Sohrai 2022: झारखंड मेें लोक संस्कृृति के साथ सर्वाधिक जुड़ाव होने के कारण यहां के पर्व त्योहार भी प्राकृृतिक रंगों से रोगन और कृृषि से रौशन है. इन्हीं पर्व त्योहारों में मनाया जाने वाला एक पर्व है सोहराय. यह पशुधनों के प्रति असीम श्रद्वा एवं समर्पण को दर्शाता है. बोकारो जिला अंतर्गत बेरमो कोयलांचल के गांवों में मंगलवार को गौ चुमान और गोहाल पूजा धूमधाम के साथ मनाया गया. बुधवार को गांवों में वृहत रूप से बरदखूंटा का आयोजन होगा.
पशुओं की होती विशेष पूजा
गोहाल एवं गौ चुमान पूजा के दौरान लकड़ी से बनाए गए गोरया देवता को गोहाल (पशुधन शेड) में विधि-विधान से स्थापित किया. इसके बाद गोरया देवता की विशेष पूजा हुई. गौ चुमान भी महिलाओं ने किया. इस दिन महिलाएं उपवास रहकर धान के पके बाइल से मुकुट बनाकर सर में मोर के रूप में पशुधनों का श्रृृंगार करती है. वहीं, चावल की गुंडी से महिलाएं घर से लेकर गोहाल तक चोख (रंगोली) बनाती है. जिससे होकर पूजन के बाद पशुधन बाहर निकले. इस दौरान कृृषि उपकरण हल, कुदाल, रक्सा, मेर, जुआठ आदि को धोकर पूजा भी की गयी.
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बुधवार को होगा बरदखूंटा का आयोजन
गोहाल पूजा और गौ चुमान के दूसरे दिन बुधवार को गांवों में बरदखूंटा का आयोजन होगा. बरदखूंटा के पूर्व पशुधनों को धोकर विशेष श्रृृंगार किया जायेगा. जिसके बाद महिलाएं पशुधनों का पूजन कर आशीर्वाद लेगी. फिर गांंव के ताकतवर पशुधनों का विशेष श्रृृंगार कर खूटे में बांधा जायेगा. इसके बाद दिन भर पशुधनों के साथ ग्रामीण मांदर एवं ढोल की थाप पर झूमते नजर आएंगे. ग्रामीण नये कपड़े पहनकर हाथों में दउरा लेकर पशुधनों को खूब रिझाएंगे. बेरमो कोयलांचल के कृषि बाहुल कई गांवों में तो बरदखूंटा देखने लायक होती है. नावाडीह, गोमिया, पेटरवार, चंद्रपुरा प्रखंड के गांवों में वृहद रूप से कार्यक्रम किये जाते हैं. जिसे दूर के क्षेत्रों से लोग देखने पहुंचते हैं. दिनभर लोग झूमर एवं पशुधनों से जुड़े गीत गाकर आनंद लेते रहेंगे.
रिपोर्ट : उदय गिरि, फुसरो नगर, बोकारो.