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डुमरी उपचुनाव : बोकारो के ऊपरघाट में कभी गूंजती थी नक्सलियों की गोलियां, अब शांति से होता है मतदान

डुमरी विधानसभा उपचुनाव को लेकर सभी रेस हैं. नावाडीह प्रखंड अंतर्गत ऊपरघाट का इलाका कभी नक्सलियों की गोलियों से गूंजती थी, लेकिन अब स्थिति बदल गयी है. अब यहां के लोग भी बेखौफ मतदान में भाग लेते हैं. नावाडीह और चंद्रपुरा प्रखंड मिलाकर बूथों की कुल संख्या 174 है.

बेरमो (बोकारो), राकेश वर्मा : डुमरी विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत नावाडीह व चंद्रपुरा प्रखंड मिलाकर बूथों की कुल संख्या 174 है. इसमें नावाडीह प्रखंड में कुल 129 बूथ तथा चंद्रपुरा प्रखंड में कुल 45 बूथ है. नावाडीह प्रखंड दो पार्ट में बंटा है जिसमें एक नावाडीह का नीचे घाट का इलाका है तथा दूसरा नावाडीह का ऊपर घाट का इलाका. बोकारो ही नहीं, बल्कि पूरे झारखंड का एक समय सबसे ज्यादा उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र में ऊपरघाट का इलाका सुमार रहा है. नावाडीह प्रखंड में कुल 15 पंचायत है जबकि ऊपरघाट में नौ पंचायत है. इसके अलावा चंद्रपुरा प्रखंड में भी कुल नौ पंचायत है.

प्रखंडों के पुर्नगठन के समय चंद्रपुरा प्रखंड का सृजन हुआ

झारखंड में प्रखंडों का पुर्नगठन के समय चंद्रपुरा प्रखंड का सृजन किया गया था जिसमें डुमरी विधानसभा क्षेत्र के कुल नौ पंचायतों को चंद्रपुरा प्रखंड में शामिल किया गया था. नावाडीह प्रखंड के कुल 15 पंचायत में बूथों की संख्या 84 तथा ऊपरघाट के नौ पंचायतों में बूथों की संख्या 45 के करीब है. ऊपरघाट के सभी बूथ अतिसंवेदनशील बूथों की श्रेणी में आते हैं. एक समय था जब ऊपरघाट के इलाके में विधानसभा व लोकसभा चुनाव के समय नक्सलियों के दहशत के कारण ग्रामीण वोट देने से वंचित रहते थे. लेकिन, पिछले एक दशक से अब इन इलाकों के ग्रामीण लोकतंत्र के इस महापर्व में हिस्सा लेने झूम कर निकलते हैं तथा यहां विस व लोस में वोट का प्रतिशत 70-80 फीसदी तक रहता है. अब इन क्षेत्रों में नक्सलियों का खोफ नहीं के बराबर दिखता है.

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एक नजर नावाडीह व चंद्रपुरा प्रखंड की पंचायतों पर

नावाडीह प्रखंड के नीचे घाट में कुल 15 पंचायत है. जिसमें खरपीटो, पोटसो, सुरही, अहारडीह, नावाडीह, भलमारा, चपरी, बिरनी, चिरुडीह, सहरिया, भंडरा, बाराडीह, दहियारी, गुंजरडीह एवं परसबनी मुख्य रुप से शामिल है. जबकि नावडीह प्रखंड के उग्रवाद प्रभावित कुल नौ पंचायतों में कंजकीरो, पलामू, गोनियाटो, नारायणपुर, काछो, मुंगो-रांगामाटी, पोखरिया व बरई पंचायत शामिल है. वहीं, चंद्रपुरा प्रखंड के नौ पंचायतों में चंद्रपुरा, बंदियो, नर्रा, अलारगो (दिवंगत शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो की पंचायत), तारानारी, पपलो, तंरगो, तेलो पश्चिमी, तेलो मध्य, तेलो पूर्वी मुख्य रूप से शामिल है.

पहले बोकारो थर्मल से कोचागढ़ा रेलवे स्टेशन शामिल था नावाडीह थाना में

नावाडीह प्रखंड के नावाडीह थाना का इतिहास काफी पुराना है. कुछ लोग इसकी स्थापना का वर्ष 1800 बताते हैं. 1908 के सर्वे में नावाडीह थाना का जिक्र है. जिसमें सर्वे का प्लॉटिंग, जमीन, बिल्डिंग शामिल है. पहले बोकारो थर्मल थाना, कथारा ओपी, गांधीनगर ओपी, बेरमो थाना, चंद्रुपरा थाना, दुगदा थाना, बोकारो-झरिया ओपी आदि सभी नावाडीह थाना के अंतर्गत ही आता था.

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नावाडीह के ऊपरघाट में कभी नक्सली वारदात की रही है लंबी फेहरिस्त

नावाडीह के ऊपरघाट के इलाके में अब भले ही नक्सली वारदाते थम सी गयी है, लेकिन एक समय था जब इस क्षेत्र में नक्सली वारदात की एक लंबी फेहरिस्त हुआ करती थी. वर्ष 2004 में ऊपरघाट अंतर्गत मूंगो रंगामाटी निवासी कमल महतो की गला रेतकर हत्या कंजकिरो मोड़ पर इसलिए कर दी गयी थी कि उसने सूबे के पूर्व ऊर्जा मंत्री लालचंद महतो की पहल पर 37 नक्सलियों को आत्मसमर्पण करवाया था़. कंजकिरो स्थित क्रशर के समीप कंजकिरो निवासी अनंतलाल महतो की गोली मारकर हत्या महज इसलिए कर दी गयी थी कि उसने लोकसभा के चुनाव में ऊपरघाट में बढ़-चढ़कर भागीदारी निभायी थी. नक्सलियों ने काछो पंचायत के कानी महुआ निवासी जयराम महतो को घर से उठाकर पलामू के शुक्र बाजार शेड में रात्रि में जन अदालत लगाकर पुलिस मुखबिरी के आरोप में सर के अलावा हाथ व पैर को अलग-अलग काटकर काफी निर्मम तरीके से हत्या कर दी थी.

पहले नक्सलियों की बोलती थी तूती

नक्सलियों ने इसी प्रकार काछो निवासी कुदूस अंसारी की हत्या काछो में, काछो निवासी ही शहादत अंसारी की हत्या नरकी चौक पर, काछो निवासी तुलसी तुरी की हत्या मेलाटाड़ में,चौकीदार गिरधारी महतो की हत्या पेंक में, कजरु ठाकुर की हत्या तिलैया में, लहिया निवासी शफीक अंसारी एवं मुस्लिम मियां की हत्या लहिया में नक्सलियों ने कर दी थी. पलामू निवासी तिलक मियां की हत्या पुलिस मुखबिरी में पलामू के शुक्र बाजार में तथा नारायणपुर निवासी जयराम महतो की हत्या पलामू के शुक्र बाजार में की गयी थी. इसके अलावा नक्सलियों ने मूंगो निवासी कैलास तुरी, गाल्होबार निवासी सुबोध कुमार रवि तथा उसकी पत्नी कविता देवी, खरकी निवासी चौकीदार नीलकंठ महतो तथा पुनीत कुमार महतो की भी हत्या नक्सलियों ने पुलिस को बढ़-चढ़कर मदद करने तथा ग्रामीणों को तंग करने के आरोप में कर दी थी.

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