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बिहार में जाति सर्वे की रिपोर्ट जारी होने के बाद आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, जानिए पूरा मामला..

Bihar News: बिहार में जाति आधारित सर्वे पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में बिहार में जाति-आधारित सर्वेक्षण को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के लिए सहमती बनी थी. याचिकाकर्ताओं ने बिहार में जाति सर्वे का विरोध किया है.

Bihar News: बिहार में जाति आधारित सर्वे की रिपोर्ट दो अक्टूबर को जारी की गई थी. इसको लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी. बता दें कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में बिहार में जाति-आधारित सर्वेक्षण को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के लिए सहमती बनी थी. छह अक्टूबर को सुनवाई का फैसला लिया गया था. पिछली सुनवाई में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और एसवीएन भट्टी की पीठ ने निर्देश दिया था. उन्होंने आदेश दिया था कि मामले को शुक्रवार की वाद सूची से नहीं हटाया जाएगा. इसका कारण था कि राज्य सरकार ने दो अक्टूबर को जाति-आधारित सर्वेक्षण डेटा जारी किया था. महात्मा गांधी की जयंती के दिन बिहार सरकार ने बहुप्रतीक्षित जाति आधारित सर्वेक्षण की रिपोर्ट को जारी किया था.

डेटा सार्वजनिक होने के बाद मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट

जातीय सर्वे से जुड़ा मामला अब सुप्रीम कोर्ट में पहुंच चुका है. जातीय सर्वे का डाटा सरकार की ओर से सार्वजनिक किया गया. इसके बाद याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं. इस मामले की सुनवाई मंगलवार को की गयी और अगली तारीख शुक्रवार यानी आज की दी गयी है. वहीं, सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर आज सबकी नजर बनी हुई है. दरअसल, इस मामले में याचिकाकर्ताओं ने बिहार में जाति सर्वे का विरोध किया है.

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सर्वे के अनुसार राज्य की कुल आबादी 13 करोड़ से अधिक

इससे पहले तीन अक्टूबर को याचिकाकर्ता ने कोर्ट के समक्ष कहा था कि बिहार की सरकार ने जाति आधारित गणना की रिपोर्ट सार्वजनिक कर दी गई है. ऐसे में इस पर जल्द से जल्द इसकी सुनवाई होनी चाहिए. याचिकाकर्ता की इस अपील के बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए छह अक्टूबर की तारीख तय की थी. इसके बाद आज इसपर सुनवाई है. याचिकाकर्ता के मुताबिक बिहार सरकार ने पहले सर्वे से जुड़ा आंकड़ा प्रकाशित नहीं करने की बात कही थी, लेकिन दो अक्टूबर को इसे प्रकाशित कर दिया गया. रिपोर्ट के सार्वजनिक हो जाने के बाद इसका विरोध किया गया है. वहीं, इसपर आज सुनवाई होगी.

मालूम हो कि बिहार जाति सर्वे की रिपोर्ट में सभी जातियों की संख्या सामने आ चुकी है. प्रदेश में अत्यंत पिछड़े वर्ग की भागिदारी 36.0148 प्रतिशत है. जबकि, पिछड़ा वर्ग की आबादी का प्रतिशत 27.1286 प्रतिशत है. डेटा के जारी हो जाने के बाद देशभर में सियासत गरमाई हुई है. कई लोगों का बयान इस पर सामने आया है. राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने यह दावा किया है कि साल 2024 में चुनाव जीतने के बाद पूरे देशभर में जाति आधारित सर्वे करवाया जाएगा. बता दें कि इस रिपोर्ट के अनुसार, अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) की आबादी 36.01 प्रतिशत, अन्य पिछड़ा वर्ग की आबादी 27 प्रतिशत, अनुसूचित जाति 19.65 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति 1.68 प्रतिशत है. दूसरी ओर राज्य की कुल आबादी 13 करोड़ से अधिक है.

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बता दें कि 18 फरवरी 2019 को विधानमंडल से जाति आधारित गणना का प्रस्ताव पारित किया गया था. दो जून 2022 को राज्य मंत्रीपरिषद ने जातीय सर्वे कराने के प्रस्ताव को मंजूरी मिली थी. इसके बाद 21 अप्रैल 2023 को सुप्रीम कोर्ट में इस सर्वे को चुनौती दी गयी. इसपर 27 अप्रैल 2023 को सुनवाई हुई. इसमें सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को हाइकोर्ट जाने को कहा. वहीं, चार मई 2023 को पटना हाईकोर्ट ने जाति आधारित सर्वे पर अंतरिम रोक लगा दी. इस कारण सर्वे का काम बीच में ही रुक गया था.

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11 मई 2023 को बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक एलएलपी दायर किया गया था. सात जुलाई को पटना हाईकोर्ट में इस मामले में सुनवाई हुई. इसके बाद फैसले को सुरक्षित रख लिया था. एक अगस्त 2023 को हाईकोर्ट ने सर्वे पर से लगी रोक को हटा लिया. इसके बाद पूरे प्रदेश में फिर से जातीय सर्वे का काम शुरू हुआ. इसके बाद दो अक्टूबर को सर्वे की रिपोर्ट को सार्वजनिक कर दिया गया था. छह सितंबर को पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने जाति-आधारित सर्वेक्षण को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज करने के पटना हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर विशेष अनुमति याचिकाओं पर अक्टूबर में सुनवाई टाल दी थी. वहीं, याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट में दलील दी थी कि भारत में जनगणना करने का अधिकार केवल केंद्र सरकार के पास है.

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