चास : राज्य के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो की नातिन रिया कुमारी का नाम छह माह की फीस जमा नहीं करने के कारण ऑनलाइन क्लास से काट दिया गया. वह दिल्ली पब्लिक स्कूल (डीपीएस) चास में वर्ग चार की छात्रा है. नाम काटने की सूचना पाकर शिक्षा मंत्री शनिवार को स्कूल पहुंचे और कतार में लगकर खुद बकाया फीस जमा की. यह रकम अप्रैल से सितंबर 2020 तक प्रति माह 3,800 रुपये के हिसाब से 22,800 रुपये थी.
इस दौरान मंत्री ने ऑनलाइन क्लास से बच्ची को हटाने पर नाराजगी भी जतायी. उन्होंने साथ गयी जिला शिक्षा पदाधिकारी नीलम आइलिन टोप्पो को स्कूलों की मनमानी के खिलाफ शीघ्र जांच करने का आदेश भी दिया. इस संबंध में विभाग की ओर से पहले ही पत्र जारी किया गया है.
शिक्षा मंत्री ने कहा कि निजी स्कूलों की मनमानी को हम कैबिनेट को अवगत करायेंगे. हम बात करेंगे कि जब हमलोगों के साथ ऐसा हो सकता है तो दूसरे के साथ क्या होगा. इसके बाद हम आगे की सोचेंगे.
शिक्षा मंत्री के निर्देश पर शिक्षा विभाग ने 25 जून को आदेश दिया था कि ऑनलाइन कक्षाएं चलानेवाले स्कूलों के खुलने तक विद्यार्थियों से सिर्फ ट्यूशन फीस ली जाए. सत्र 2020-21 के लिए विद्यालय शुल्क में किसी प्रकार की वृद्धि नहीं की जाए. स्कूलों के पूर्ववत शुरू होने से पहले केवल शिक्षा शुल्क मासिक दर पर लिया जाए.
शिक्षण शुल्क जमा नहीं करने पर विद्यार्थी का नामांकन रद्द नहीं हो, ऑनलाइन क्लास से वंचित नहीं किया जाए. बिना भेदभाव के हर छात्र को ऑनलाइन क्लास के लिए आइडी, पासवर्ड व शिक्षण सामग्री भेजी जाए. कक्षाएं शुरू होने के बाद समानुपातिक आधार पर ही शुल्क लिया जाए. देर से शुल्क भुगतान करने पर अभिभावकों से विलंब शुल्क नहीं लिया जाए. स्कूल के शिक्षक व कर्मचारियों के वेतन आदि में कटौती या रोक नहीं लगे.
शिक्षा मंत्री श्री महतो ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि वह आज एक अभिभावक के रूप में स्कूल आये हैं. फीस जमा की है. आये दिन मीडिया के माध्यम से अभिभावकों के शोषण की बात लगातार सामने आ रही थी. आज इसकी हकीकत का पता चल गया. उनकी पीड़ा समझ में आयी. उन्होंने कहा कि राज्य के अन्य निजी स्कूलों पर नजर रखने के लिए अधिकारियों को आदेश दिया जायेगा. मंत्री दिन के 11.30 से 12.30 बजे तक स्कूल में रहे.
प्रभात खबर लगातार निजी स्कूलों की मनमानी और अभिभावकों की परेशानी का मुद्दा प्रमुखता से उठाता रहा है. विडंबना यह है कि सरकार की तमाम घोषणाओं और वायदों के बाद भी निजी स्कूलों के सामने व्यवस्था बौनी पड़ जाती है.
posted by : sameer oraon