राष्ट्रीयकरण से पूर्व जहां कोल इंडिया में 70 मिलियन टन कोयले का उत्पादन होता था, वहीं वर्तमान में लक्ष्य बढ़कर 700 मिलियन टन (2022-23) हो गया है. इसमें आधा से ज्यादा उत्पादन आउटसोर्स से किया जा रहा है. चालू वित्तीय वर्ष के 10 नवंबर तक लगभग 370 मिलियन टन उत्पादन हुआ है. 700 मिलियन टन के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए शेष बचे 142 दिन में 330 मिलियन टन उत्पादन करना होगा. वहीं आगामी 2025 तक कोल इंडिया का उत्पादन लक्ष्य 1 बिलियन टन रखा गया है. इसके लिए 20 हजार हेक्टेयर अतिरिक्त भूमि की आवश्यकता पड़ेगी.
पब्लिक सेक्टर के क्षेत्र में आज कोल इंडिया पूरे विश्व में सबसे ज्यादा कोयला उत्पादन करनेवाला कंपनी है. पूरे देश में कोल इंडिया अपने उत्पादन का 81 फीसदी योगदान ऊर्जा के क्षेत्र में दे रही है. कोल इंडिया में भारत सरकार का 90 फीसदी शेयर है तथा यह कंपनी कोयला मंत्रालय, भारत सरकार से ऑपरेट होता है. अप्रैल 2011 में भारत सरकार ने कोल इंडिया को महारत्ना कंपनी का दर्जा दिया था. भारत के आर्थिक बाजार में आज कोल इंडिया पांचवीं सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण कंपनी बन गयी है.
Also Read: झारखंड विधानसभा का विशेष सत्र आज, स्थानीयता और आरक्षण बिल होगा पारित
1970 के दशक में दो चरणों में पूर्व प्रधानमंत्री स्व इंदिरा गांधी ने कोयला उद्योग का राष्ट्रीयकरण किया था. 1972 में 226 कोकिंग कोल माइंस का (बीसीसीएल से) तथा 711 नन-कोकिंग कोल माइंस का (कोल माइंस ऑथोरिटी लि.) से राष्ट्रीयकरण किया गया. 1 नवंबर 1975 को कोल इंडिया (सीआइएल) का गठन किया गया. 1975 से 2010 तक कोल इंडिया में भारत सरकार की सौ फीसदी साझेदारी हो गयी. अक्टूबर 2010 में कोल इंडिया ने प्रति शेयर 245 रुपये की दर से 10 फीसदी शेयर बेचकर 24 हजार करोड़ रुपया अर्जित किया. यह आइपीओ में भारत का दूसरा सबसे बड़ा कलेक्शन था.
इसके बाद 2014-15 में और 10 फीसदी शेयर बेच कर सरकार ने करीब 20 हजार करोड़ रुपये अर्जित किये. अभी तक कोल इंडिया में कुल 32 फीसदी विनिवेश किया जा चुका है. कोल इंडिया का फिलहाल आठ राज्यों में 81 माइनिंग एरिया है. राष्ट्रीयकरण के वक्त कोल इंडिया में 937 कोल माइंस थी. वर्तमान में लगभग 354 ओसी व यूजी माइंस है. कोल इंडिया में कुल 17 कोल वाशरी भी है. इसमें 12 कोकिंग कोल वाशरी तथा पांच नन-कोकिंग कोल वाशरी है. इसमें 5-6 वाशरियां बंद हो गयी हैं. कोल इंडिया में करीब 200 अन्य स्टेब्लिशमेंट है, जिसमें वर्कशॉप तथा अस्पताल शामिल हैं.
विभिन्न यूनियन के नेताओं का कहना है कि कोल इंडिया पुन: निजीकरण की ओर जा रही है. कोल इंडिया का विनिवेश कॉमर्शियल माइनिंग जारी है. तेज गति से आउटसोर्सिंग व एमडीओ शुरू है. 162 कोल माइंस, सीएचपी व वाशरी को लीज पर निजी मालिकों काे दिये जाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है. कोल इंडिया के पास उसका अपना रिजर्व लगभग 62 हजार करोड़ रुपया केंद्र सरकार ने ले लिया है. आज कोल इंडिया के सार्वजनिक स्वरूप को बचाये रखने का सवाल है.
वर्ष उत्पादन (करोड़ टन में)
-
2016-17 55.4
-
2017-18 56.7
-
2018-19 60.0
-
वर्ष उत्पादन (करोड़ टन में)
-
2019-20 60.2
-
2020-21 59.6
-
2021-22 62.2
कोयला उद्योग के राष्ट्रीयकरण के बाद जब 01.01.1975 को पहली बार कोयला मजदूरों के लिए एनसीडब्ल्यूए-1 का एग्रीमेट हुआ. उस समय केटेगरी वन के मजदूरों का प्रति माह का बेसिक मात्र 260 रुपये था. जबकि एनसीडब्लूए-10 के एग्रीमेट के अनुसार केटेगरी-वन के मजदूरों का बेसिक प्रति माह 26,292 रुपये है. राष्ट्रीयकरण के वक्त कोल इंडिया का मैन पावर सात लाख हुआ करता था. आज की तारीख में मैन पावर घटकर 2.32 लाख पर आ गया है. वहीं आउटसोर्स में काम करनेवाले ठेका मजदूरों की भी संख्या लगभग पौने तीन लाख के आसपास है.
रिपोर्ट : राकेश वर्मा, बेरमो