हिट एंड रन मामले में बोकारो में बीते सात महीने में 39 लोगों ने क्लेम किया है. इनमें से 12 लोगों (11 मृतक के आश्रित व एक घायल) को मुआवजे की राशि दी जा चुकी है. 27 आश्रितों के आवेदन पर परिवहन विभाग द्वारा कार्यवाही की जा रही है. परिवहन विभाग के अनुसार सितंबर व अक्टूबर माह के आवेदन पर कार्यवाही की जा रही है. गौरतलब है कि मुआवजे की बढ़ी हुई राशि अप्रैल माह से लागू की गयी है. क्लेम करने पर आश्रित के आवेदन पर डीसी की अध्यक्षता में बनी क्लेम सेटलमेंट कमेटी जांच के बाद फैसला लेती है.
जागरूकता की है कमी
हिट एंड रन मामले में मृतक के आश्रितों को फिर से जिंदगी शुरू करने के लिये भारत सरकार की ओर से मुआवजे की राशि बढ़ायी गयी है, लेकिन जागरूकता के अभाव में पीड़ित परिवार क्लेम नहीं पाते हैं. इससे वे योजना का लाभ लेने से वंचित हो जाते हैं. वहीं, घर के सदस्य की मौत से गम में डूबा अधिकांश परिवार इस ओर ध्यान भी नहीं देता है. अप्रैल माह से केंद्र सरकार मृतक के आश्रितों को सड़क सुरक्षा फंड से तुरंत दो लाख रुपये मुआवजा के रूप में दे रही है. वहीं, घायलों को 50 हजार रुपये मिल रहे हैं. इससे पूर्व मृत्यु होने पर आश्रित को 25 हजार रुपये व गंभीर रूप से घायल को 12.50 हजार रुपये मिलते हैं.
हिट एंड रन मामले में कैसे करें क्लेम
सड़क हादसे में जब टक्कर मारने वाला व्यक्ति वाहन के साथ मौके से भाग जाता है या पकड़ा जाता है, लेकिन दुर्घटना में जब मौत हो जाती है या व्यक्ति जख्मी हो जाता है तो यह हिट एंड रन मामला बनता है. इसमें मृतक के आश्रितों अथवा घायल को वाहन बीमा कंपनी मुआवजा तो देती ही है. सरकार की ओर से भी सहयोग किया जाता है. जिला परिवहन विभाग या अनुमंडल पदाधिकारी के कार्यालय में आवेदन जमा कर आश्रित या घायल मुआवजा प्राप्त कर सकते हैं. मुआवजे के लिये आवेदन के साथ दुर्घटना के संबंध में दर्ज करायी गयी प्राथमिकी की फोटो कॉपी, मृत्यु होने पर पोस्टमार्टम रिपोर्ट की फोटो कॉपी, डेथ सर्टिफिकेट की फोटो कॉपी, मृतकों व दावेदारों की पहचान से संबंधित दस्तावेज, मृतक या घायल का जन्म प्रमाण पत्र जमा करना होता है.
हिट एंड रन से जुड़ी धाराओं को जानें
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धारा 304 के तहत गैर इरादतन हत्या के चलते 10 साल की जेल हो सकती है.
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धारा 279 के तहत लापरवाही से गाड़ी चलाने पर छह महीने की जेल हो सकती है.
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धारा 337, 338 के तहत चोट पहुंचाना, किसी की जिंदगी को खतरे में डालने पर दो साल की सजा हो सकती है.
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धारा 34ए, बी, सी के तहत गलत तरीके से गाड़ी चलाने का मामला दर्ज होता है.
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धारा 185 के तहत शराब पीकर तेजी से गाड़ी चलाने पर मामला दर्ज हो सकता है.
क्या कहते हैं अधिकारी
आवेदन मिलते ही 24 घंटे के अंदर क्लेम से संबंधित कार्यवाही शुरू कर दी जाती है. सितंबर से पूर्व के सभी क्लेम का सेटलमेंट कर लिया गया है. विभाग इस मामले में अप टू डेट कार्य कर रहा है. इस योजना को लेकर ग्रामीण इलाकों में जागरूकता की कमी है. योजना की जानकारी देने के लिये समय-समय पर अभियान भी चलाया जाता है.
-संजीव कुमार, डीटीओ बोकारो
रिपोर्ट : सुनील कुमार महतो, बोकारो