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झारखंड : बेरमो कोयलांचल में लगातार बंद हाे रही खदानें, हजारों लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट

बेरमो कोयलांचल में लगातार बंद हो रही खदानों से हजारों लोगों के सामने रोजी-रोटी की समस्या उत्पन्न हो गयी है. बताया गया कि माइंस बंद होने से सीसीएल सैकड़ों कर्मियों को बैठा कर वेतन दे रही है. शिफ्टिंग समस्या के अलावा इसी एवं एफसी क्लीयरेंस को लेकर कई माइंसों का विस्तारीकरण बाधित है.

बेरमो (बोकारो), राकेश वर्मा : बेरमो कोयलांचल में हाल के कुछ महीनों में लगातार खदानें बंद हो रही हैं. कई माइंसों को प्रबंधकीय आदेश पर बंद किया गया, तो कुछ माइंसों से कई वजहों से कोयला उत्पादन ठप हो गया है. माइंसों के बंद होने से फिलहाल सैकड़ों कोयला कर्मी बेकार बैठे हुए हैं. प्रबंधन इन्हें बैठा कर वेतन दे रही है. वहीं, माइंसों के बंद होने से प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हजारों लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. इधर, माइंस बंदी को खिलाफ मजदूरों व मजदूर संगठनों की ओर से आंदोलन भी नहीं दिख रहा है. स्थानीय प्रतिनिधियों के अलावा ट्रेड यूनियनों के नेता इस अहम मुद्दे पर मौन हैं.

बंद हुआ कारो माइंस व गोविंदपुर यूजी माइंस से कोल प्रोडक्शन

कुछ दिनों पूर्व बीएंडके एरिया की कारो माइंस से कोयला खनन व ओबी निस्तारण का कार्य पूरी तरह से बंद कर दिया गया है. कोयला व ओबी खनन का काम कर रही बेरमो की बीकेबी कंपनी ने माइंस में काम करने का जगह नहीं मिलने के कारण अपनी मशीनों को समेट लिया है. कंपनी में कार्यरत 180 कर्मी भी काम से बैठ गये हैं. इस माइंस का विस्तार पिछले दो साल से शिफ्टिंग समस्या के कारण नहीं हो पा रहा है. इस माइंस से कोयला उत्पादन बंद हो जाने से कारो परियोजना में कार्यरत सैकड़ों कोलकर्मियों के पास भी कुछ काम नहीं है. बीएंडके एरिया की करगली कोलियरी से भी एक दशक से कोयला उत्पादन बंद है तथा यहां भी सैकड़ों मजदूरों के पास कोई नाम नहीं है. एक-डेढ़ साल पहले नन कोकिंग करगली कोल वाशरी को भी सीसीएल मुख्यालय ने सुरक्षा के दृष्टिकोण से बंद कर दिया है. यहां के भी कार्यरत सैकड़ों वाशरी कर्मी काम के अभाव में बेकार बैठे हैं. इधर, एक सप्ताह पूर्व कथारा एरिया की गोविंदपुर भूमिगत खदान से भी कोयला उत्पादन बंद कर दिया गया. यहां कार्यरत सभी 197 पीस रेटेड मजदूरों को टाइम रेटेड में परिवर्तित कर दिया गया. अब काम के अभाव में यहां भी सैकड़ों मजदूर बेकार बैठे हैं.

14 भूमिगत माइंसों को बंद करने का निर्णय

बता दें कि चार-पांच साल पहले सीसीएल में करोड़ों रुपये के घाटे में चल रही 14 भूमिगत माइंसों को बंद करने का निर्णय कोल इंडिया व सीसीएल बोर्ड में पारित हुआ था. इसके तहत कथारा कोलियरी की स्वांग थर्ड डिग्री भूमिगत खदान व जारंगडीह भूमिगत खदान को पहले ही बंद कर दिया गया था. हालांकि, स्वांग थर्ड डिग्री भूमिगत खदान को डीजीएमएस ने बंद करने का निर्देश सीसीएल प्रबंधन को काफी पहले ही दिया था. जबकि जारंगडीह यूजी माइंस से लगातार हो रहे गैस रिसाव के कारण भी डीजीएमएस ने माइंस को बंद करने का निर्देश काफी पहले दिया था.

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तीन एरिया में चल रही मात्र एक भूमिगत खदान

बेरमो कोयलांचल में सीसीएल के तीनों एरिया में फिलहाल एक भूमिगत खदान ढोरी खास यूजी माइंस ही चल रही है. अन्य सभी भूमिगत खदानें बंद हो गयी हैं. वर्ष 2016 में बीएंडके एरिया की खासमहल फेज दो यूजी को बंद कर दिया गया. इसके अलावा बेरमो सीएम इंकलाइन (बीएसआइ) को भी सीसीएल बोर्ड ने बंद करने का निर्णय लेते हुए इसे बगल के ढोरी एरिया की अमलो परियोजना खुली खदान के साथ कुछ साल पहले मर्ज कर दिया. वहीं डेढ़ दशक पूर्व बीएंडके एरिया अंतर्गत कारो सीम इंकलाइन को बंद किया गया. खासमहल की एक भूमिगत खदान भी वर्षों पूर्व बंद की जा चुकी है.

अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही हैं कई खुली खदानें

सीसीएल के तीनों एरिया में कई ऐसी खुली खदानें हैं जो अपने अस्तित्व के लिए लगातार संघर्ष कर रही हैं. कुछ रनिंग माइंस है तो उसके एनजीटी (फोरेस्ट व पर्यवारण क्लीयरेंस) की फाइल कई साल से वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, भारत सरकार के यहां लंबित पड़ी है. इसके कारण पुराने इसी (इनवायरमेंटल क्लीयरेंस) के आधार पर माइंसों को कुछ समय के लिए कोयला खनन करने हेतू सीटीओ (कंसेट टू ऑपरेट) दिया जा रहा है. ढोरी एरिया की एसडीओसीएम (कल्याणी परियोजना), कथारा एरिया की कथारा कोलियरी के अलावा बीएंडके एरिया की कारो परियोजना विस्तार के लिए इसी व एफसी का क्लीयरेंस लेने की प्रक्रिया चल रही है. इधर, डीवीसी बेरमो माइंस से भी सीसीएल द्वारा हैंड ओवर लेने के बाद कोयला उत्पादन शुरू नहीं हो सका है. बेरमो माइंस के कारो ग्रुप ऑफ माइंस में लगभग एक सौ मिलियन टन कोकिंग कोल है. डीवीसी बेरमो माइंस के ओल्ड कॉलोनी के नीचे सीम में करीब 20 मिलियन टन कोकिंग कोल है.

खुलने का बाट जोह रही डीआरएंडआरडी, पिछरी व अंगवाली परियोजना

सीसीएल की अति महत्वाकांक्षी परियोजना दामोदर नद एवं रेलवे विपथन (डीआरएंडआरडी) करीब चार दशक के बाद भी चालू नहीं हो सकी. डीआएंडआरडी में 14सौ मिलियन टन प्राइम कोकिंग कोयला का भंडार है. इसके अलावा ढोरी एरिया की बंद पिछरी व अंगवाली कोलियरी को खोलने के प्रबंधकीय प्रयास को अभी तक सफलता नहीं मिली है.

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बंद हो गया ढोरी एरिया का सीएचपी व कथारा एरिया का सीपीपी

सीसीएल ढोरी एरिया अंतर्गत एसडीओसीएम परियोजना सीएचपी (कोल हैडलिंग प्लांट) को 23 मई 2017 से कई तरह की जांच कमेटी के रिपोर्ट के आधार पर सर्वे ऑफ प्लांट घोषित कर दिया. वर्ष 1985 में इस सीएचपी की नींव रखी गयी थी. वहीं, सीसीएल के कथारा एरिया में करोड़ों की लागत से बना कैप्टिव पावर प्लांट (सीपीपी) तीन साल पहले बंद हो गया. प्लांट बंद हो जाने से सीसीएल को प्रतिमाह लाखों रुपये का नुकसान हो रहा है. वहीं सैकड़ों मजदूर बेकार बेरोजगार हो गये.

ये हैं बेरमो की बंद माइंस

– कथारा एरिया की स्वांग यूजी माइंस

– कथारा एरिया की जारंगडीह यूजी माइंस

– कथारा एरिया का गोविंदपुर इंकलाइन

– बीएंडके एरिया का बेरमो सीम इंकलाइन

– बीएंडके एरिया का खासमहल फेज दो इंकलाइन

– बीएंडके एरिया का कारो सीम इंकलाइन

– बीएंडके एरिया का केएसपी इंकलाइन

– ढोरी एरिया का सीएचपी

– कथारा एरिया का सीपीपी

– बीएंडके एरिया की करगली वाशरी

– बीएंडके एरिया की करगली कोलियरी और

– बीएंडके एरिया की कारो माइंस.

यहां माइंस विस्तार है बाधित

– ढोरी एरिया की एसडीओसीएम परियोजना

– बीएंडके एरिया की कारो व एकेके परियोजना और

– कथारा एरिया की जारंगडीह व स्वांग गोविंदपुर परियोजना.

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