Jharkhand News : कोलकर्मियों के राष्ट्रीय कोयला वेतनमान समझौता-11 को लेकर जेबीसीसीआइ-11 की छठी बैठक शुक्रवार को कोलकाता में होगी. इसके पहले गत दो जुलाई 2022 को जेबीसीसीआइ की पांचवी बैठक हैदराबाद में हुई थी, जिसमें कोल इंडिया प्रबंधन की ओर से एक छह सदस्यीय वित्तीय कमेटी का गठन किया गया था. इसमें कोलकर्मियों के एमजीबी को लेकर प्रबंधन व यूनियन नेताओं के बीच चर्चा होनी थी. इस समिति की पहली बैठक धनबाद में हुई थी, जिसमें प्रबंधन की ओर से बेसिक के बजाय भत्तों में बढ़ोतरी किये जाने की बात दबी जुबान से कही गयी थी. प्रबंधन का कहना था कि वे भारत सरकार की गाइडलाइन से बाहर नहीं जा सकते हैं.
मालूम हो कि 2017 में भारत सरकार ने देश के सभी पब्लिक सेक्टर के लिए एक गाइडलाइन जारी की है. इसके तहत किसी भी पब्लिक सेक्टर के एक्जीक्यूटिव का लोअर ग्रेड तथा नन-एक्जिक्यूटिव का हायर ग्रेड में बेसिक में बढ़ोतरी नहीं होनी चाहिए. यही गाइडलाइन इस बार वेजबोर्ड-11 में कोलकर्मियों के लिए बाधक बन रहा है. बहरहाल जेबीसीसीआइ की छठी बैठक को लेकर कोलकर्मियों की निगाहें टिकी हुई है. कोलकर्मी जल्द से जल्द वेतन समझौता चाह रहे हैं. इधर, चार यूनियनों से जु़डे नेताओं के वेतन समझौते को लेकर आपसी बयानबाजी भी चर्चे में है.
अभी तक प्रबंधन ने मात्र 3 फीसदी एमजीबी का ऑफर दिया है ऑफर : गत दो जुलाई को हैदराबाद में हुई जेबीसीसीआइ की पांचवीं बैठक में यूनियन की ओर से कोलकर्मियों के लिए 47 फीसदी एमजीबी की मांग की गई थी. जिस पर प्रबंधन की ओर से स्पष्ट रूप से कहा गया कि हम किसी भी परिस्थिति में पिछले समझौते के बराबर या उससे ज्यादा नहीं दे सकते. चेयरमैन प्रमोद कुमार अग्रवाल ने तो यहां तक कह दिया कि किसी भी कीमत पर दो अंक के प्रतिशत में भी हम एमजीबी नहीं दे सकते. ऐसे में अब कयास लगाया जा रहा है कि संभवत: जेबीसीसीआइ की छठी बैठक में प्रबंधन अपने 3 फीसदी एमजीबी के प्रस्ताव से बढ़कर 6-7 फीसदी एमजीबी का ऑफर दे.
जेबीसीसीआइ की एक बैठक का खर्च 20-25 लाख रुपये : मिली जानकारी के अनुसार जेबीसीसीआइ की एक बैठक में कोल इंडिया का खर्च लगभग 20 से 25 लाख रुपये होता है. इसमें यूनियन की ओर से 14 जेबीसीसीआइ सदस्य तथा कोल इंडिया प्रबंधन की ओर से 14 जेबीसीसीआइ सदस्यों के अलावा हर बैठक में कोल इंडिया के भी कई अधिकारी शामिल रहते हैं. इन सभी के आने-जाने (रेल या ट्रेन), होटल में ठहरने, खाने-पीने की सारी व्यवस्था कोल इंडिया प्रबंधन को करना पड़ता है. इस प्रकार जेबीसीसीआइ की अभी तक पांच बैठको में प्रबंधन का खर्च एक करोड़ से ज्यादा हो चुका है, लेकिन समझौते के किसी ठोस निष्कर्ष पर अभी तक मजदूर संगठन नही पहुंच सके हैं. जेबीसीसीआइ के एक नेता इस बात को स्वीकार भी करते हैं.
Posted By : Guru Swarup Mishra