पटना. नयी अध्यापक शिक्षक नियमावली-2023 पर सरकार को फिर से विचार करना चाहिए और पहले से नियोजित शिक्षकों पर परीक्षा की शर्त नहीं थोपनी चाहिए. पटना में शिक्षक महा सम्मेलन के दूसरे दिन शनिवार को शिक्षकों ने ये बातें कहीं. बिहार शिक्षक संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष मंडल की बैठक महासंघ कार्यालय पटना में हुई और सम्मेलन के बाद की स्थितियों का जायजा लिया गया.
कुछ दलों का मिला समर्थन
संघर्ष मोर्चा ने कहा है कि हमें भाकपा-माले, भाकपा, माकापा सहित कांग्रेस व कुछेक अन्य दलों का भी समर्थन हासिल हुआ है और हम उम्मीद करते हैं कि सरकार इस मामले में सकारात्मक पहल करेगी. मोर्चा के नेताओं ने कहा कि जदयू के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने भी कहा है कि आपत्तियों को उचित स्थान पर कहा जाना चाहिए. हमारी उनसे मांग होगी कि वे इस मामले में गतिरोध भंग करने की पहल करें और मुख्यमंत्री से वार्ता कराने की पहल करें.
शिक्षक चले माननीय के द्वार अभियान
अध्यक्षमंडल की ओर से यह भी कहा गया है कि बिहार में शिक्षा की स्थिति बेहतर हो, यह प्रयास हम सबके मिलकर करने से ही होगा, लेकिन परीक्षा की शर्त के कारण शिक्षक समुदाय अपने को अपमानित महसूस कर रहा है. 13-14 मई को हम पूरे बिहार में शिक्षक चले माननीय के द्वार अभियान चलायेंगे. इसके तहत जनप्रतिनिधियों को हम अपनी मांगों से अवगत करायेंगे और उनसे अपील करेंगे कि वे सरकार से परीक्षा की शर्त वापस लेने की मांग करें. साथ ही 20 से 31 मई तक हम जिलों में कन्वेंशन भी आयोजित करेंगे.
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बैठक में ये रहे मौजूद
बैठक में अध्यक्ष मंडल सदस्य मार्कंडेय पाठक, प्रदीप राय, शाकिर इमाम, नागेंद्र सिंह, कृतिंजय चौधरी, नीतेश कुमार, राजू सिंह, अश्विनी पांडेय, राहुल कुमार सिंह, प्रेमचंद्र सिन्हा, बच्चू कुमार, शिव विलास, संजीत भारती, जयप्रकाश सिंह, राजेश कुमार, प्रीतिमाला, कुमारी अलका, आशुतोष कुमार राकेश, मनोज कुमार, मुकेश राज आदि शिक्षक नेता मुख्य रूप से उपस्थित रहे.