14.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

झारखंड: कलाकारों का गांव है साड़म, जहां के एक कलाकार को रामगढ़ राजा कामाख्या नारायण सिंह ने दिया था गोल्ड मेडल

कलाकारों का कहना है कि वे आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहे हैं. सरकार सहयोग करेगी, तो कला के क्षेत्र में और भी बेहतर से बेहतर कार्य कर सकते हैं. साड़म में कलाकारों के द्वारा निर्मित मूर्तियां बोकारो के अलावा हजारीबाग, रामगढ़ एवं चतरा समेत अन्य जिलों में ले जायी जाती हैं.

ललपनिया (बोकारो), नागेश्वर: झारखंड के बोकारो जिले के गोमिया प्रखंड का साड़म गांव कलाकारों से भरा पड़ा है. प्रसिद्ध कलाकार स्व. उमाचरण प्रसाद की कलाकृति से प्रभावित होकर रामगढ़ के राजा कामाख्या नारायण सिंह ने सोने का मेडल देकर उन्हें सम्मानित किया था. इन्हीं की प्रेरणा से लोग इस पेशे से जुड़े हैं और भगवान के अलावा विभिन्न देवी-देवताओं एवं महापुरुषों की मूर्तियां बनाते हैं. कलाकारों की पीड़ा है कि सरकार से मदद मिलती, तो वे कला के क्षेत्र में और शानदार काम कर सकते थे. वे आर्थिक तंगी का सामना कर रहे हैं. सरकार से उन्हें काफी उम्मीदें हैं. वे कहते हैं कि झारखंड सरकार से उन्हें मदद मिलती, तो वे राज्य का नाम रोशन कर सकते थे.

कलाकारों का गांव साड़म

झारखंड के बोकारो जिले के साड़म गांव में आधा दर्जन परिवार मूर्ति व अन्य कलाकारी करते हैं. विभिन्न देवी-देवताओं के अलावा वे महापुरुषों की मूर्ति बनाने में काफी निपुण हैं. पिछली चार पुस्त से लोग मूर्ति व पेटिंग की कलाकारी कर रहे हैं और इसी पेशे से जुड़कर रह रहे हैं. उमाचरण प्रसाद की 50 वर्ष पूर्व मौत हो गयी है. उन्हीं की प्रेरणा से अन्य परिवार के लोग इस पेशे से जुड़े. स्व. उमाचरण प्रसाद के पुत्र सुरश्याम प्रसाद सहित उनके दो पुत्र गोपी श्याम प्रसाद व कृष्ण श्याम प्रसाद पिता और दादा की प्रेरणा से भगवान के अलावा विभिन्न देवी देवताओं एवं महापुरुषों की मूर्तियां बनाने के कार्यों से जुड़े हैं.

Also Read: Jharkhand Village Story: झारखंड का एक गांव है बालुडीह, लेकिन अब ढूंढे नहीं मिलता बालू, पढ़िए बदलाव की ये कहानी

उमाचरण प्रसाद को राजा ने सोने के मेडल से किया था सम्मानित

जानकारी के अनुसार तीन दशक पूर्व राजा कामाख्या नारायण को कलाकार उमाचरण प्रसाद ने अपनी कला से मिट्टी का फल बनाकर दिया था. एक टोकरी में विभिन्न फलों के साथ मिट्टी के बने फलों को मिलाकर उन्हें प्रदान किया गया था. राजा जब चाकू निकालकर एक फल को काटने लगे, तो हाथ में उठाया गया फल मिट्टी का बना हुआ था. वे फल के रूप में कलाकारी देख काफी प्रभावित हुए और उमाचरण प्रसाद की हौसला अफजाई करते हुए सोने का मेडल प्रदान किया था.

Also Read: सीएम हेमंत सोरेन बोले, झारखंड में बड़ी संख्या में होंगी सरकारी नियुक्तियां, स्वरोजगार को लेकर भी सरकार गंभीर

हजारीबाग के खादी भंडार में रखी गयी है प्रतिमा

कलाकार उमाचरण प्रसाद के पुत्र श्याम प्रसाद के अलावा दोनों पोता इस पेशे से जुड़े हैं. उन्होंने बताया कि स्व. उमाचरण प्रसाद के द्वारा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की चरखा चलाती प्रतिमा हजारीबाग के खादी भंडार में रखी गयी है. इस पेशे में साड़म गांव के निवासी विराट आर्ट के नाम से जाने जाने वाले विराट प्रसाद, संदीप प्रसाद, अंजनी प्रसाद के अलावा स्व मधुसूदन प्रसाद के पुत्र कमल कांत प्रसाद, राम प्रसाद, राधेश्याम प्रसाद आदि कलाकार मूर्तियां बना रहे हैं. हां, ये सच है कि वे आर्थिक रूप से सशक्त नहीं हैं. उन्हें मदद की दरकार है. वे कहते हैं कि सरकार से मदद मिल जाती, तो वे कला के क्षेत्र में और बेहतर कार्य कर सकते थे. उन्हें सरकार से काफी उम्मीदें हैं.

Also Read: विश्व अंगदान दिवस: रिम्स में 95 ने किए नेत्रदान, 250 को किडनी का इंतजार, झारखंड में 32 ने किए किडनी दान

आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहे कलाकार

बोकारो के साड़म गांव के कलाकारों का कहना है कि वे आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहे हैं. सरकार सहयोग करेगी, तो कला के क्षेत्र में और भी बेहतर से बेहतर कार्य कर सकते हैं. साड़म में कलाकारों के द्वारा निर्मित मूर्तियां बोकारो के अलावा हजारीबाग, रामगढ़ एवं चतरा समेत अन्य जिलों में ले जायी जाती हैं.

Also Read: पीवीटीजी छात्रों के लिए मुफ्त आवासीय कोचिंग शुरू करने वाला झारखंड देश का पहला राज्य, बोले सीएम हेमंत सोरेन

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें