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स्टील सिटी बोकारो में सॉफ्टवेयर पार्क का सपना फाइलों में कैद, साल 2014 में की गयी थी पार्क बनाने की घोषणा

बोकारो सूबे का तीसरा ऐसा जिला था, जहां सॉफ्टवेयर पार्क बनाने की घोषणा 18 जून 2014 को की गयी थी. पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इस संबंध में एमओयू साइन किया था. पार्क के लिए जगह अलॉट हुई, डीपीआर बनी, डिजायन तैयार किया गया, लेकिन नौ साल हो गये, धरातल पर कुछ नहीं उतरा है.

  • 18 जून 2014 को की गयी थी पार्क बनाने की घोषणा, जमीन अलॉट, डीपीआर व डिजायन भी बनकर है तैयार

  • करीब 20 करोड़ की लागत से वित्त वर्ष 2017-18 में पार्क का पहला फेज बन कर तैयार होने की थी उम्मीद

सीपी सिंह, बोकारो : बोकारो सूबे का तीसरा ऐसा जिला था, जहां सॉफ्टवेयर पार्क बनाने की घोषणा 18 जून 2014 को की गयी थी. पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इस संबंध में एमओयू साइन किया था. पार्क के लिए जगह अलॉट हुई, डीपीआर बनी, डिजायन तैयार किया गया, लेकिन नौ साल हो गये, धरातल पर कुछ नहीं उतरा है. 18 जुलाई 2016 को पार्क के लिए बियाडा क्षेत्र में भूमि आवंटित की गयी थी. 1.45 एकड़ भूमि पर पार्क बनना था. इतना ही नहीं, पार्क का डिजायन तैयार होने की बात भी कही गयी थी. धनबाद के सिंदरी में स्थापित सॉफ्टवेयर पार्क का डिजायन बनाने वाली कंपनी चड्डा एंड एसोसिएट ने ही बोकारो में प्रस्तावित पार्क का डिजायन तैयार किया था. डिजायन को मंजूरी के लिए केंद्रीय मंत्रालय में भेजा गया. माना जा रहा था कि लगभग 20 करोड़ की लागत से वित्तीय वर्ष 2017-18 में पार्क का पहला फेज बन जायेगा. 2020 तक पार्क का काम शुरू कर देना था. बकायदा डीपीआर भी तैयार कर ली गयी थी. लेकिन, पार्क आज तक फाइल में ही घूम रहा है.

2022 में सपने ने फिर से ली थी अंगड़ाई

पिछले ही साल यानी 2022 में सॉफ्टवेयर पार्क के सपने ने फिर से अंगड़ाई ली. पार्क निर्माण के लिए राज्य सरकार की ओर से संयुक्त सचिव की अध्यक्षता में दो सदस्यीय टीम बनायी गयी थी. टीम की जिम्मेदारी पार्क निर्माण के क्षेत्र में विस्तृत रिपोर्ट तैयार करनी थी, लेकिन 2022 के बाद अब तक इस दिशा में क्या हुआ, कोई बताने की स्थिति में नहीं है. अब समय के साथ सॉफ्टवेयर पार्क का नाम भी ओझल होने लगा है. ना तो राजनेता इस ओर ध्यान दे रहे हैं, ना ही कोई अधिकारिक घोषणा ही इस दिशा में हो रही है.

सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क ऑफ इंडिया के सॉफ्टवेयर पार्क बन जाने से बोकारो गुलजार हो जाता. एक ही छत के नीचे पढ़े-लिखे दो हजार युवाओं को नियोजन मिलता. बोकारो में दो-दो पॉलिटेक्निक संस्थान हैं, जहां से प्रति वर्ष 200 सूचना प्रौद्योगिकी के छात्र-छात्राएं पास होकर बीपीओ इंडस्ट्रीज में नौकरी के लिए महानगर जाते हैं. जो कंपनियां साॅफ्टवेयर की सुविधा लेना चाहें, उन्हें यहां से वे सुविधाएं मिलती.

क्या-क्या होता फायदा

  • सॉफ्टवेयर व सॉफ्टवेयर सेवाओं के विकास के साथ-साथ सूचना प्रौद्योगिकी योग्य सेवाओं व जैव प्रौद्योगिकी को मिलता प्रोत्साहन

  • इ-सर्विस व इ-गर्वनेंस बेहतर बनता

  • बोकारो साॅफ्टवेयर निर्यातक शहर के रूप में विकसित होता

  • सूचना प्रौद्योगिकी से संबंधित उद्योग की शुरुआत होती

  • सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक प्रेरक परिवेश बनाकर लघु व छोटे और मध्यम उद्यमी होते प्रोत्साहित

  • बोकारो में बीपीओ उद्योग की होती शुरुआत

सॉफ्टवेयर पार्क निर्माण संबंधी कोई नया अपडेट नहीं आया है. इस कारण कुछ कहा नहीं जा सकता है. सॉफ्टवेयर पार्क को लेकर जैसे ही कोई निर्देश प्राप्त होगा, वैसे ही अपडेट किया जायेगा.

कीर्तिश्री, डीडीसी, बोकारो

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