Bokaro news: बोकारो जिला के गोमिया प्रखंड मे बारिस तो हुई फिर भी सुखाड़ की स्थिति दिखने लगी है. सावन माह के अतिंम सप्ताह में हो रहे बारिश से किसानों में खुशी के साथ गम का भी माहोल है. किसानों को बारिश होने की खुशी है क्योंकि सूखे तालाब, कुआं, डोभा, नदी, नालों मे पानी भर गया. जिससे मवेशियों, साग सब्जियों के पैदावार में पानी का सदुपयोग होगा और पीने के लिये पानी मिलेगा. लेकिन धान रोपनी समय के बाद बारिश होने से किसान गम में है.
धान रोपनी समय के बाद बारिश होने से गम का माहौल
धान रोपनी समय के बाद बारिश होने से किसानो परेशान है. किसानों का कहना है कि समय पर बारिश नहीं होने से खेत में लगे धान के फसल पानी के अभाव मे मर गये, कुक्ष बचे भी तो जानवर चर गये. जिससे किसानों को भारी मुकसान का सामना करना पड़ रहा है. बता दें कि धान की खेती क्षेत्र के लिये मुख्य खेती है, धान कि खेती छोटे बडे सभी किसान करते हैं, अब लोगों को समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर क्या करें और बारिश होते देख खुशी के साथ गम में भी डुबे है.
बहुत से किसान धान की खेती पर आश्रित
गोमिया प्रखंड मे बहुत से किसान एसे हैं जो धान की खेती पर हीं आश्रित है, प्रखंड मे 36 पंचायत मे प्रायह सभी पंचायतों मे धान की खेती होती है, विशेष कर महुआटांड, तिरला, जगेश्वर, कुदां, अइयर, बडकीपुनू, कडेंर, तिलैया, पचमों, बडकीसिधावारा, चतरोचटी, हुरलूंग, बडकीचिदरी, कर्री, चुटे, खंबरा, सिंयारी, तुलबुल, धवैया, लोधी, गोमिया आदि गावों मे प्रचुर मात्रा मे धान की खेती होती है. कुछ हीं गांव है जहां पर धान की खेती के अलावा अन्य खेती किसान करते है. किसानों का कहना है कि जीवन जीने के लिये कुक्ष तो करना होगा, पानी नहीं होने और खेती नहीं हो पाने की स्थिति में धीरे धीरे गांव के युवक पलायन करने लगे है.
रिपोर्ट: नागेश्वर कुमार, बोकारो