले बाबा से बढ़कर मेरे लिए कोई नहीं है. निहाल सिंह हाथ के बल चलते हुए बिच्छू के आकार लिए बाबा धाम को निकल पड़े हैं. कठिन साधना के साथ हाथ के बल चलने को लेकर बताया कि बाबा ही शक्ति देते है.
आज के युग में मां- पिता के लिए सब कुछ न्यौछावर करने वाले बेटा पाने वाले पिता सुधीर कुमार सिंह गौरवान्वित है. 28 वर्षीय निहाल सिंह ने मिसाल कायम कर दिया है. निहाल ने बताया कि मेरे लिए पिताजी सब कुछ है. पिताजी ठीक रहेंगे तो मैं खुश रहूंगा. पिता के लिए परमपिता से जुड़ गया हूं. उन्होंने कहा कि आज के युग में संतान के लिए मां-पिता से बढ़ कर कुछ नही होना चाहिए.
उन्होंने कहा कि मैं स्वयं नहीं चल पाता. बाबा ही मुझे चलाते हैं. मेरी क्षमता कहां है. बाबा से मुझे काफी लगाव है. बाबा मुझे प्रेरणा देते हैं. शक्ति देते हैं और आनंद मिल जाता है. निहाल ने आगे कहा कि छह माह में पहुंचने की संभावना है. लेकिन, बाबा जब तक ले जाय. बाबा पर पूरी तरह समर्पित हो गया हूं. एक अजब आनंद और अनुभूति मिलती है. उन्होंने कहा कि आगे डमरु बनकर जाने का आदेश मिला है. बाबा से जुड़ जाने के बाद आनंद ही आनंद है. सेवक के रूप में बेगूसराय जिला के विमल कुमार पोद्दार चल रहे हैं. विमल ने बताया कि रास्ते में ही उनसे मुलाकात हुई थी. उसके बाद मैं भी इनका सेवक के रूप में चल रहा हूं.
रिपोर्ट- शुभंकर, सुलतानगंज