ललपनिया (बोकारो), नागेश्वर : गोमिया प्रखंड के चतरोचटी वन बीट मैन पावर की कमी से जूझ रहा है. यह वन बीट हजारीबाग पूर्वी वन प्रमंडल क्षेत्र में पडता है. विभाग में कर्मचारियों की कमी के कारण वन बीट में कार्यरत कर्मचारियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. बता दें कि चतरोचटी वन बीट नक्सल प्रभावित सात पंचायतों से जुड़ा है, जिसमें 45 जंगल आते हैं. ये जंगल 30 किलोमीटर की रेडियस में हैं. वन बीट में बडकीचिदरी, चुटे, कर्री, हुरलूंग, बड़कीसिधावारा, चतरोचटी, लोधी और पचमो का कुछ हिस्सा पड़ता है. वर्तमान में वन बीट में सात वनरक्षी के पद हैं, इनमें महज दो वनरक्षी ही नियुक्त हैं, बाकि 5 पद रिक्त पड़े हैं. इतना ही नहीं रेंजर और वनपाल का पद भी प्रभार चल रहा है.
दो वनरक्षी के सहारे 45 जंगल, ग्रामीण को भी परेशानी
चतरोचटी वन बीट में कार्यरत महज दो वनरक्षी के सहारे ही 45 जंगलो की देखभाल का काम चल रहा है. चिंता की बात यह है कि एक तो यह बीट नक्सल प्रभावित इलाकों से जुड़ा है. वहीं, इन इलाकों में जगंली हाथियों का भी आना जाना लगा रहता है. जंगली हाथी क्षेत्र के लोगों को आए दिन नुकसान भी पहुंचाते रहते हैं. जगंली हाथियों के आगमन पर ग्रामीणों के साथ कर्मियों को काफी परेशानियों का सामना करना पडता है. रेजंर, वन पाल का पद पदभार पर चलने से भी ग्रामीणों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. चतरोचटी वन बीट का कार्यालय गोमिया कार्यालय से जुड़ा है, जो चतरोचटी से वन बीट क्षेत्र से लगभग 30 किलोमीटर दूर है.
ग्रामीणों के लिए एक अच्छी खबर भी
हालांकि, एक अच्छी खबर भी है कि वर्तमान में हजारीबाग पूर्वी वन प्रमंडल के डीएफओ सौरभ चंद्रा के प्रयास से चतरोचटी के जरकूंडा में रेंजर कार्यालय का निर्माण हो रहा है. रेंजर कार्यालय का निर्माण कार्य अभी अतिंम चरण में है. इस कार्यालय का संचालन शुरू हो जाने से क्षेत्र के ग्रामीणों को 25 से 30 किलोमीटर की दूरी तय नहीं करनी होगी. इस वन बीट के अंदर कोनार नदी के तट में एक अतिथि भवन बनकर तैयार है, जंहा पर्यटकों को लाभ मिलेगा.
क्या कहते हैं प्रभार वन प्रक्षेत्र पदाधिकारी
ग्रामीणों की मानें तो फिलहाल, चतरोचटी वन बीट को जरूरत है वनकर्मियों की कमी को पाटना ताकि वन विकास के अलावा वन बीट क्षेत्र में आने वाले ग्रामीणो को भी लाभ बेहतर ढगं से मिल सके. इस संबध में प्रभार वन प्रक्षेत्र पदाधिकारी सुरेश राम ने कहा कि ‘कर्मचारियों की कमी तो विभाग को खलती है, विभाग को इस संबध में जानकारी दी गयी है.’ अब देखना है कि आखिर यह कमी कब दूर होगी.