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17 साल पूर्व बोकारो स्टील सिटी कॉलेज में 40 लाख से हुआ था निर्माण
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50 बेड के छात्रावास में पानी-बिजली व अन्य सुविधाओं के लिए तरसते हैं विद्यार्थी
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छात्रावास आने-जाने के लिए पगडंडी है एकमात्र सहारा
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जब होता है पत्राचार, तब हरकत में आता है कल्याण विभाग
रंजीत कुमार, बोकारो : बोकारो स्टील सिटी कॉलेज में 40 लाख रुपये की लागत से बने 50 बेड का अनुसूचित जाति-जनजाति पुरुष छात्रावास का हाल बेहाल है. 17 साल पूर्व बने इस छात्रावास में पानी और बिजली की पर्याप्त सुविधा नहीं होने से विद्यार्थी परेशान रहते हैं. छात्रावास की हालत लगातार खराब हो रही है. कोने में रखे लोहे के 24 बेड बर्बाद हो रहे हैं. आगे-पीछे बाउंड्री टूट कर गिर रही है. कैंपस में जानवरों का आना-जाना लगा रहता है. कई बार जानवर सीधे छात्रावास में प्रवेश कर जाते हैं. छात्रावास तक आने-जाने के लिए आज तक सड़क तक नहीं बनायी गयी. पगडंडी ही एकमात्र सहारा है. बरसात में आना-जाना मुश्किल हो जाता है. स्थिति लगातार चिंताजनक बनी हुई है. पेयजल की व्यवस्था दुरुस्त नहीं होने से शौचालय व बाथरूम की स्थिति खराब है. उपयोग नहीं के बराबर होता है. नहाना व कपड़े धोना भी बाहर लगे नल के पास करना पड़ता है. छात्रावास में मेस की शुरुआत करने के लिए किचन बनाया गया था. विडंबना है कि आज तक मेस शुरू नहीं हो पाया है. खाना बनाने लायक किचन नहीं है.
कई जिलों के विद्यार्थी रहते हैं यहां
लगभग हर कमरे में स्विच बोर्ड खराब है. जैसे-तैसे बिजली का तार जुड़ा हुआ है. छात्रावास में वाई-फाई की सुविधा भी खत्म है. बॉक्स हटा लिया गया है. छात्रावास में फिलहाल बीएड, स्नातकोत्तर व स्नातक के कुछ विद्यार्थी रहते हैं. यहां जमशेदपुर, रामगढ़, साहेबगंज, गोड्डा, दुमका, पतरातू, सिल्ली, पेटरवार, ललपनिया, जैनामोड़, केदला, भस्की, कसमार, सिमडेगा, चाइबासा, चंदनकियारी के लगभग 35 विद्यार्थी पिछले सत्र में थे. समस्या का समाधान नहीं होते देख विद्यार्थियों ने छात्रावास से दूरी बना ली है.
कल्याण विभाग से पत्राचार किया गया है. छात्रावास की समस्या को लेकर कॉलेज प्रबंधन गंभीर है. वाई-फाई की सुविधा के साथ अन्य कार्य जल्द शुरू हो जायेंगे.
डॉ डीपी कुंवर, प्राचार्य, बोकारो स्टील सिटी कॉलेज
क्या कहते है विद्यार्थी
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“छात्रावास में काफी असुविधाएं हैं. कहां से बताना शुरू करें. समस्या ही समस्या है. कोई सुनवाई नहीं होती है. यहां रहना मुश्किल हो रहा है.” – प्रदीप कुमार, ललपनिया
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“हल्की बारिश में छात्रावास में आना-जाना मुश्किल हो जाता है. आज तक रास्ता नहीं बन पाया है. आग्रह करने पर कॉलेज प्रबंधन ईंट बिछाता है.” – अजीत कुमार, जैनामोड़
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“पानी के लिए हलकान हो जाते हैं. कॉलेज की ओर से पाइप बिछा दी गयी है. बस कॉलेज को दी गयी सुविधा के भरोसे ही हमलोग छात्रावास में हैं.” – अरुण कुमार, पेटरवार