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बोकारो : मेगा प्रोजेक्ट में शुमार होगी कारो परियोजना, सालाना 20 मिलियन टन होगा उत्पादन

प्रबंधन के अनुसार आने वाले समय में कारो परियोजना से सालाना 11 मिलियन टन (110 लाख टन) कोयला उत्पादन होगा. इसको देखते हुए यहां सीएचपी (कोल हैडलिंग प्लांट) का निर्माण किया जाना है.

सीसीएल बीएंडके प्रक्षेत्र की कारो परियोजना भी आने वाले समय में कोल इंडिया के मेगा प्रोजेक्ट में शुमार होगी. प्रबंधन के अनुसार कारो बस्ती गांव के शिफ्ट हो जाने के बाद यहां से लगभग 40 मिलियन टन कोयला मिलेगा. कारो परियोजना के क्वायरी-टू में लगभग 60 मिलियन टन कोल रिजर्व है. यह पूरा एरिया फोरेस्ट लैंड है. वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, भारत सरकार से इसका स्टेज-वन क्लीयर हो गया है. अब स्टेज दो क्लीयर होना है. फिलहाल कारो परियोजना में काम कर रही आउटसोर्स कंपनी को सात साल में 210 मिलियन टन कोयला तथा 210 मिलियन टन ओबी निस्तारण करना है.

प्रबंधन के अनुसार आने वाले समय में कारो परियोजना से सालाना 11 मिलियन टन (110 लाख टन) कोयला उत्पादन होगा. इसको देखते हुए यहां सीएचपी (कोल हैडलिंग प्लांट) का निर्माण किया जाना है. रेपिड लोडिंग सिस्टम (सैलो सिस्टम) से यहां से कोयला लोड होगा तथा ट्रक ट्रांसपोर्टिंग पूरी तरह से बंद हो जायेगा. कोल इंडिया के निर्देश के अनुसार सालाना चार मिलियन (40 लाख टन) से ज्यादा उत्पादन वाली माइंस में अब सड़क ट्रांसपोर्टिंग बंद करना है. कोयला रेल के माध्यम से देश के पावर व स्टील प्लांट में कोल ट्रांसपोर्टिंग करना है. इसी के मद्देनजर कारो परियोजना में सीएचपी के अलावा रेलवे साइडिंग का विस्तारीकरण कार्य होना है.

बीएंडके जीएम एमके राव के अनुसार सीएचपी का निर्माण हो जाने के बाद ट्रांसपोर्टिंग मूवमेंट काफी कम हो जायेगी. पेलोडर का उपयोग भी लगभग बंद हो जायेगा. सीएचपी के माध्यम से सीधे कोयला कारो रेलवे साइडिंग में जायेगा और एक बार में एक रैक कोयला लोड होगा. इससे कोयला का डिस्पैच भी बढ़ेगा. सीएचपी की क्षमता पांच एमटीपीए की होगी और सीएचपी इस निर्माण कार्य वर्ष 2025 तक पूरा करना है. प्रबंधन के अनुसार सीएचपी निर्माण के बाद यहां से सालाना पांच मिलियन टन (50 लाख टन) कोयला रेलवे रैक से देश के पावर प्लाटों में डिस्पैच होगा. कारो परियोजना के सरफेस माइनर से उत्पादित 100 एमएम का कोल सीएचपी के बंकर में लोड होगा तथा यहां से कोयला क्रश होने के बाद कारो रेलवे साइडिंग में लगने वाले रेलवे रैक से डिस्पैच किया जायेगा.

एकेके व कारो से सालाना 20 मिलियन टन होगा उत्पादन

एरिया की एकेके व कारो परियोजना को मिला कर सालाना 20 मिलियन टन का मेगा प्रोजेक्ट आने वाला समय बनाया जायेगा. दोनों से सालाना 10-10 मिलियन टन कोयला उत्पादन करने की योजना है. इसमें 80 फीसदी से ज्यादा कोयला भविष्य में सिर्फ रेल मोड से पावर व स्टील प्लांटों में जायेगा. एकेके में रेलवे साइडिंग का निर्माण हो चुका है, जबकि कारो रेलवे साइडिंग का काम भी वर्ष 2024 में पूरा हो जायेगा.

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रेलवे साइडिंग का होगा विस्तार

अभी कारो परियोजना से उत्पादित कोयला करगली वाशरी के निकट रेलवे साइडिंग में लाया जाता है. अब इस रेलवे साइडिंग का विस्तारीकरण होगा. करगली वाशरी की कारो रेलवे साइडिंग को बंद पड़ी एक नंबर खदान व गोदोनाला पार करते हुए बेरमो रेलवे स्टेशन तक जोड़ा जायेगा. बंद करगली एक नंबर खदान के कुछ भाग को भरा जायेगा और उसके आगे गोदोनाला पर पुल बनेगा. रांची की एक कंपनी ने रेलवे साइडिंग विस्तारीकरण के काम को 19 फीसदी न्यूनतम दर में करीब 84 लाख रुपये में लिया है. शनिवार को कंपनी से जुड़े अधिकारियों ने स्थल निरीक्षण भी किया.

डीवीसी बेरमो माइंस का उत्पादित कोयला भी कारो रेलवे साइडिंग में आयेगा

डीवीसी की बेरमो माइंस भी अब सीसीएल चलायेगा. इसके लिए हैंड ओवर-टैक ओवर की प्रक्रिया पूरी कर ली गयी है. सीसीएल सालाना डीवीसी को 2.5 मिलियन मीट्रिक टन का लिंकेज देगा. इसको लेकर लगभग सहमति हो गयी है और एमओयू हो गया है. दो माह पूर्व ऊर्जा सचिव व कोयला सचिव स्तर पर बैठक भी हो चुकी है. मालूम हो कि बेरमो माइंस के ऊपर सीम में आठ लाख टन कोयला है. जबकि नीचे कारो सीम में लगभग 120 मिलियन टन वाशरी ग्रेड चार का कोल रिजर्व है. इस माइंस से सालाना लगभग तीन मिलियन (30 लाख टन) कोयला उत्पादन होगा. आने वाले समय में कारो व डीवीसी बेरमो माइंस का उत्पादित कोयला भी सीएचपी में जायेगा. सीएचपी के बंकर में क्रश होने के बाद कोयला कारो रेलवे साइडिंग में आयेगा.

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