Bokaro News: रसोई से निकलने वाला कचरा सड़न और बदबू पैदा करता है. लेकिन, इसका इस्तेमाल सही दिशा और तरीके से किया जाय तो ये काफी फायदेमंद है. इस दिशा में बोकारो स्टील प्लांट की अनोखी पहल सामने आयी है. किचन से निकलने वाला कचरा अक्सर कूड़े में ही समा जाता है. इसका निस्तारण नहीं होने से परेशानी होती है. लेकिन, रसोई घर से निकलने वाले कचरे को सही तरीके से इस्तेमाल किया जा सके तो इससे काफी फायदेमंद चीजें बनाई जा सकती है. इस दिशा में बोकारो स्टील प्लांट कैंटीन ने पहल की है. बीएसएल अपने कैंटीन से निकलने वाले सब्जियों, चाय पत्ती समेत कई तरह के कूड़ों का इस्तेमाल कुकिंग गैस बनाने के लिए कर रहा है. बीएसएल प्लांट के कैंटीन में बचा हुआ खाद्य पदार्थ कचरा व बदबूदार ढेर के अलावा कुछ भी नहीं था. लेकिन, अब इसका उपयोग बायोगैस के उत्पादन के लिए किया जा रहा है.
बोकारो स्टील प्लांट में बायोगैस का प्लांट ईडी वर्क्स बिल्डिंग के पास लगाया है. यहां से उत्पादित बायोगैस को पाइप लाइन के माध्यम से ईडी वर्क्स बिल्डिंग में अवस्थित कैंटीन में ले जाया गया है. जहां इसी बायोगैस का इस्तेमाल कर खाना बनाया रहा है. इसके लिए बीएसएल के पर्यावरण नियंत्रण विभाग ने पुणे की एक अपशिष्ट प्रबंधन कंपनी के साथ भागीदारी की है. इस प्राइवेट कंपनी में एक डाइजेस्टर लगाया है, जो जैविक कचरे को बायोगैस में बदल देता है. कैंटीन कचरे के सदुपयोग व ऊर्जा संरक्षण की दिशा में यह बीएसएल का एक अनूठा प्रयास है. इस प्रक्रिया के अंतर्गत प्लांट के अंदर बायोगैस जनरेटर स्थापित किया गया है. बीएसएल प्लांट की कैंटीन से रोजाना 700 से 1000 किलोग्राम कचरा निकलता है. बीएसएल के बायोगैस प्लांट की क्षमता 500 किलोग्राम प्रति दिन है. रोजाना 40 क्यूबिक मीटर बायोगैस का उत्पादन हो रहा है.
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सेल में 19 नवंबर से 18 दिसंबर तक पर्यावरण माह मनाया जा रहा है. पर्यावरण संरक्षण और स्थिरता के महत्व के बारे में जा सामान्य के बीच जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से बोकारो स्टील प्लांट द्वारा इस दौरान कई पहल किये जा रहे हैं. इस दिशा में बीएसएल में उत्पन्न होने वाले कैंटीन कचरे के उचित निपटान के लिए अधिशासी निदेशक (संकार्य) बीके तिवारी ने गुरूवार को अधिशासी निदेशक (संकार्य) कैंटीन के पास स्थापित 500 किलोग्राम प्रति दिन क्षमता वाले बायो-डाइजेस्टर का उद्घाटन किया. बायो-डाइजेस्टर बोकारो स्टील प्लांट के अंदर कैंटीनों से पूरे संयंत्र में उत्पन्न होने वाले कैंटीन कचरे को प्रोसेस करने के लिए स्थापित किया गया है. उल्लेखनीय है कि यह परियोजना 220 टन जीएचजी प्रति वर्ष से अधिक की कमी लाने में मदद करेगी. बीएसएल की यह पहल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक अनूठी पहल है.
पुणे से मैसर्स झियोन वेस्ट मैंजर्स एलएलपी द्वारा आपूर्ति किये गये बायो-डाइजेस्टर प्लांट में खाद्य अपशिष्ट, सब्जियों के छिलके आदि जैसे जैविक कचरे के 500 किलोग्राम/दिन को प्रोसेस करने की क्षमता है. उत्पन्न होने वाली बायो-गैस का उपयोग अधिशासी निदेशक (संकार्य) कैंटीन में एलपीजी सिलेंडर के बदले खाना पकाने के लिए किया जा रहा है. बायो गैस संयंत्र से उत्पन्न होने वाले स्लरी का उपयोग संयंत्र के भीतर बगीचों में खाद के रूप में किया जा रहा है. बायो-डाइजेस्टर प्लांट परियोजना की शुरुआत कार्मिक विभाग द्वारा किया गया था. एनवायरनमेंट व सेस्टेनेबिलिटी विभाग द्वारा समन्वित व परियोजना प्रभाग द्वारा निष्पादित किया गया. श्री तिवारी ने पर्यावरण, परियोजनाओं व कार्मिक विभाग को बधाई दी.प्लांट व टाउनशिप में सूखे व बायो-डिग्रेडेबल गीले कचरे के उचित पृथक्करण के लिए प्रोत्साहित किया.
कैंटीन में प्रतिदिन एक वाणिज्यिक एलपीजी सिलेंडर के बदले इसका उपयोग होगा. जैविक खाद भी मिलेगा. पर्यावरण और सस्टेनेबिलिटी से संबंधित बीएसएल की विभिन्न पहलों के कारण बीएसएल को ग्रीनटेक फाउंडेशन द्वारा 2022 के दौरान “पर्यावरण संरक्षण” श्रेणी में ग्रीनटेक पर्यावरण उत्कृष्टता पुरस्कार का विजेता घोषित किया गया है. अधिशासी निदेशक-कार्मिक एवं प्रशासन संजय कुमार, परियोजना- सीआर महापात्रा, सीजीएम-सेवाएं अनिल कुमार, सीईडी शालिग्राम सिंह, प्रोजेक्ट्स एन रे, ईएमडी और यूटिलिटीज पीके बसाखिया, सीजीएम इंचार्ज-कार्मिक पवन कुमार, सीजीएम (सी एंड ए) बी सरतापे, सीजीएम (यांत्रिकी) वीके सिंह, महाप्रबंधक/पर्यावरण एवं सस्टेनेबिलिटी एनपी श्रीवास्तव, महाप्रबंधक (कार्मिक-संकार्य) नीना सिंह उपस्थित थे.
रिपोर्ट : सुनील तिवारी, बोकारो