subhash chandra bose jayanti 2023: नेताजी सुभाष चंद्र बोस, यह नाम ही नहीं बल्कि खुद में एक मंत्र है. ऐसा मंत्र जो आज भी किसी के जुबान पर आता है तो उसमें एक उर्जा का संचार सा खुद ही हो जाता है. नेताजी का योगदान ही इस देश की आजादी में कुछ ऐसी है. तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा… ऐसे करिश्माई नारे देने वाले नेताजी की 127वीं जयंती (Netaji Jayanti 2023) 23 जनवरी 2023 को है. इस दिन को पराक्रम दिवस (Parakram Diwas 2023) के रूप में मनाते हैं. नेताजी से जुड़ी कई यादें बिहार में भी है. उनमें ही एक है भागलपुर की वो यादें जब कभी नेताजी यहां आए और अपने रिश्तेदार के घर ठहरे.
नेताजी सुभाष चंद्र बोस 1940 में भागलपुर आए थे. भागलपुर में उन्होंने एक ऐतिहासिक रैली को संबोधित किया था. इस दौरान वो अपने एक रिश्तेदार के भी घर आए. जिस कुर्सी पर नेताजी बैठे थे, वो कुर्सी आज भी संजोकर रखी गयी है. दरअसल, नेताजी के बड़े भाई का ससुराल भागलपुर में है. उनके रिश्तेदार निरूपम कांतिपाल ने प्रभात खबर डिजिटल से बातचीत के दौरान बताया कि आज भी वो ऐतिहासिक कुर्सी उनके घर में है और नेताजी की याद के रूप में उसे बहुत सुरक्षित रखा गया है.
भागलपुर के निरूपम कांतिपाल ने बताया कि उनके दादाजी आभाष चंद्र पाल की बहन अरूणा प्रभा की शादी नेताजी सुभाष चंद्र बोस के बड़े भाई सुरेश चंद्र बोस से हुई थी. 2 फरवरी 1940 को नेताजी भागलपुर के लाजपत पार्क में आयोजित रैली को संबोधित करने आए. इस दौरान हजारों की संख्या में भीड़ उन्हें सुनने पहुंची. महिलाओं की संख्या करीब 90 हजार रही होंगी.
नेताजी इस दौरान पुराने ढेबर गेट के पास अपने भाई के ससुराल पहुंचे. जिस कुर्सी पर बैठे, वो आज भी उन दिनों की गवाही देती है. पाल परिवार ने इसे संजोकर रखा. उसपर नेताजी की फोटो रखी रहती है. निरूपम कांतिपाल बताते हैं कि लाजपत पार्क में जहां से उन्होंने संबोधित किया था उसे सुभाष पार्क के नाम से जाना जाता है. जबकि सुभाष झरना भी उनका स्मरण कराता है.
Posted By: Thakur Shaktilochan