अभिषेक बच्चन की फिल्म दसवीं ओटीटी प्लेटफार्म पर जल्द ही दस्तक देने वाली है. जिओ सिनेमा और नेटफ्लिक्स के प्लेटफॉर्म्स पर साथ में रिलीज हो रही अपनी इस फिल्म को अभिषेक मैसेजफुल होने के साथ साथ मज़ेदार भी करार देते हैं. उनकी इस फिल्म और करियर पर उर्मिला कोरी की हुई खास बातचीत
दसवीं में आपको सबसे ज़्यादा कौन सी बात अपील कर गयी और किरदार के लिए कितनी मेहनत करनी पड़ी?
कहानी , जब दिनु (दिनेश विजन ) और रितेश ने मुझे कहानी का सिर्फ आईडिया सुनाया था तो ही मुझे समझ आ गया कि यह फिल्म बहुत रोचक बनने वाली है. जहाँ तक किरदार की बात है तो गंगाराम चौधरी जैसा किरदार मैंने पहले कभी नहीं निभाया था. मुझे अपनी भाषा अपनी बॉडी लैंग्वेज सभी पर काम करना पड़ा.
इस फिल्म की शूटिंग अगर सेंट्रल जेल में हुई है कैसा था अनुभव
पहले दिन तो लगा ही नहीं हम जेल में है लगा कि कोई सेट या क्लब में हैं. हमारी सोच वाली जेल से वो जेल बिलकुल अलग थी. सबकुछ बहुत साफ़ सुथरा और अच्छे से ऑरग्नाइज़्ड था हम जिस बैरक में शूटिंग करते थे वहां के कैदियों के साथ तो उठना बैठना होता ही था. उनके साथ खाना भी खाते थे. सब दोषी करार दिए जा चुके हैं अंडर ट्रायल वाला मामला नहीं था इसलिए शुरुआत में सुरक्षा को लेकर मैं थोड़ा डरा हुआ था. मैं यामी को बोलता रहता कि ऐसे मत घूमो. सब अपराधी हैं लेकिन मेरी राय बहुत जल्द बदल गयी क्यूंकि वे बहुत ही तमीज़ वाले थे. बहुत अनुसाशित थे. पुलिस ने बहुत अच्छे से सब कुछ मैनेज किया.
यह फिल्म शिक्षा पर है , आपके घर में शिक्षा को कितना महत्व दिया जाता था
मेरे घर में हमेशा एक ही चीज़ पर फोकस किया जाता था कि आपको बेहतरीन इंसान बनना है. मुझे भी यही लगता है डिग्री पाने से ज़्यादा महत्वपूर्ण यही है. मेरी मां मुझे हमेशा कहती थी कि जो भी आपको करना हैं करें लेकिन आपकी पहचान हमेशा एक अच्छे इंसान के तौर पर बनानी होगी . कम शिक्षा , ज़्यादा शिक्षा, सफलता,असफलता , पैसा , बिना पैसा वो सब आएगा जाएगा लेकिन आपको हमेशा एक अच्छे इंसान बनें रहना है.
निजी ज़िन्दगी में आप पढ़ने में तेज़ थे या ठीक ठाक
मुझे लगता है सवाल ये होना चाहिए कि आपके पास डिग्री भर है या आप जानकार भी हैं. भारत के परिपेक्ष्य में यह सवाल बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है क्यूंकि जो आपको पढ़ाया जा रहा है वो आप समझ रहे हैं अपनी ज़िन्दगी में अपना रहे हैं. यह हो रहा है तो ही शिक्षा के असली मायने हैं. अपनी बात करूं तो मेरा पढ़ने से ज़्यादा इस बात पर फोकस था कि मैं कौन सा प्ले करूं. मैं स्पोर्ट्स में बहुत अच्छा था. मैं परीक्षा में ज़्यादा नम्बर नहीं लाता था लेकिन जो मुझे सिखाया जाता था वो ज़रूर में ऑब्ज़र्ब करता था. दसवीं में मेरे ज़्यादा विषयों में बी और सी मार्क्स मिले थे. यूरोप में पढ़ा हूँ तो वहां ऐसे ही मार्क्स दिए जाते थे.
आपने अपनी पढाई पूरी नहीं की क्या आपको इसका अफ़सोस है
मैंने यूरोप के बोर्डिंग स्कूल से अपने १२ वीं की पढाई पूरी की थी. उसके बाद मैं अमेरिका एक्टिंग की आगे की पढाई के लिए चला गया. यूनिवर्सिटी के अपने तीसरे साल में मुझे अपनी पढाई छोड़ देनी पड़ी क्यूंकि मेरे पिता उस वक़्त आर्थिक समस्याओं से जूझ रहे थे. उनको सपोर्ट करने लिए मुझे मुंबई वापस आना पड़ा. मुझे हमेशा इस बात का अफ़सोस रहा है कि मैंने अपनी यूनिवर्सिटी की डिग्री नहीं ली लेकिन वो मेरी मजबूरी थी. इस बात को कहने के साथ मैं ये भी कहूंगा कि मैंने अपने काम से बहुत कुछ सीखा है. हाल ही में मैं अपनी पुरानी तस्वीरों को देख रहा था उसमें एक तस्वीर ऐसी भी थी. जिसमें मैं असिस्टेंट डायरेक्टर था. अजय देवगन उस फिल्म के एक्टर थे. उन्होंने मुझे पूछा कि तुम्हे एक्टर बनना है. मैंने हाँ कहा. उन्होंने मुझे कहा कि जो आप चीज़ फिल्मों के सेट्स पर सीखते हैं वो आपको कोई एक्टिंग स्कूल नहीं सीखा सकती है. वो सही बात है.
फिल्म राजनीति और शिक्षा व्यवस्था दोनों पर आधारित है क्या आपको लगता है कि राजनेता बनने के लिए एक मिनिमम डिग्री होनी ही चाहिए ?
एग्जाम के लिए आप रट्टा मारकर मार्क्स ला सकते हैं .आपने पढाई समझी है या नहीं. ये ज़्यादा ज़रूरी है. अभी कौन ये परिभाषित करेगा और कैसे करेगा. कठिन काम है. दसवीं की शिक्षा की बात करें तो हम 15 या 16 साल के होते हैं. दसवीं में समझ लीजिये हम 70 प्रतिशत मार्क्स ले आते हैं. अगर एक नेता है . जो साठ और सत्तर साल का है . मान लीजिये चालीस पचास साल से राजनीति में काम कर रहा हो लोगों के लिए. उन्होंने 50 साल में शायद एक पंद्रह साल के बच्चे से ज़्यादा सीखा है. उनके पास डिग्री नहीं है इसका मतलब ये नहीं कि वे शिक्षित नहीं है. ज़िन्दगी ने जो सिखाया है वो बहुत महत्वपूर्ण होता है डिग्री से ज़्यादा.
इस फिल्म के निर्देशक तुषार की यह पहली फिल्म है जब आप किसी नवोदित निर्देशक के साथ काम करते हैं तो बहुत ज़्यादा विश्वास की ज़रूरत होती है.
मुझे लगता है कि यह हर निर्देशक के साथ है. वैसे किसी भी फिल्म की शूटिंग के पहले जो निर्देशक के साथ आपका प्रेप वर्क होता है. जिसमें बहुत सारी रीडिंग और वर्कशॉप्स होते हैं. जो कहीं ना कहीं नए निर्देशक के साथ भी आपकी बॉन्डिंग को मजबूत कर देते हैं . इसके साथ ही जो आज के निर्देशक होते हैं, उन्हें देखकर लगता ही नहीं है कि वे पहली बार निर्देशन कर रहे हैं. मैंने कुछ दिनों पहले बॉब विश्वास नाम की एक फिल्म की थी. उसके निर्देशिका दिया २६ साल की थी उन्हें देखकर सेट पर लगता ही नहीं था कि वो कोई बच्ची है. वो अपने काम में एकदम माहिर थी.
आप उन चुनिंदा एक्टर्स में से हैं जो सोशल मीडिया पर ट्रोलर्स को भी बहुत सलीके से जवाब देते हैं
मैं कठोर आदमी हूँ ही नहीं ,आपको यकीन नहीं होगा सिवाय अपनी फिल्मों के मैंने किसी पर कभी हाथ नहीं उठाया है. मुझसे किसी को परेशानी होती है तो मेरा पहला रिएक्शन यही होता है कि भैया बातचीत करो ना. आपको कुछ अच्छा नहीं लग रहा है तो मैं उसे बदलने की कोशिश करूँगा. अगर आपका जवाब कुछ भलता ही होने वाला है तो मुझे समझ आ जाएगा कि भैया आपके साथ बात करके कोई फायदा नहीं है तो प्यार से नमस्कार बोलकर निकल जाता हूँ.
दसवीं ओटीटी पर रिलीज होने का क्या अफ़सोस है
यह थिएटर की फिल्म है लेकिन फिल्म मेकिंग एक बिजनेस है. निर्माता के पैसे लगे होते हैं तो वो जो फैसला ले वो सही रहेगा.
ओटीटी पर आपको काफी सफलता पिछले दो सालों में मिली है, आप सफलता को किस तरह से सेलिब्रेट करते हैं
मैं इस सवाल का जवाब एक वाकये के साथ देना चाहूंगा कोलकाता में बॉब बिस्वास की शूटिंग कर रहा था. वहां थिएटर में जाकर मैंने अजय की फिल्म तानाजी पूरी यूनिट के साथ देखी . मैंने थिएटर से निकलकर अजय को फ़ोन किया कि कहा हो चलो पार्टी करते हैं. उन्होंने कहा मैं तो एक फिल्म के सेट पर हूँ.शूटिंग कर रहा हूँ. समझ आया कि वो तानाजी निकल चुके सफलता का सेलिब्रेशन का असली तरीका यही है कि और काम किया जाए. मेरे पिताजी भी यही करते है. जो बीते शुक्रवार हुआ उसे वो आने वाले शुक्रवार तक याद नहीं रखते हैं.
आप प्रैक्टिकल इंसान हैं या इमोशनल
मैं प्रैक्टिकल के साथ साथ इमोशनल भी हूँ ( हँसते हुए) जब फिल्में नहीं मिल रही थी तो समझता था कि ये प्रैक्टिकल है, असफल होने के बाद कोई आप पर पैसे नहीं लगाना चाहता है लेकिन ये बात इमोशनल भी कर देती थी.
आपकी कबड्डी और हॉकी की टीम है क्या किसी और खेल को भी बढ़ावा देने की प्लानिंग है
मैं खो-खो में कुछ करना चाहूंगा मुझे देशी स्पोर्ट्स से लोगों को जोड़ना बहुत पसंद है. अपना खेल है लोगों को मालूम होना चाहिए
आपकी आनेवाली फिल्में कौन सी हैं
आर बाल्की वाली फिल्म घूमर की शूटिंग खत्म हो गयी है. ट्रिपल एसएस 7 की शूटिंग खत्म हो गयी है फ़िलहाल वो पोस्ट प्रोडक्शन में है. ब्रीद थ्री की शूटिंग शुरू होने वाली है.