बोकारो: महाप्रभु भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा 20 जून को निकलेगी. बोकारो में रथ की सजावट के लिए ओडिशा के पीपली से विशेष कपड़े मंगाये गये हैं. रथयात्रा के लिए सेक्टर- 04 स्थित जगन्नाथ मंदिर में तैयारी शुरू हो चुकी है. मंदिर परिसर में रथ बनाने का काम अक्षय तृतीया को ही पूजा-पाठ के बाद शुरू है. रथ यात्रा की तैयारी में उत्कल सेवा समिति-बोकारो के पदाधिकारी व सदस्य जुटे हैं. समिति के सचिव डॉ मोहंती ने बताया कि रथ निर्माण में लगभग एक दर्जन मजदूर जुटे हैं. निर्माण कार्य 19 जून तक पूरा कर लिया जायेगा. रथ की सजावट में कपड़ा व लकड़ी हर साल बदलता है. लोहा के बने फ्रेम व चक्के की मरम्मत के बाद प्राइमर होगा. लकड़ी का काम चल रहा है.
भगवान 19 जून को होंगे स्वस्थ
मालूम हो कि चार जून को सहस्त्रधारा स्नान के दौरान भगवान जगन्नाथ बीमार हो गये हैं. उनका इलाज चल रहा है. 19 जून को स्वस्थ हों जायेंगे और जगन्नाथ मंदिर में भक्तों को दर्शन देंगे. 20 जून को रथयात्रा के माध्यम से भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा व ज्येष्ठ भ्राता बलभद्र के साथ रथ पर विराजमान होकर नगर भ्रमण करते हुए सेक्टर वन स्थित मौसीबाड़ी श्रीराम मंदिर पहुंचेंगे. इसके पूर्व सूर्योदय के साथ मंगल आरती होगी. दोपहर को नवग्रह पूजा-अर्चना व हवन होगा. छेरा पहरा की परंपरा के साथ रथयात्रा शुरू होगी.
27 अगस्त 2000 को हुआ था मंदिर का शिलान्यास
बोकारो इस्पात प्रबंधन की ओर से भूमि आवंटित होने के बाद उत्कल सेवा समिति के प्रयास से निर्मित जगन्नाथ मंदिर का शिलान्यास 27 अगस्त 2000 को तत्कालीन केंद्रीय इस्पात मंत्री ब्रजकिशोर त्रिपाठी ने किया था. 2000 में शुरू हुआ मंदिर का निर्माण कार्य 2002 में पूरा हुआ. गोवर्द्धन पीठ पुरी स्थित भगवान जगन्नाथ मंदिर की अनुकृति के रूप में निर्मित मंदिर का उद्घाटन 18 जनवरी 2004 को पुरी के गजपति महाराज दिव्य सिंह देव ने किया था. 2023 में मंदिर परिसर से 23वीं रथयात्रा निकलेगी.
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नीम व चंदन की लकड़ी से निर्मित है प्रतिमा
जगन्नाथ मंदिर के अंदर नीम व चंदन की लकड़ी से निर्मित भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा व बलराम की प्रतिमा स्थापित की गयी है. मंदिर के चारों कोने पर छोटे-छोटे मंदिरों का निर्माण कर महालक्ष्मी, मां दुर्गा, विमला, काशी विश्वनाथ व भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित की गयी है.
आकर्षित करता है वास्तुकला और शांत वातावरण
जगन्नाथ मंदिर प्रतिष्ठित धार्मिक स्थलों में से एक है. यह पुरी के प्रसिद्ध मंदिर की प्रतिकृति है. मंदिर अद्भुत वास्तुकला और शांत वातावरण के लिए आकर्षित करता है. मंदिर परिसर के जलसरोवर के ठीक दायीं ओर बच्चों के लिए बाल उद्यान है. शाम को आरती, दीप प्रज्ज्वलन व वैदिक मंत्रोच्चार से वातावरण भक्तिमय हो जाता है. मंदिर परिसर दुधिया रोशनी से जगमगा उठता है.