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आज नहीं बनी बात, तो लंबा खींच सकता है बीएसएल-सेल कर्मियों का वेतन समझौता

बोकारो (सुनील तिवारी) : लंबित वेतन समझौते के लिए नेशनल ज्वाइंट कमेटी फॉर स्टील (एनजेसीएस) के दूसरे दौर की बैठक है. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सेल प्रबंधन व यूनियन की बैठक है. बीएसएल के लगभग 9500 सहित सेल के तकरीबन 56 हजार कर्मियों का वेतन समझौता जनवरी 2017 से लंबित है. वेतन समझौते का 48 माह का उनका इंतजार अब खत्म हो सकता है. इसलिए बैठक की ओर बीएसएल सहित सेल कर्मी टकटकी लगाये बैठे हैं. बैठक में एनजेसीएस (इंटक, एटक, सीटू, एचएमएस व बीएमएस) के सदस्य शामिल हैं.

बोकारो (सुनील तिवारी) : लंबित वेतन समझौते के लिए नेशनल ज्वाइंट कमेटी फॉर स्टील (एनजेसीएस) के दूसरे दौर की बैठक है. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सेल प्रबंधन व यूनियन की बैठक है. बीएसएल के लगभग 9500 सहित सेल के तकरीबन 56 हजार कर्मियों का वेतन समझौता जनवरी 2017 से लंबित है. वेतन समझौते का 48 माह का उनका इंतजार अब खत्म हो सकता है. इसलिए बैठक की ओर बीएसएल सहित सेल कर्मी टकटकी लगाये बैठे हैं. बैठक में एनजेसीएस (इंटक, एटक, सीटू, एचएमएस व बीएमएस) के सदस्य शामिल हैं.

बोकारो स्टील प्लांट के कर्मियों का यह मानना है कि वर्तमान सेल चेयरमैन के कार्यकाल में यदि वेतन वार्ता किसी निष्कर्ष तक नहीं पहुंचती है, तो नये चेयरमैन के पदभार ग्रहण करने के बाद यह समझौता काफी लंबा खींच सकता है. वर्तमान चेयरमैन लंबे समय से सेल से जुड़े हुए हैं. उन्हें सेल, इस्पात उद्योग व द्विपक्षीय समिति एनजेसीएस में यूनियनों के साथ चर्चा कर वेतन समझौता करने का भी अच्छा अनुभव है. उनके सेवानिवृत्त होने के बाद उद्योग व कर्मियों की समस्याओं से मंत्रालय को अवगत करवाने में नये चेयरमैन को कुछ समय लग सकता है. मतलब, आज बात नहीं बनी तो वेतन समझौता लंबा खींच सकता है.

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बीएसएल सहित सेल कर्मियों को उम्मीद है कि तीन-चार दौर की वार्ता के बाद दिसंबर आखिर तक वेतन समझौते के मसौदे पर केंद्रीय यूनियनों व सेल प्रबंधन के बीच अंतिम सहमति बन जायेगी. दोनों पक्षों की मंशा है, हर हाल में दिसंबर अंत तक वेतन समझौता हो जाय. इस बात का इशारा सेल चेयरमैन भी दे चुके हैं. पहले विश्व इस्पात बाजार में लगातार मंदी और सेल के घाटे में रहने के कारण यह मामला अब तक लंबित रहा. नौ नवंबर को दोनों पक्षों (सेल प्रबंधन व यूनियन) के बीच वेतन पुनरीक्षण को लेकर दूसरे दौर की वार्ता शुरू होगी. इससे पहले चार मार्च को एनजेसीएस की पहली बैठक हुई थी.

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केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने 20 फीसदी मिनिमम गारंटेड बेनिफिट (एमजीबी) व 35 फीसदी पर्क्स की मांग की है. अपने प्रस्ताव का चार्टर ऑफ डिमांड संयुक्त यूनियन की तरफ से सेल प्रबंधन को पहले हीं सौंपा जा चुका है. यूनियन नेताओं की माने तो इस बार बैठकों का दौर पर दौर नहीं चलेगा. दो-तीन वार्ता में हीं सार्थक चर्चा करते हुए वेतन पुनरीक्षण के मसौदे को अंतिम रूप दे दिया जायेगा. उधर, सेल के बीते दो साल से लगातार प्रॉफिट में रहने के बाद भी कर्ज की राशि में खास अंतर नहीं आया है. कंपनी पर अभी भी 50,000 करोड़ से अधिक का कर्ज है. ऐसे में 48 माह से पेंडिंग रिवीजन का निपटारा बड़ी चुनौती है.

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लगातार दो साल वित्तीय वर्ष 2016-17 व 2017-18 में घाटे में रहने के बाद अब सेल बीते दो वर्ष से मुनाफे में है. वर्ष 2018-19 में 2179 और अब 2019-20 में 2022 करोड़ मुनाफा कर पश्चात हुआ है. बीते तीन का साल का कर पूर्व लाभ करीब 1759 करोड़ है. इसका 20 प्रतिशत करीब 300 करोड़ होता है. इसे देखते हुए माना जा रहा है कि अब वेतन समझौता लगभग तय है. बीएसएल सहित संयंत्र बिरादरी में चर्चा है कि सेल को संकट से उबारने में चेयरमैन अनिल कुमार चौधरी की बड़ी भूमिका रही है. वह दिसंबर 2020 में रिटायर हो जायेंगे. इससे पहले वे वेतन समझौते को अंतिम रूप दे जायेंगे.

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बोकारो इस्पात कामगार यूनियन (एटक) के महासचिव रामाश्रय प्रसाद सिंह ने कहा कि सेल प्रबंधन की ओर से बुलावा आया है. कर्मचारियों की भावनाओं के अनुरूप वेतन समझौता हो, इसका पूरा प्रयास किया जायेगा. क्रांतिकारी इस्पात मजदूर संघ (एचएमएस) के महामंत्री राजेंद्र सिंह ने कहा कि आज एननजेसीएस की बैठक है. वेतन समझौते पर ही चर्चा होनी है. कर्मियों को ज्यादा से ज्यादा वेज व लाभ दिलाना प्राथमिकता होगी.

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Posted By : Guru Swarup Mishra

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