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बिहार में धान के लिए उतरा नक्षत्र की बारिश वरदान बनकर आयी, लेकिन किसानों की क्यों बढ़ने लगी चिंता, जानिए..

बिहार में लगातार हो रही बारिश ने किसानों के चेहरों पर मुस्कान लायी है. लेकिन धान की खेती के लिए यह वरदान तो जरूर बनी है पर किसानों की चिंता भी अब बढ़ गयी है. इसके पीछे की वजह क्या है और किसानों के लिए मौसम विभाग का क्या है सलाह..जानिए..

Farmer News Bihar: बिहार में पिछले तीन दिनों से रुक रुक कर लगातार बारिश हो रही है. सूबे में बेहद कम बारिश होने की वजह से किसानों को इस बार बारिश की आस जरूर थी. वहीं जब मानसून लौटा है तो बारिश से लोगों का जन जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. पटना व भागलपुर समेत कोसी-सीमांचल व अन्य इलाकों में झमाझम बारिश हो रही है. इस बारिश ने खेती पर भी गहरा असर डाला है. बारिश से कहीं किसान के चेहरे खिले हुए हैं तो कहीं अधिक बारिश ने किसानों की चिंता भी बढ़ा दी है. जानिए मौसम विभाग किसानों को क्या सलाह देता है..

धान की खेती को लेकर किसानों की खुशी..

पिछले तीन दिनों तक रुक रुक कर हुई बारिश से किसानों के फसलों की उम्मीद बढ़ी है. जिससे किसानों के चेहरे पर खुशी देखी जा रही है. अभी तक उन्हें अपनी फसल सूखने की चिंता सता रही थी, लेकिन बारिश ने मानों उनके लिए संजीवनी का काम किया हो. किसानों का कहना है कि इस बारिश से उन्हें काफी राहत मिली है. बगहा में इस बार मानसून में दो से चार बार ही बारिश हुई है. बाकी दिन सूखे ही जा रहे थे. इससे किसानों की चिंता बढ़ गई थी. उन्हें डर सता रहा था कि खेती में ज्यादातर पूंजी लगा दी अगर बारिश न होने से उनकी मेहनत बेकार जा सकती है. मानसून की आहट मिलते ही किसानों ने धान की रोपनी तो किसी तरह करा दी थी. लेकिन पूरा आषाढ़ सावन बीत जाने के बाद भी बारिश नहीं होने से उन्हें निराशा लग रही थी. वही सिंचाई के लिए उन्हें ठीक से पानी नहीं मिल पा रहा था. जिससे फसल सूखने और बर्बाद होने का खतरा मंडरा रहा था. किसानों की इन चिंताओं के बीच पिछले दिनों मौसम ने करवट बदली, देखते ही देखते बादल ने चारों ओर से घेर लिया और बारिश शुरू हो गयी. जिससे किसानों के चेहरे पर एक बार फिर रौनक लौट आई. किसानों का कहना है कि यदि बारिश होती रहेगी तो अभी भी फसल सूखे से बच सकती है, लेकिन यदि बारिश नहीं हुई तो इस बार सभी फसलों में नुकसान ही नुकसान दिखाई पड़ रहा है. किसानों का कहना है कि बीते दस पंद्रह दिनों से वर्षा नहीं होने और तेज गर्मी ने किसानों के माथे पर बल ला दिया था, लेकिन तीन-चार दिनों से हो रही बारिश धान उत्पादक किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है. वर्षा होने से किसानों को अब सिंचाई के लिए पंप सेट पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा. पंप सेट से सिंचाई से किसानों की लागत बढ़ जाती है.

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धान की खेती को कहां हो रहा नुकसान?

सुपौल में पिछले तीन दिनों से रुक रुक कर हो रही लगातार बारिश के कारण निर्मली प्रखंड क्षेत्र की खेतों में फसल डूब गए हैं. घर आंगन में पानी भर गया है. पथरा उत्तर पंचायत जोल्हनियां के ग्रामीणों का कहना है विगत तीन दिनों से हो रही बारिश के कारण हमलोगों के घर में पानी भरा हुआ है जिस कारण घर से निकलना मुश्किल हो रहा है. किसानों ने कहा कि वर्षा के साथ तेज हवा बहने के कारण खेतों में लगे धान की फसल गिर गयी है. जिससे किसानों को बड़ा नुकसान पहुंचा है. किसानों की मेहनत पर पानी फिर गया है. पिछले गुरुवार और शुक्रवार को हुई हल्की बारिश से किसानों में खुशी थी. लेकिन शुक्रवार देर रात और शनिवार को जमकर हुई बारिश लोगों के लिए मुसीबत बन गया है. कई जगहों पर हवा के झोंकों के साथ बारिश होने से धान के पौधे गिरने लगे हैं.

उतरा नक्षत्र किसानों के लिए कितना लाभकारी?

ऐसा माना जाता है कि उतरा नक्षत्र का पानी खरीफ के मुख्य फसल धान के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है. बाली दे रहे धान की फसल के लिए उतरा नक्षत्र में हो रही बारिश संजीवनी का काम कर रहा है. धान के साथ-साथ अन्य फसलों के लिए भी यह फायदेमंद है. बता दें कि 14 सितंबर से शुरू हुई ‘उतरा नक्षत्र’ दो दिनों से उमड़-घुमड़ कर खूब बरस रही है. बीएयू सबौर के ग्रामीण कृषि मौसम सेवा के नोडल पदाधिकारी डॉ सुनील कुमार ने  किसानों को सलाह दी है कि बारिश के साथ पूरबा हवा चलती है तो इस दौरान फसलों की सिंचाई रोककर किसी प्रकार का छिड़काव न करें.

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