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Jharkhand News: 120 मेगावाट Solar Power Plant लगाने की तैयारी में BSL, पानी पर तैरते नजर आयेंगे प्लांट

Jharkhand News: बीएसएल के प्रभारी निदेशक अमरेंदु प्रकाश ने जानकारी दी है कि बीएसएल जल निकायों में पावर प्लांट स्थापित करने के लिए काम कर रहा है. इसके लिए स्पॉट की पहचान कर ली गई है. 120 मेगावाट का सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट पानी पर तैरता नजर आयेगा.

Jharkhand News: बोकारो स्टील प्लांट प्रबंधन 120 मेगावाट का सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट लाने की तैयारी में है. ये पानी पर तैरता नजर आयेगा. झारखंड रिन्यूएबल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी (जरेडा) और ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (बीईई) के साथ समन्वय कर बीएसएल इस परियोजना पर काम कर रहा है. बीएसएल ने फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट लगाने के लिए बालीडीह स्थित गरगा डैम और कूलिंग पॉन्ड-01 को चिन्हित किया है. जरेडा कूलिंग पॉन्ड-1 व गरगा डैम का सर्वेक्षण कर चुका है. कूलिंग पॉन्ड-1 का क्षेत्रफल 3.2 वर्ग किलोमीटर है. इसके 30% एरिया में 70 मेगावाट उत्पादन क्षमता का सोलर पावर प्लांट लगेगा. गरगा डैम लगभग 4 वर्ग किलोमीटर में फैला है. इसके 20% एरिया में 50 मेगावाट उत्पादन क्षमता का सोलर पावर प्लांट लगाया जाएगा. इस तरह 120 मेगावाट का सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट लाने की तैयारी में बीएसएल जुटा हुआ है.

स्टील प्लांट और टाउनशिप में होगा बिजली का इस्तेमाल

जलाशयों में सौर ऊर्जा से बनने वाली बिजली का इस्तेमाल स्टील प्लांट और टाउनशिप में होगा. बीएसएल के प्रभारी निदेशक अमरेंदु प्रकाश ने जानकारी दी है कि बीएसएल जल निकायों में पावर प्लांट स्थापित करने के लिए काम कर रहा है. इसके लिए स्पॉट की पहचान कर ली गई है. उल्लेखनीय है कि बीएसएल को वर्तमान में बोकारो पावर सप्लाई कंपनी प्राइवेट लिमिटेड (बीपीएससीएल) और दामोदर वैली कॉर्पोरेशन (डीवीसी) से बिजली मिलती है. 332 मेगावाट का बीपीएससीएल पावर प्लांट अपनी पूरी बिजली बीएसएल को सप्लाई करता है.

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तैरते हुए सोलर प्लांट अधिक टिकाऊ और व्यावहारिक

तैरते हुए सोलर प्लांट अधिक टिकाऊ और व्यावहारिक होंगे, क्योंकि ये सौर ऊर्जा उत्पादन के साथ-साथ जल संरक्षण भी करेंगे और भूमि खरीदने का खर्च भी बचायेंगे. ये परियोजना पानी की पारिस्थितिकी को प्रभावित नहीं करेगी, बल्कि इससे संबंधित जलस्त्रोत से वाष्पीकरण कम होगा और उसका जलस्तर बरकरार रखने में भी मदद मिलेगी. सौर ऊर्जा एक विश्वसनीय और टिकाऊ ऊर्जा स्त्रोत के रूप में निरंतर बढ़ती ऊर्जा आवश्यकता के लिए एक अच्छे समाधान की तरह देखा जाता है. विशेष रूप से भारत के लिए यह अत्यंत महत्वपूर्ण है और इसपर बहुत अधिक ध्यान दिया जा रहा है. भारत में कई अन्य क्षेत्र भी इसे ऊर्जा के एक वैकल्पिक स्त्रोत के लिए एक मॉडल की तरह देख रहे हैं.

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उत्पादित हो रही है 2025.8 किलोवाट प्रति घंटा बिजली

उल्लेखनीय है कि बीएसएल में सोलर सिस्टम से 2025.8 किलोवाट प्रति घंटा बिजली उत्पादित हो रही है. बीएसएल और सेल व डीवीसी के संयुक्त उपक्रम बोकारो पावर सप्लाई कंपनी (बीपीएससीएल) के ज्वाइंट वेंचर में प्लांट के अंदर व बाहर आधा दर्जन स्थानों पर सोलर सिस्टम लगा हुआ है. सोलर सिस्टम 2019 में ही लगभग नौ करोड़ रुपये की लागत से जगह-जगह क्रमवार लगाया गया है. बीएसएल में यह सिस्टम अब तक पूरी तरह सफल है. प्रतिघंटा के हिसाब से देखा जाए, तो आठ से दस हजार रुपये की बचत हो रही है. इतना ही नहीं, नियमित बिजली भी मिल रही है. बीएसएल व बीपीएससीएल के संयुक्त तत्वावधान में एडियम बिल्डिंग, बीजीएच, एचआरडी, बोकारो निवास व सेल फुटबॉल मेस में सोलर सिस्टम लगाया गया है. इसके अलावा बोकारो स्टील प्लांट के अंदर आरएंडसी लैब एक्सटेंशन, आरएंडसी लैब, पीपीसी में सोलर सिस्टम लगा है. सोलर सिस्टम से 53.55 से 682.1 किलोवाट प्रति घंटा बिजली का उत्पादन हो रहा है, जहां बिजली का उत्पादन हो रहा है, वहीं इसका उपयोग भी हो रहा है.

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रिपोर्ट : सुनील तिवारी, बोकारो

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