jharkhand news, bokaro news, lugu pahar Biodiversity Heritage Site बोकारो : संतालियों के गौरवशाली इतिहास का गवाह लुगू पहाड़ जैव विविधता विरासत स्थल (बीएचएस) घोषित किया जायेगा. बोकारो जिला के बेरमो अनुमंडल अंतर्गत गोमिया प्रखंड के ललपनिया स्थित इस धर्मस्थल के प्रति संतालियों में असीम आस्था है. लुगू का तलहटी गांव संताल बहुल है. लुगुबुरु घांटाबाड़ी धोरोमगाढ़ संतालियों का महान धर्मस्थल है.
इसे विरासत स्थल घोषित करने को लेकर झारखंड जैव विविधता पर्षद सक्रिय हो गया है. जिले के वन विभाग के अधिकारी दो वर्ष पूर्व ही इस आशय का प्रस्ताव मुख्यालय को भेज चुके थे. अब जाकर इस पर कार्यवाही शुरू हुई है. पिछले सप्ताह झारखंड जैव विविधता पर्षद के दो तकनीकी अधिकारी हरिशंकर लाल व संजय खाखा पहली बार लुगू पहाड़ के दौरे पर पहुंचे थे.
इससे लुगू पहाड़ के बायोडायवर्सिटी हेरिटेज साइट बनने को बल मिला है. श्री लाल ने बताया कि सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो छह से आठ महीने में लुगू को बीएचएस घोषित कर दिया जायेगा. जल्द ही पर्षद के लोग यहां दूसरे दौरे पर आ सकते हैं. तकनीकी अधिकारियों ने लुगुबुरु घांटाबाड़ी धोरोमगाढ़ समिति के अध्यक्ष बबूली सोरेन से मुलाकात की है. टीम ने उनसे कई जरूरी जानकारियां हासिल कीं. अधिकारियों के अनुसार, राज्य में बोकारो का लुगू पहाड़ व देवघर के चित्रकूट को बीएचएस घोषित करने पर काम हो रहा है. लुगू का निरीक्षण करने के बाद टीम चित्रकूट के लिए रवाना हुई थी.
बीएचएस घोषित होने पर जैव विविधता प्रबंधन समिति का अहम रोल
जड़ी-बूटी, पेड़-पौधे व वन्य प्राणियों के अलावा आसपास के ग्रामीणों की संस्कृति हो सकेगी संरक्षित
इनमें पहनावा-ओढ़ावा, भाषा, रहन-सहन, नृत्य-गीत आदि शामिल
एक वृहद मैनेजमेंट प्लान तैयार होगा
लुगू पहाड़ की मनोरम वादियों में विविधताओं का फैलाव है. यह दुर्लभ जड़ी-बूटी, पेड़-पौधे, विभिन्न प्रकार के जीव-जंतुओं का बसेरा है. लुप्तप्राय कई वन्य प्राणी कभी-कभार यहां दिख जाते हैं. तलहटी में संताली बहुल गांव हैं. इनकी संस्कृति व परंपरा बहुत ही दुर्लभ है. जैव विविधता विरासत स्थल घोषित होने पर इनको पूरे प्रबंधकीय योजना के साथ संरक्षित करने पर जोर दिया जायेगा. यह पर्यावरण के लिहाज से भी महत्वपूर्ण होगा.
पर्षद अधिकारियों की मानें तो ग्राम पंचायतों में गठित जैव विविधता प्रबंधन समिति, वन विभाग व झारखंड जैव विविधता पर्षद के सदस्य मिलकर काम करेंगे. ग्राम सभाएं होंगीं और योजनाएं ली जायेंगी. इससे पहले विशेषज्ञ निरीक्षण करेंगे और संरक्षण की बाबत शोध कर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे.
Posted By : Sameer Oraon