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1 लाख रुपये कर्ज लेकर शिक्षित बेरोजगार संतोष ने की थी तरबूज की खेती, लॉकडाउन व बेमौसम बरसात ने तोड़ी कमर, पूंजी डूबने से आहत किसान का छलका दर्द

Cultivation Of Watermelon In Jharkhand, बोकारो न्यूज (नागेश्वर) : झारखंड के बोकारो जिले के गोमिया प्रखंड अंतर्गत पचमो पंचायत के झुमरा पहाड़ की तलहटी स्थित रहावन गांव में शिक्षित बेरोजगार युवक संतोष कुमार ने डेढ़ एकड़ में एक लाख रूपये की लागत से तरबूज की खेती की थी, लेकिन लॉकडाउन और बेमौसम बरसात ने इनकी कमर तोड़ दी. लागत निकलना तो दूर, पांच हजार रुपये भी नहीं मिल सके. इससे संतोष आहत हैं. कर्ज लेकर उन्होंने खेती की थी. पूंजी डूबने से एक बार फिर पलायन करने पर मजबूर हैं.

Cultivation Of Watermelon In Jharkhand, बोकारो न्यूज (नागेश्वर) : झारखंड के बोकारो जिले के गोमिया प्रखंड अंतर्गत पचमो पंचायत के झुमरा पहाड़ की तलहटी स्थित रहावन गांव में शिक्षित बेरोजगार युवक संतोष कुमार ने डेढ़ एकड़ में एक लाख रूपये की लागत से तरबूज की खेती की थी, लेकिन लॉकडाउन और बेमौसम बरसात ने इनकी कमर तोड़ दी. लागत निकलना तो दूर, पांच हजार रुपये भी नहीं मिल सके. इससे संतोष आहत हैं. कर्ज लेकर उन्होंने खेती की थी. पूंजी डूबने से एक बार फिर पलायन करने पर मजबूर हैं.

किसान संतोष का तरबूज खेत में ही आधा से अधिक सड़ गया और कुछ तो कूड़े के भाव में बिका और कुछ तो गांव घर में वितरण कर दिया. कृषि कार्य से जुड़े श्री कुमार का कहना है कि मुझे ये पता नहीं था कि मुझे ऐसा दिन देखने को मिलेगा. उन्होंने कहा कि मैं रामगढ़ अवस्थित इंडस्ट्रियल इंस्टीच्यूट से आइटीआइ किया. उसके बाद स्नातक भी किया हू. एमए में एडमिशन के लिए 12 हजार रूपये रखा था तथा महिला स्वयं सहायता समूह से मां चंपा देवी ने पचास हजार रूपये कर्ज लेकर तरबूज की खेती में लगा दी कि खेती से जो पैसा आयेगा उस पैसे से एमए में एडमिशन करा कर महिला स्वयं सहायता से लिए कर्ज को वापस कर दिया जायेगा.

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1 लाख रुपये कर्ज लेकर शिक्षित बेरोजगार संतोष ने की थी तरबूज की खेती, लॉकडाउन व बेमौसम बरसात ने तोड़ी कमर, पूंजी डूबने से आहत किसान का छलका दर्द 2

संतोष बताते हैं कि लॉकडाउन व बेमौसम बरसात ने ऐसा दगा दिया कि वे न तो एमए में एडमिशन करा पाये, ना ही महिला स्वयं सहायता समूह से लिए कर्ज को वापसी कर सके. उन्होंने कहा मैं मुंबई में एक औद्योगिक प्रतिष्ठान इडूरेंश टेक्नोलॉजी में कार्य करता था. मैं मन ही मन सोचा कि 11-12 हजार रूपये मिल रहे मासिक वेतन में सिर्फ अपना पेट पल रहा है. मैं कुछ भी पैसा मां -पिता के लिए भेज नहीं पा रहा हूं. इससे बेहतर है कि अपना घर लौट कर अपनी भूमि में खेती करूं और इसी सोंच पर 2019 में मुबई से वापस अपना गांव लौट आया और एक एकड़ में टमाटर लगा कर कृषि कार्य में जुड़ गया. जिससे कुछ आमदनी हुई. इसी हौसले से तरबूज की खेती की, लेकिन समय ने दगा दे दिया. अब कर्ज की भरपाई के लिए फिर से दूसरे प्रदेश जाने के लिए तैयारी कर रहा हूं, ताकि कमाई किये गये पैसे से कर्ज की अदायगी की जा सके. संतोष ने बोकारो जिला कृषि पदाधिकारी व गोमिया प्रखंड के बीटीएम से कृषि कार्य में हुई क्षति का आंकलन कर मुआवजा दिलाने की मांग की है.

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Posted By : Guru Swarup Mishra

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